For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जनतंत्र पूर्ण हो जाएगा --- डॉ o विजय शंकर

ये हुकूमतें , ये शान,
ये ऐशो -आराम ,
किस से हैं , किस की बदौलत हैं ,
जिस दिन ये यह अहसास हो जाएगा ,
उस दिन जनतंत्र भी पूर्ण हो जाएगा ॥

बत्तीस रूपये प्रतिदिन में
जिंदगी गुजारने वाले,
किसके बनाये हुए हैं ,
इनकी सोच , इन्होंने ही
एक एक वोट जोड़कर ,
तुझ जैसों को राजा बनाया है ||

महल की ऊपरी आखिरी ईंट तक
बुनियाद की शुक्रगुजार होती है ,
ख्याल कर ,
ये कब से तुझको
इतना ऊंचा उठाये हैं अपने सिर पर ,
इनका तो ख्याल कर ||

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 3, 2015 at 11:09pm
आदरणीय शरदिंदु मुखर्जी , आपने रचना को अपने अनमोल शब्दों से मान दिया है, आपका बहुत बहुत आभार , हम अपने लेखन में दाइत्व का निर्वहन कर सकें यह हमारे लिए सौभाज्ञ ही है, आपकी अनेक सद्भावनाओं के लिए ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on February 3, 2015 at 2:52pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, अंतिम पंक्तियाँ अप्रतिम हैं. इस रचना में बहुत कुछ है जो एक रचनाकार के साहित्यिक दायित्वबोध को स्वर और आकाश दोनों प्रदान करता है....अनेक साधुवाद. सादर.

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 29, 2015 at 11:27am
आदरणीय लक्ष्मण लाडीवाला जी, कविता अपने भावों के साथ आपको पसंद आई , यही उसकी सार्थकता है, आपका बहुत बहुत आभार , सादर।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 29, 2015 at 10:50am

जनतन्त्र में ईंट का कार्य करने वाले वे बुनियादी मतदाता है जिनसे सत्ता बनती है, जनतंत्र फलता फूलता है और जिनकी बदौलत ही हुकूमत चलती है | सुंदर विचारों के लिए साधुवाद डॉ  विजय शंकर जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 28, 2015 at 9:02pm
आभार, आदरणीय डॉ O गोपाल नारायण जी, सद्भावनाओं के बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 28, 2015 at 8:16pm

महल की ऊपरी आखिरी ईंट तक
बुनियाद की शुक्रगुजार होती है ,
ख्याल कर ,
ये कब से तुझको
इतना ऊंचा उठाये हैं अपने सिर पर ,
इनका तो ख्याल कर ||-----------------बेहतरीन विजय सर ,साधुवाद i

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 27, 2015 at 11:20am
आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी, स्थिति का बहुत सही आंकलन किया है आपने , रचना को स्वीकार करने के लिए बहुत बहुत आभार, आपकी सद्भावनाओं के लिए ह्रदय से धन्यवाद। सादर।
Comment by khursheed khairadi on January 27, 2015 at 10:48am

ये हुकूमतें , ये शान,
ये ऐशो -आराम ,
किस से हैं , किस की बदौलत हैं ,
जिस दिन ये यह अहसास हो जाएगा ,
उस दिन जनतंत्र भी पूर्ण हो जाएगा ॥

आदरणीय विजय शंकर सर ,सही अर्थों में जो लोग पालकी उठाये हुये हैं ,उन्हीं पर कोड़े बरसाए जा रहें हैं |हमें उस दिन की बेसब्र प्रतीक्षा है ,जिस दिन "जनतंत्र भी पूर्ण हो जाएगा "॥सादर अभिनन्दन |

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 27, 2015 at 10:38am
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , रचना स्वीकार करने के लिए बहुत बहुत आभार , आपने स्थिति का बहुत सही मूल्यांकन किया है , आपकी बधाइयों के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 27, 2015 at 10:32am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपने बहुत सरल शब्दों में सार रख दिया , धन्यवाद रचना स्वीकार करने के लिए , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
12 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक है, मेरा प्रयास सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service