For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब वो कहता है तो वो कहता है 

रोक पाता नहीं उसे कोई , 

उसके आगे ना रंक, राजा है , 

कंठ में कोयल सा उसके वासा है ॥ 

जब भी कहता है सच ही कहता है 

जैसे बच्चा हृदय में रहता है , 

उसके जैसा नहीं कोई सानी , 

वो भी लिखता है पानी पे पानी ॥ 

धार शब्दोँ की उसकी तीखी है , 

जानता है वो जिसपे बीती है 

कह के उसको क्या तुम बुलाओगे , 

तुम ना समझे हो ना समझ पाओगे ॥ 

उसपे मर्ज़ी चलाना मुश्क़िल है, 

झूठ के पांव पाना मुश्क़िल है , 

कोशिशें सब नाकारा कर देगा , 

तुमको इंसानियत से भर देगा ॥ 

बरसों में शख़्स ऐसा होता है,  

बीज उल्फ़त के भू में बोता है,  

आओ हम उसका एहतिराम करें,  

ज़ीस्त में कोई तो भला काम करें ॥ 

-प्रदीप देवीशरण भट्ट -

रचना मौलिक व अप्रकाशित है 

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on February 5, 2019 at 11:45am

सुरेंद्र जी धन्यवाद

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on February 5, 2019 at 11:44am

शुक्रिया महेंद्र जी

Comment by Samar kabeer on January 8, 2019 at 12:00pm

महब्बत है आपकी,सलामत रहो ।

Comment by Mahendra Kumar on January 7, 2019 at 8:36pm

बहुत ख़ूब सर! आपने तो कमाल कर दिया. इसको कहते हैं उस्ताद. दण्डवत प्रणाम है आपको. यही चीज़ है जो हम सबको अपने मिसरों में लानी चाहिए. बहुत-बहुत धन्यवाद सर. सादर.

Comment by Samar kabeer on January 7, 2019 at 8:30pm

महेन्द्र जी,

'धार शब्दोँ की उसके तीखी है'

"उसके शब्दों की धार तीखी है"--और स्पष्ट हो गया न?

Comment by Mahendra Kumar on January 7, 2019 at 7:59pm

आदरणीय प्रदीप देवीशरण भट्ट जी, अच्छी रचना हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. 

//धार शब्दोँ की उसके तीखी है//

सादर.

Comment by नाथ सोनांचली on January 7, 2019 at 9:05am

आद0 प्रदीप देवीशरण भट्ट जी सादर अभिवादन। बढ़िया रचना हुई है, कुछ टंकण त्रुटियों को देख लें। इस रचना पर मेरी बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Samar kabeer on January 5, 2019 at 12:14pm

जनाब प्रदीप भट्ट जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कोशिशें सब नकारा कर देगा'

इस पंक्ति में 'नकारा' को "नाकारा" कर लें ।

' आओ हम उसका अहतराम करें'

इस पंक्ति में 'अहतराम' को "एहतिराम" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
12 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
18 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service