For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमेशा तो नहीं होती बुरी तकरार की बातें(ग़ज़ल)

1222 1222 1222 1222


हमेशा तो नहीं होती बुरी तकरार की बातें
इसी तकरार से अक्सर निकलतीं  प्यार की बातें।

नज़र मंजिल पे रक्खो तुम बढ़ाओ फिर कदम आगे
नहीं अच्छी लगा करतीं हमेेशा हार की बातें।

अँधेरे में चरागों-सा उजाला इनसे मिल जाता
गुनी जाएं तज्रिबे  के  सही गर सार की बातें।

अलग हैं रास्ते चाहे है मंजिल एक पर सबकी
जो ढूंढें खोट औरों में करे वो रार की बातें।

सँभलने का, समझने का, सलीका आ यूँ जाता है
कि खुद की गलतियों के जो करें इकरार की बातें।

समझना चाहते हो मोल खुशबू का कहीं दिलबर
सुनो तुम ध्यान से पहले वहाँ के ख़ार की बातें।

तज्रिबा:अनुभव

मौलिक अप्रकाशित

Views: 833

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 7, 2018 at 7:29am

आदरणीय तेजवीर सिंह जी सादर नमन! हौंसलाफजाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 7, 2018 at 7:27am

प्रचलित शब्द के रूप में मान्यता देते हैं। सादर

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 7, 2018 at 7:25am

आदरणीय समर कबीर जी सादर वन्दन! हौंसलाफ़ज़ाई और मार्गदर्शन के लिए सादर आभार। इस लफ्ज के अलावा जो टंकण त्रुटि है कृपया वह भी इंगित करें। माननीय मद्दाह अपने शब्दकोश में मूल शब्द /तज्रिब:/ तज्रिबा बताते हैं व् इसका बहुवचन तज्रिबात ही लेेकीन साथ ही / तजुुर्बा या तज्रबा/ को भी 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 7, 2018 at 7:15am

आदरणीय रवि सर सादर नमन! तराशने की कोशिश जारी रहेगी। मार्गदर्शन भी सादर अपेक्षित है। हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रिया।

Comment by TEJ VEER SINGH on November 6, 2018 at 2:46pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सतविंदर जी।बेहतरीन गज़ल।

अँधेरे में चरागों-सा उजाला इनसे मिल जाता
गुनी जाएं तजुर्बे के सही गर सार की बातें।

Comment by Samar kabeer on November 6, 2018 at 12:09pm

जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

कुछ मिसरों में रवानी की कमी है,देखियेगा ।

' गुनी जाएं तजुर्बे के सही गर सार की बातें'

इस मिस्ररे में 'तजुर्बे' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है,"तज्रिबा" और इसका बहुवचन है "तज्रिबात"

कुछ मिसरों में टंकण त्रुटियाँ देखें ।

Comment by Ravi Shukla on November 6, 2018 at 1:11am

आदरणीय सतिवंदर कुमार जी अच्छी गजल कही आपने िदली बधाई पेश करताहूँ बेहतरी की गुंजाईशा तो हमेशा  रहती है रवानी बढ़ाने के  लिए देखते रहें । सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service