For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ७४

२१२२ ११२२ ११२२ २२/ १२२

मैं हूँ साजिद, मेरा मस्जूद मगर जाने ना
घर में साकिन हैं कई, सबको तो घर जाने ना //१

ख़ुद ही पोशीदा है तू ख़ल्क़ में तो क्या शिकवा
कोई क्या आए तेरे दर पे अगर जाने ना //२

दोनों टकराती हैं हर रोज़ सरे बामे उफ़ुक़
मोजिज़ा है कि कभी शब को सहर जाने ना //३

ये अलग बात है तू मुझपे नज़र फ़रमा नहीं
वरना क्या बात है जो तेरी नज़र जाने ना //४

तू मुदावा है मेरे गम का तुझे क्या मालूम
बात यूँ है कि दवा अपना असर जाने ना //५

चर्खे उल्फ़त में कोई मील का पत्थर तो नहीं
ख़ुद की परवाज़ की ऊँचाई को पर जाने ना //६

जीतना है तेरी फ़ित्रत तो चलो देखेंगे
हारना इश्क़ में तो मेरा जिगर जाने ना //७

'राज़' हम क्यों रखें पुरसिश की तवक़्क़ो उससे
हाल क्या पूछे वो जब वज्हे ज़रर जाने ना //८

~ राज़ नवादवी

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

साजिद- सज्दा करने वाला; मसजूद-जिसे सज्दा किया गया हो; साकिन- घर कानिवासी; पोशीदा- गुप्त; ख़ल्क़- सृष्टि; सरे बामे उफ़ुक़- क्षितिज के छज्जे पर; मोजिज़ा-जादू; चर्खे उल्फ़त- प्रेम का आकाश; पुरसिश- पूछ ताछ; तवक़्क़ो- उम्मीद; वज्हे ज़रर- चोट का कारण

Views: 759

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on November 28, 2018 at 12:07pm

आदरणीय राहुल डाँगी साहब,ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफजाई का दिल से शुक्रिया। सादर।

Comment by राज़ नवादवी on November 28, 2018 at 4:21am
आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब,ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफजाई का दिल से शुक्रिया। सादर।
Comment by Rahul Dangi Panchal on November 27, 2018 at 9:49pm

मजा आ गया ग़ज़ल पढ के

Comment by Rahul Dangi Panchal on November 27, 2018 at 9:48pm

वाह वाह वाह कमाल हर शे'र लाजवाब वाह वाहहहहहहहहहह 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 27, 2018 at 3:06pm

आ. भाई राजनवादवी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by राज़ नवादवी on November 26, 2018 at 10:58pm

आदरणीय तेज वीर सिंह साहब , ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का दिल से शुक्रिया, , सादर। 

Comment by राज़ नवादवी on November 26, 2018 at 10:57pm

आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान साहब, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का दिल से शुक्रिया, , सादर। 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 26, 2018 at 8:16pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राज नवादवी जी।बेहतरीन गज़ल।

जीतना है तेरी फ़ित्रत तो चलो देखेंगे 
हारना इश्क़ में तो मेरा जिगर जाने ना //७

Comment by narendrasinh chauhan on November 26, 2018 at 6:35pm

खूब सुन्दर रचना सर 

Comment by राज़ नवादवी on November 26, 2018 at 5:41pm

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और इस्लाह का तहेदिल से शुक्रिया. आपकी पसंदीदगी पाकर धन्य हुआ. सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service