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अधूरी सी ज़िंदगी ....

अधूरी सी ज़िंदगी ....

कुछ
अधूरी सी रही
ज़िंदगी
कुछ प्यासी सी रही
ज़िंदगी
चलते रहे
सीने से लगाए
एक उदास भरी
ज़िंदगी
जीते रहे
मगर अनमने से
जाने कैसे
गुफ़्तगू करते
कट गयी
अधूरी सी ज़िंदगी

ढूंढते रहे
कभी अन्तस् में
कभी जिस्म पर रेंगते
स्पर्शों में
कभी उजालों में
कभी अंधेरों में
निकल गई छपाक से
जाने कहाँ
हमसे हमारी
अधूरी सी ज़िंदगी

बरसती रही आँखों से
सावन के मेघों सी
राह चलते रहे
मोड़ निकलते रहे
कोई साथ चला
कोई बिछुड़ गया
कब तन्हा रह गए
बरसते नैन कुछ कह गए
पुष्प कहीं सो गए
शूल साथी हो गए
नैन बूँद में सिमट गयी
समंदर सी
अधूरी सी ज़िंदगी

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on April 29, 2019 at 8:07pm

आदरणीय  Hariom Shrivastava जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Hariom Shrivastava on April 28, 2019 at 10:00pm

वाह,वाहह,लाजवाब रचना

Comment by Sushil Sarna on April 26, 2019 at 6:05pm

आद0 Dr.Prachi Singh जी सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 25, 2019 at 9:18pm

अपनी ज़िन्दगी के रास्तों पर फिर से घूम कर आती सुन्दर कविता 

बधाई 

Comment by Sushil Sarna on April 24, 2019 at 6:07pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by narendrasinh chauhan on April 23, 2019 at 8:45pm

लाजवाब सर

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