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कुंठा - लघुकथा -

कुंठा - लघुकथा -

आदरणीय मामाजी,

आपने मेरे लिये जो किया वह मैं जीवन भर नहीं भूल सकता। आपने अपना भविष्य दॉव पर लगा दिया| आपकी बी ई की पढ़ाई छूट गयी। वह घटना मेरे जीवन की भयंकर भूल थी।जिसके अपराध बोध से आज तक ग्रसित हूँ।

उस समय मैं केवल  सात साल का था अतःइतना डर गया था कि सच नहीं बोल सका।

इतने साल बाद आज मैं आपको सच बताने का साहस जुटा पाया हूँ|

दिवाली की उस रात  खाने के बाद आप जब पान खाने जाने लगे तो मैं भी जिद करके आपके साथ चल दिया था।

आपने पान वाले को पान लगाने का आर्डर दिया और उसके काउंटर पर सौ का नोट रख दिया। पान वाले का ध्यान पान लगाने में था अतः उसने नोट नहीं देखा। नोट हवा से उड़ कर नीचे गिर गया।

आप उस वक्त सिगरेट जला रहे थे सो आपने भी नहीं देखा।

मैंने वह नोट उठाकर जेब में रख लिया।

पान  देकर पान वाला पैसे माँगा तो आपने उससे सौ के नोट में से बाकी पैसे देने को कहा। आप दोनों में तकरार बढ़ गयी।

पान वाला आप पर भारी पड़ रहा था। आपसे मार पीट पर उतारू हो गया।

मैं अजीब कशमकश और पशोपेश में था। मुझसे आपकी दुर्दशा नहीं देखी गयी। अतः मैंने गुस्से में पान की दुकान पर रखी कैंची उठाकर पान वाले के पेट में घुसेड़ दी।

मुझे बचाने के लिये सारा इल्ज़ाम आपने अपने सर ले लिया। आपको जेल होगयी।

उस सौ के नोट की बात आजतक भी मैंने किसी को नहीं बताई| वह बात मेरे मन के किसी कोने में दबी पड़ी है। लेकिन अब मैं इस अपराध बोध से मुक्त होना चाहता हूँ। मेरा अपराध अक्षम्य है।

आपका भाँजा

 सुबोध

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on December 12, 2018 at 10:52am

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब।

Comment by Samar kabeer on December 11, 2018 at 10:04pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 11, 2018 at 8:48am

हार्दिक आभार आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 10, 2018 at 7:23pm

आ. भाई तेजवीर जी, बेहतरीन कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 10, 2018 at 5:24pm

हार्दिक आभार आदरणीय राज नवादवी जी।

Comment by राज़ नवादवी on December 10, 2018 at 1:44pm

आदरणीय तेज वीर सिंह साहब, बड़े घटनाक्रम वाली एक लघु कथा. बाल एवं अपराध मनोविज्ञान को सफलता पूर्वक चित्रित करती इस ज्वलंत लघु कथा की प्रस्तुति पे हार्दिक बधाई. सादर. 

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