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कभी  मेरी धडकनों में स्वर तुम्हारे थे 
आज  मेरे स्वरों में तेरी धडकन है  
मेरी सरगम पे बजा करती थी तुम्हारी पायल 
आज बजती है कही सरगम तो करती घायल 
-------------------------------------------------------------
मेरे  घर से निकलने की आहट पे 
द्वार में आया तुम करती  
बरसों से खड़ा हूँ  दरवाजे पे 
आहट भी आया नहीं करती 
_________________________________
 
मेरे माथे की सिलवटों से नींद नहीं आये 
मेरे चेहरे  की शिकन से बेजार हो जाये 
ऐसे यार मुकद्दर से मिला करते हैं 
वो बिछड़ जाये तो हम गिला करते हैं
Ashish Srivastava( Sgar Sandhya ) 

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Comment

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Comment by Ashish Srivastava on August 9, 2012 at 12:32pm

vandaniya yogi ji 

suprabhat ........ 

sahas badahne ke liye shukriya 

Comment by Ashish Srivastava on August 9, 2012 at 12:31pm

Aadreya sri rekha ji 

suprabhat

aapka hrday se aabhar prakat karata hun 

Comment by Ashish Srivastava on August 9, 2012 at 12:31pm

aadarniya bhramar ji 

waqt ke aage sabhi ko jhukna padta hai , hehehehhehe.

dhanwaayd

Comment by Ashish Srivastava on August 9, 2012 at 12:30pm

aadarniya rajesh ji 

suprabhat ....... aapke cmts aur likhne ka sahas bada dete hai , dhanywaad 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 9, 2012 at 8:32am

कभी  मेरी धडकनों में स्वर तुम्हारे थे 

आज  मेरे स्वरों में तेरी धडकन है  
मेरी सरगम पे बजा करती थी तुम्हारी पायल 
आज बजती है कही सरगम तो करती घायल --------------बहुत सुन्दर वक़्त के हालात को दर्शाते सभी मुक्तक शानदार हैं 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 9, 2012 at 12:40am

मेरे  घर से निकलने की आहट पे 

द्वार में आया तुम करती  
बरसों से खड़ा हूँ  दरवाजे पे 
आहट भी आया नहीं करती 
______________________
हाँ आशीष जी ऐसे भी दिन आ जाया करते हैं दिल को झेलना ही पड़ता है हरदम ..सुन्दर 
जय श्री राधे ...आभार 
भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on August 8, 2012 at 10:52am

मेरे  घर से निकलने की आहट पे 

द्वार में आया तुम करती  
बरसों से खड़ा हूँ  दरवाजे पे 
आहट भी आया नहीं करती ,बहुत खूब आशीष जी ,बधाई 
Comment by Yogi Saraswat on August 8, 2012 at 9:56am
मेरे माथे की सिलवटों से नींद नहीं आये 
मेरे चेहरे  की शिकन से बेजार हो जाये 
ऐसे यार मुकद्दर से मिला करते हैं 
वो बिछड़ जाये तो हम गिला करते हैं
बहुत बढ़िया ! सुन्दर शब्द

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