For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रंग-ए-रुख़सार निखरने का सबब क्या आखिर(३९ )

रंग-ए-रुख़सार निखरने का सबब क्या आखिर
आज फिर सजने सँवरने का सबब क्या आखिर
***
आइना बोल उठा अब्र कहाँ बरसेंगे
काकुल-ए-पेचाँ बिखरने का सबब क्या आखिर 
***
क्या तसव्वुर में सनम आ गया है अक़्स मेरा
ख़ून आरिज़* में उभरने का सबब क्या आखिर
***
आज इज़हार-ए-मुहब्बत के हैं आसार लगे
झील में चाँद उतरने का सबब क्या आखिर
***
वस्ल का बारहा पैग़ाम दिया ख़ुद तुमने 
फिर मुलाकात से डरने का सबब क्या आखिर
***
मुन्तख़ब कर ही लिया दिल ने अगर है मुझको 
तो लबों से है मुकरने का सबब क्या आखिर
***
क्या सबब नज़रें चुराने का है मुझ से कोई
और नाख़ून कुतरने का सबब क्या आखिर
***
रूठना आपका शायद था हसीँ खेल कोई
लौटकर कू से गुज़रने का सबब क्या आखिर
***
राज़ से आप हटा दीजे 'तुरंत 'अब पर्दा
नागहाँ  याद यूँ करने का सबब क्या आखिर 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 29, 2019 at 11:37pm

आदरणीय  Hariom Shrivastava जी ,उत्साहवर्धन के लिए दिल से आभार | 

Comment by Hariom Shrivastava on March 29, 2019 at 12:53pm

वाह,वाहह,बहुत सुंदर ग़ज़ल आदरणीय गहलोत जी।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 26, 2019 at 11:03pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब आदाब | आपकी पारखी नज़रों से गुज़रकर ग़ज़ल कामयाब हुई | हौसला आफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया | आपका बताया संशोधन कर रहा हूँ | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 26, 2019 at 11:01pm

 आदरणीय  Sushil Sarna जी आपकी हौसला आफजाई के लिए दिली शुक्रिया | 

Comment by Sushil Sarna on March 26, 2019 at 7:12pm

आदरणीय गहलोत जी खूबसूरत अशआर की ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई।

Comment by Samar kabeer on March 26, 2019 at 2:51pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'वस्ल का बारहा पैग़ाम दिया ख़ुद दिलबर'

इस मिसरे में तनाफ़ुर देखें,'दिलबर' की जगह "तुमने" कर सकते हैं । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
21 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service