बेटा-बेटी में किया, जिसने कोई भेद।
उसने मानो कर लिया, स्वयं नाव में छेद।।
स्वयं नाव में छेद, भेद की खोदी खाई।
बहिना से ही दूर, कर दिया उसका भाई।।
कोई श्रेष्ठ न तुच्छ, लगें दोनों ही प्रेटी।
ईश्वर का वरदान, मानिये बेटा-बेटी।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**
Comment
आद0 हरिओम श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन। बढिया विषय लेकर बेहतरीन कुण्डलिया लिखी आपने। बधाई स्वीकार कीजिये। अगर प्रेटी का कोई और विकल्प हो तो और बेहतर होंगा अन्यथा हिंदी का शब्द न होने से हिंदी शब्दकोश में लोग इसका अर्थ खोजते रह जाएंगे। सादर
आदरणीय सौरभ पाण्डे जी,आपकी उपस्थिति व समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से प्रयास सफल जान पड़ा। मैं अँग्रेजी के शब्दों के प्रयोग से बचता ही हूँ आदरणीय, किंतु बेटी के तुक के सीमित विकल्प होने के कारण 'प्रेटी' शब्द प्रयुक्त करना पड़ा। उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से शुक्रिया।।
आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी, आपकी कुण्डलिया गंभीर विषय पर सहज प्रवाह में सीख देती बढ़ती जाती है. प्रेटी का जैसा उपयोग आपने किया है वह चुटीला तो है ही बोलचाल की भाषा की स्वीकार्यता को बढ़ाता हुआ है. हालाँकि, अंघ्रेज़ी के शब्दों के प्रयोग को लेकर कई सदस्य असहज हो उठते हैं. बहरहाल, रचना की प्रवृति ही शब्दों के प्रयोग का ठोस मानक है.
हार्दिक बधाइयाँ एवं अशेष शुभकामनाएँ
आदरणीया नीलम उपाध्याय जी,उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार।
आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी, नमस्कार। अच्छी कुण्डलिया छन्द की प्रस्तुति। बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय समर कबीर साहब आपकी उपस्थिति व हौसलाअफजाई हेतु हार्दिक आभार।
जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छा कुण्डलिया छन्द लिखा आपने,बधाई स्वीकार करें ।
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