For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (दिल ने जिसे बना लिया गुलफाम दोस्तो)

ग़ज़ल (दिल ने जिसे बना लिया गुलफाम दोस्तो)
(मफ ऊल _फाइ लात _मफा ईल _फाइ लुन)

दिल ने जिसे बना लिया गुलफाम दोस्तो l
उसने दिया फरेबी का इल्ज़ाम दोस्तो l

मैं ने खिलाफे ज़ुल्‍म जुबां अपनी खोल दी
अब चाहे कुछ भी हो मेरा अंजाम दोस्तो l

दिल को अलम जिगर को तड़प अश्क आँख को
मुझ को दिए ये इश्क़ ने इनआम दोस्तो l

लाए हैं अंजुमन में किसी अजनबी को वह
दिल में न यूँ उठा मेरे कुहराम दोस्तो l

सच्चा है यार वो उसे पहचान लीजिए
बद वक़्त पर जो आए सदा काम दोस्तो l

जिसने किया तबाह वही मेरा यार है
उसका जुबां से कैसे मैं लूँ नाम दोस्तो l

तस्दीक तब से भूल गया राहे मैकदा
उसने नज़र का जबसे पिया जाम दोस्तो l

(मौलिक व अप्रकाशित

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 22, 2019 at 6:07pm

जनाब राज़ नवाद्वी साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by राज़ नवादवी on January 19, 2019 at 12:12am

आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहब, आदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ मुबारकबाद. सादर. 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 18, 2019 at 8:30pm

जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 18, 2019 at 8:30pm

मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब, ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 18, 2019 at 7:08pm

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on January 18, 2019 at 2:09pm

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 18, 2019 at 12:27pm

जनाब अनीस शेख साहिब  , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 18, 2019 at 12:26pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Md. Anis arman on January 18, 2019 at 10:53am
  • जनाब तस्दीक़ अहमद खान साहब ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए अच्छी ग़ज़ल हुई है 
Comment by नाथ सोनांचली on January 18, 2019 at 9:46am

आद0 तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
20 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service