सूत्र-आठ यगण प्रति पद; 122x8
चुनो मार्ग सच्चा करो कर्म अच्छे जहां में तुम्हारा सदा नाम होगा।
करो यत्न श्रद्धा व निष्ठा भरे तो न पूरा भला कौन सा काम होगा।।
न निर्बाध है लक्ष्य की साधना जूझना मुश्किलों से सरे-आम होगा।
इन्हें जीतना पीढ़ियों के लिए भी तुम्हारा नया एक पैगाम होगा।।1।।
करे सामना धैर्य से मुश्किलों का न कर्तव्य से पैर पीछे हटाए।
नहीं हार से हार माने जहां में कभी कोशिशों से न जो जी चुराए।।
अँधेरा घना या निशा हो घनेरी दिये आस के जो दिलों में जलाए।
वही आसमां पे लिखे कीर्ति-गाथा जहां को सदा राह सच्ची दिखाए।।2।।
रचनाकार-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय समर भाई साहब
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत समय बाद आपको पटल पर देख कर प्रसन्न्ता हुई ।
बहुत उम्द: छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
सादर धन्यवाद भाई सुरेन्द्रनाथ जी
आद0 रामबली गुप्ता जी सादर अभिवादन। बहुत ही बेहतरीन दोनों छंद लिखा आपने। सन्देश परक भी और शिल्पगत भी। बधाई स्वीकार कीजिये।सादर
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