For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘अरे राम-राम, संगम से इतनी दूर भी गंगा का किनारा साफ़ नहीं I सब ससुर किनारे में ही निपटान करत है i ऐसे में गंगा नहाय से का फायदा ? मगर हमरे घरैतिन के सिर पर तो कुम्भ सवार रहै I’- पंडित जी ने नाव वाले से कहा I नाव में कुछ और सवारियाँ भी थीं, परन्तु किसी का भी चेहरा धुंधलके और घने कुहरे के कारण साफ़ नजर नही आता था I

मल्लाह ने स्वीकार की मुद्रा में धीरे से ‘हूँ------‘ कहा और नाव खेने में मशगूल हो गया I    

‘इनका होश ही नाहीं i’– पंडिताइन ने ठंढी बयार से बचाने के लिए गोद में पड़े अपने साल भर के बच्चे को ऊनी लिहाफ में लपेटते हुए प्रतिवाद किया –‘ तिउरुस साल जब गंगा नहाने आये थे, तबै गंगा मैय्या से बेटा मांगा था i’

‘और गंगा मैया ने दिया ऐसा बेडौल, अपंग और अधमरा बच्चा दिया जो न बाढ़े न मोटाय ?’

‘देखो हमार बेटवा का कुछ नाही कहो I गंगा मैया ने दिया है I जैसा भी है ठीक है I’

‘‘हाँ---खुश हो लो, ज्यों ज्यों बढ़ेगा हमारी मुसीबत बढ़ायेगा I देख लेना I’   

‘तुम्हरे मुंह से शुभ तो कबौ निकसबे ना करी I’

पंडित जी चुप हो गए I कुहरा और घना हो गया था I कुछ भी साफ़-साफ़ न दीखता था i नाव बीच गंगा में आ चुकी थी I अचानक पंडिताइन बड़े जोर से चीखीं – हाय मेरा बच्चा --?’

पंडित जी ने घबराकर कहा –‘क्या हुआ ?’

‘किसी ने मेरा बच्चा छीन लिया ?’

‘अरे किसकी मजाल---‘- मल्लाह ने कड़क कर कहा –‘ नाव में कुछ ही लोग हैं I बच्चा जाएगा कहाँ ? पंडिताइन जी आप बेफिक्र रहिये I जिसने बच्चे को छुआ होगा, उसकी तो खैर नहीं i’

पर बच्चा नही मिला I मल्लाह हैरान परेशान I पंडिताइन का रो-रोकर बुरा हाल था I पंडित जी  ढाढस बंधा रहे थे I इसी समय मेले का स्थानीय दरोगा दो सिपाहियों के साथ प्रकट हुआ –‘ खबरदार, कोई भी सवारी यहाँ से नहीं हिलेगी I इस नाव का मालिक कौन है ?’

‘जी मैं ---?’- मल्लाह की घिग्घी बंध गयी I

‘तुम इधर आओ और इस वीडियो फुटेज को ध्यान से देखो I हुलिए से पहचानो कि तुम्हारी कौन सी सवारी है जो पोटली गंगा की धारा में ड़ाल रही है I मल्लाह को पता नही था कि उसकी नाव में भी सी सी टीवी कैमरा लगा था I फिलहाल उसने अपना ध्यान केन्द्रित किया I अचानक   उसकी चीख निकल गयी –‘यह तो खुद पंडित जी हैं, माई-बाप I’

 

 (मौलिक /अप्रकाशित )

 

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on February 6, 2019 at 9:21pm

प्रणाम करता हूँ महोदय, आपने बड़ी हिम्मत की है ... इस तरह के विचार को प्रकट करने का... वरना आजकल तो....धर्म की आड़ में क्या कुछ नहीं होता?

Comment by Samar kabeer on February 4, 2019 at 9:16pm

जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई सवीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 4, 2019 at 12:12am

आदाब। बहुत ही विचारोत्तेजक मार्मिक सृजन। नाव, नदी, मैया और सैंया की आप बीती और देश की सच्ची तस्वीर वाली परिणति शाब्दिक करती अत्यावश्यक बेहतरीन रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहिब। सीसीटीवी और जांच-पड़ताल का भी बढ़िया उपयोग। किसी पाठक को नाटकीयता का शक़ हो सकता है, लेकिन यह सत्य है। दिव्यांग शिशुओं और अनेपक्षित पैदाइश के साथ इसी तरह के मार्मिक दुखांत होते सुनेव देखे जाते हैं आज भी। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service