For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम देखते ही रह गए दिल का मकाँ जलता हुआ

2212 2212 2212 2212

आसां कहाँ यह इश्क था मत पूछिए क्या क्या हुआ ।
हम देखते ही रह गए दिल का मकाँ  जलता हुआ ।।

हैरान है पूरा नगर कुछ तो है तेरी भी ख़ता ।
आखिर मुहब्बत पर तेरी क्यों आजकल पहरा हुआ ।।

पूरी कसक तो रह गयी इस तिश्नगी के दौर में ।
लौटा तेरी महफ़िल से वो फिर हाथ को मलता हुआ ।।

दरिया से मिलने की तमन्ना खींच लायेगी उसे ।
बेशक़ समंदर आएगा साहिल तलक  हंसता हुआ ।।

मुमकिन कहाँ है जख्म गिन पाना नये हालात में ।
घायल मिला है वह मुसाफ़िर वक्त का मारा हुआ ।।

यूँ ही ख़फ़ा क्यूँ हो गए किसने कहा कुछ आपको ।
क्यों मुस्कुराना आपका बेइंतिहा महँगा हुआ ।।

जब आसमाँ से चाँद उतरा था मेरे घर दफ़अतन ।
इस शह्र में इस बात का भी मुख़्तलिफ़ चर्चा हुआ ।।

जब सर उठाने हम चले खींचे गये तब पांव ये ।
उनको गवारा था कहाँ देखें हमें उठता हुआ ।।

अब इस कफ़स के दायरे से खुद को तू आज़ाद कर।
कहता गया मुझसे परिंदा फिर कोई उड़ता हुआ ।।

           --नवीन मणि त्रिपाठी
           मौलिक अप्रकाशित










Views: 904

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 28, 2018 at 10:41pm

आ0 बसंत कुमार शर्मा साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 28, 2018 at 10:40pm

आ0 तेजवीर सिंह साहब तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 28, 2018 at 10:39pm

आ0 राज नावादवी साहब तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 28, 2018 at 10:38pm

आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ आभार ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 28, 2018 at 9:19pm

आदरणीय नवीन जी सादर नमस्कार, आनंद आ गया , बहुत शानदार गजल हुई है, बधाई आपको 

Comment by Samar kabeer on October 28, 2018 at 5:35pm

जनाब नवीन जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by राज़ नवादवी on October 28, 2018 at 11:49am

आदरणीय नवीन मणि जी, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के दिल दाद के साथ मुबारकबाद. सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 27, 2018 at 10:40pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।

खींचा गया है पाँव तब जब उठाये हम कभी ।
उनको गवारा था कहाँ देखें हमें उठता हुआ ।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service