For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये मोहब्बत भी क्या चीज़ होती है -- डॉo विजय शंकर

हर बात की वजह होती है
ये मोहब्बत ही क्यों बेवजह होती है
और जो बवजह हो , वो कुछ भी हो ,
यक़ीनन, वो मोहब्बत नहीं होती है ॥

जानकार कहते हैं ,
बिना हिलाये तो पता भी नहीं हिलता ,
बिना किये तो कुछ भी नहीं होता है ,
फिर ये मोहब्बत क्यूँकर अपने आप होती है ।

यूँ तो बहुत जगाये रहती है , फिर भी ,
ये मोहब्बत क्यों एक गहरी नींद का ,
एक ख़्वाब सी लगती है जो हमेशा
टूट जाने के डर के साये में रहती है ॥

मोहब्बत कोई गुनाह तो नहीं है , नहीं है न।
जो करते हो और सजा पाते हो ,
पाते रहते हो , और सहते जाते हो ॥

मोहब्बत को कितना भी सहेज के रखो ,
कितना भी जमाने से बचा के रखो ,
पर इसे नज़र लग ही जाती है ॥
बहुत जल्दी लग जाती है ॥
बेहतर है इसे दिल में रखो , आँखों में रखो,
लोगों से बचा के रखो ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 772

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 10, 2014 at 9:50pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , आपको प्रस्तुति पसंद आई , इसी से मेरा मनोबल बढ़ता है। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2014 at 8:00pm

आदरणीय विजय भाई ,मुहब्बत पर बहुत सुन्दर तार्किक अभिव्यक्ति के लिये बधाई !

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 9, 2014 at 7:51pm
सुन्दर भावाव्यक्ति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 9, 2014 at 7:49pm
आपको रचना पसंद आई, बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय राहुल डांगी जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 9, 2014 at 7:46pm
आपको पसंद आई, काव्यरचना सार्थक हुई , आदरणीय योगराज प्रभाकर जी , आपकी बधाई हेतु ह्रदय से आभार , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 9, 2014 at 7:43pm
सही कहा आपने आदरणीय सोमेश कुमार जी , प्यार को सीमाओं, शर्तों में बाँध कर परिभाषित नहीं किया जा सकता है। आपके सुरुचि पूर्ण विचार प्रस्तुति हेतु सादर धन्यवाद।
Comment by gumnaam pithoragarhi on December 9, 2014 at 6:41pm

वाह सर बहुत खूब ...........

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 9, 2014 at 2:59pm
वाह बहुत सुन्दर बधाई हो

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 9, 2014 at 11:40am

अच्छी काव्याभ्यक्ति है डॉ विजय शंकर जी, बधाई प्रेषित है।

Comment by somesh kumar on December 9, 2014 at 10:12am

शर्तों में बंधकर करूं वो प्यार स्वीकार नहीं 

ये तो पक्की सौदेबाजी सौदेबाजी प्यार नहीं 

प्यार तो एक बादल की तरह है जो बरबस ही उमड़ पड़ता है और अपने अहसास में भिगो लेता है  हर आने वाली जमीन को /जहाँ ये प्यास बुझाने लगे ,जरूरत बन जाए वहाँ बस प्यार ही प्यार रहता है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
20 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service