ग़ज़ल (रब से कीजिए दुआएं नए साल में)
(फाइ लुन _फाइ लुन _फाइ लुन _फाइ लुन _)
रब से कीजिए दुआएं नए साल में l
अच्छे दिन लौट आएँ नए साल में l
पास आएं न आएं नए साल में l
पर न हम को भुलाएं नए साल में l
जिन अज़ी ज़ों ने उनको किया बद गुमां
उनको मत मुँह लगाएँ नए साल में l
उस पे फिरक़ा परस्तों की है बद नजर
भाई चारा बचाएँ नए साल में l
इम्तहाने वफ़ा तो बहुत हो चुके
और मत आज़मा एँ नए साल में l
नज़रें मँहगाई घर की ख़ुशी हो गई
जश्न कैसे मनाएँ नए साल में l
जाने जां दिल भी इक रोज़ मिल जाएंगे
हाथ हम से मिलाएँ नए साल में l
मुझको तरसाया पिछ्ले बरस आपने
अब तो जलवा दिखाएँ नए साल में l
ये गवारा है तस्दीक दुनिया को कब
उनके घर आएं जाएँ नए साल में l
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
जनाब महेंद्र कुमार साहिब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
ये गवारा है तस्दीक दुनिया को कब
उनके घर आएं जाएँ नए साल में l
नए साल पर इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी. सादर.
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
वाह बहुत ही खूब आदरणीय तस्दीक़ जी..
जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब, ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
पढ़ने में "कीजै " ही आएगा, सही "नज्र _ए" ही है जो टाइप के वक़्त ग़लत हो गया l सादर
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, नववर्ष पर सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
'रब से कीजिए दुआएं नए साल में l
अच्छे दिन लौट आएँ नए साल में'
मतले के ऊला मिसरे में 'कीजिये' को "कीजै" करलें और दोनों मिसरों में 'आएं' क़वाफ़ी पर भी ग़ौर करें ।
'नज़रें मँहगाई घर की ख़ुशी हो गई'
नज़रें--या नज़्र-ए-?
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I नए साल की मुबारक बाद क़ुबुल फरमाएं l
आद0तस्दीक अहमद खान साहब सादर अभिवादन। नए साल की शुभकामनाएं प्रेषित करती बेहतरीन ग़ज़ल पर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ
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