वादियाँ ख़ामोश ख़ामोशी भरा है ये सफ़र
अब दरख़्तों से भी हम डरने लगे हैं किस क़दर
यूँ मचा कर शोर करते हैं परिंदे अहतिजाज
इस जगह पर ही हुआ करता था अपना एक घर'
जिस जगह हमने गुज़ारी थी महकती शाम, अब
ज़ह्र फैला उस जगह तो कैसे हम रोकें असर
फूल भी बेनूर से क्यों दिख रहे हैं बाग में
ख़ूबसूरत से चमन कोतो खा गयी किसकी नज़र
वो पुराने दिन हमें जब याद आते हैं कभी
ढूँढने लगते हैं हम फिर से वही खोई डगर
आज बंदिश है हवाओं पर तो वो कैसे बहें
कौन लाएगा यहाँ ख़ुशियों भरी कोई ख़बर
कोई भी अब क्या करे हालात ही ऐसे हुए
बन गया जो बागबाँ बदली उसी की है नज़र
पर छँटेगी धुँध ये भी सुर्ख़ होगा आसमाँ
रात लंबी है मगर बदलेगी सूरत फिर 'अमर'
"मौलिक व अप्रकाशित"
आदरणीय समर क़बीर साहेब की इसलाह के अनुरूप :कुछ सुधार के बाद:
Comment
आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी, दिल से शुक्रिया।
आदरणीय समर क़बीर सर, प्रणाम।
आपने इतनी तफ़सील से इसलाह करके मेरे तुकबंदियों को ग़ज़ल के रूप में ढाल दिया। मैं कृतज्ञ हूँ। आशा है, हमेशा आपका मार्गदर्शन मिलता रहेगा और मैं भी ग़ज़ल कहना सीख लूँगा।
प्रणाम।
जनाब डॉ. अमर नाथ झा साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा ।
'अब दरख़्तों से भी डरने लग गए हम किस क़दर'
इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-
अब दरख़्तों से भी हम डरने लगे हैं किस क़दर'
'ये परिंदे आज चुप रहकर गवाही दे रहे
इस जगह पर भी हुआ करता था अपना एक घर'
इस शैर के ऊला में 'चुप रह कर गवाही देने की बात समझ नहीं आती,और सानी मिसरे में 'भी' शब्द भर्ती का है,शैर यूँ कर सकते हैं:-
'यूँ मचा कर शोर करते हैं परिंदे अहतिजाज
इस जगह पर ही हुआ करता था अपना एक घर'
'तब गुज़ारी थी महकती सी कई शामें यहाँ
ज़ह्र फैला हर तरफ़ अब कैसे हम रोकें असर'
इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,देखियेगा ।
'फूल भी बेनूर ही क्यों दिख रहे हैं बाग में
ख़ूबसूरत से चमन को लग गई किसकी नज़र'
इस शैर के ऊला में 'ही' शब्द भर्ती का है,और सानी में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,इस शैर को यूँ कर सकते हैं:-
'फूल भी बेनूर से क्यों दिख रहे हैं बाग में
ख़ूबसूरत से चमन को खा किसकी नज़र'
'आज बंदिश फ़िर हवाओं पर तो वे कैसे बहें
कौन लाएगा मुबारक सी कभी कोई ख़बर'
इस शैर को यूँ कर लें, गेयता बढ़ जाएगी:-
'आज बंदिश है हवाओं पर तो वो कैसे बहें
कौन लाएगा यहाँ ख़ुशियों भरी कोई ख़बर'
सुन्दर रचना
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