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आदरणीय Hariom Shrivastava जी ,उत्साहवर्धन के लिए दिल से आभार |
वाह,वाहह,बहुत सुंदर ग़ज़ल आदरणीय गहलोत जी।
आदरणीय Samar kabeer साहेब आदाब | आपकी पारखी नज़रों से गुज़रकर ग़ज़ल कामयाब हुई | हौसला आफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया | आपका बताया संशोधन कर रहा हूँ |
आदरणीय Sushil Sarna जी आपकी हौसला आफजाई के लिए दिली शुक्रिया |
आदरणीय गहलोत जी खूबसूरत अशआर की ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई।
जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
'वस्ल का बारहा पैग़ाम दिया ख़ुद दिलबर'
इस मिसरे में तनाफ़ुर देखें,'दिलबर' की जगह "तुमने" कर सकते हैं ।
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