मैं हूँ बंदी बिन्दु परिधि का , तुम रेखा मनमानी I
मैं ठहरा पोखर का जल , तुम हो गंगा का पानी I I
मैं जीवन की कथा -व्यथा का नीरस सा गद्यांश कोई इक I
तुम छंदों में लिखी गयी कविता का हो रूपांश कोई इक I
मैं स्वांसों का निहित स्वार्थ हूँ , तुम हो जीवन की मानी I I
धूप छाँव में पला बढा मैं विषम्तायों का हूँ सहवासी I
तुम महलों के मध्य पली हो ऐश्वर्यों की हो अभ्यासी I
मैं आँखों का खारा संचय , तुम हो वर्षा अभिमानी I I
विपदायों , संत्रासों से मेरा अटूट अनुबंध रहा है I
पीड़ा से अनभिज्ञ रही तुम सुख से ही सम्बन्ध रहा है I
मैं शमशानी श्वेत वस्त्र हूँ , तुम हो चूनर धानी I I
सुबह शाम सा दो स्वासों का मिलन सदा ही रहा असंभव I
"'अजय "सत्य है फिर भी जीवन तट बंधों पर ही है संभव I
तुम उजला सन्दर्भ हो , जिसका मैं हूँ वही कहानी I I
मैं हूँ बंदी बिन्दु परिधि का तुम रेखा मनमानी I
मैं ठहरा पोखर का जल तुम हो गंगा का पानी I I
अप्रकाशित / अमुद्रित :
अजय कुमार शर्मा
Comment
सुंदर ,भावपूर्ण ,हृदय मोह लिया आपने
बहुत सुन्दर गीत वाह ...बधाई अजय जी
अजय जी
मुखड़े ने मन मोह लिया i अच्छी रचना के लिए आपको बधाई i
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online