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पढ़े-लिखे हैं आप तो - डॉo विजय शंकर

पढ़े-लिखे हैं आप तो आपको
पढ़े-लिखे दिखना चाहिए।
मोटर कार हो सब ,फिर भी अक्ल से ,
आपको , बिलकुल पैदल दिखना चाहिए।
कपड़े अजीब, चाल अजीब , हाव-भाव अजीब ,
बातचीत में अजीब होना और दिखना चाहिये।
रचनात्मक होना तो बहुत कठिन होता है ,
विध्वंस और क्रान्ति की बात करनी आनी चाहिए।
सबसे बड़ी बात आपको
घर फूंक तमाशा देखना आना चाहिए।
अपनी बुनियाद को निरंतर हिलाना और
मौक़ा लगते ही उखाड़ देना चाहिए।
आपको वो तो लपक लेंगे ही
जो उकसा रहे हैं ,
उनकें यकीन पे मिट जाना चाहिए।
खुद भले आप हमेशा सोये सोये से रहें ,
लक्ष्य अपना जन चेतना को जगाना बताना चाहिए ,
और कुछ आये न आये , नारे लगाना आना चाहिए।
तोड़ - फोड़ में माहिर ,
कन्स्ट्रटिव बिलकुल नहीं , आपको
कम्प्लीट डिस्ट्रक्टिव होना चाहिए।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by नाथ सोनांचली on November 16, 2017 at 5:00am
आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन, आपकी उसी त्रुटि से मन मे शंका हुई कि यह लघुकथा कैसे, अब बात स्पष्ट हुई। पुनः बधाई इस सृजन पर्।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 16, 2017 at 4:37am
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , आपकी बधाई के लिए आभार। आदरणीय समर कबीर साहब से इस प्रसंग में चर्चा में मैं त्रुटिवश कविता की जगह लघु-कथा टाइप कर गया था। इसे मैंने अपने अगले वक्तव्य में स्वीकार भी करा है और खेद भी व्यक्त किया हैं। कृपया देखना चाहें , " लघु- कथा लिखने की त्रुटि के लिए खेद है।" .शेष यह रचना एक अतुकांत कविता ही है। सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on November 16, 2017 at 4:27am
आद0 डॉ विजय शंकर जी सादर अभिवादन, आप ने जो लिखा है, भाव पक्ष के दृष्टिकोण से अच्छा है पर अगर प्रतिक्रिया को न् देखूँ तो इसको लघुकथा कहना मेरे लिए मुश्क़िल है, क्या लघुकथा ऐसे गेयता आधारित लिखी भी जा सकती है, गौर कीजियेगा।आद0 समर साहब की बात से सहमत हूँ। शेष भाव पक्ष के लिए आपको बधाई।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 15, 2017 at 10:39am
आदरणीय सलीम रज़ा रेवा जी, आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 15, 2017 at 10:38am
आदरणीय विजय निकोर जी, आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by SALIM RAZA REWA on November 14, 2017 at 8:05pm
आ. सुन्दर रचना के लिए बधाई.
Comment by vijay nikore on November 14, 2017 at 7:27pm

रचना में कटाक्ष बहुत अच्छा बना है। मैंने भी इस रचना को कविता की तरह पढ़ा, और थोड़ा confuse हो गया, पर फिर कटाक्ष का आनन्द आ गया। बधाई, आदरणीय विजय शंकर जी।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 14, 2017 at 11:30am
आदरणीय कालीपद प्रसाद मंडल जी , कविता को पसंद करने के लिए आभार एवं बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 14, 2017 at 11:30am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , आपने कविता को पसंद किया , आभार एवं बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 14, 2017 at 11:29am
आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार , लघु- कथा लिखने की त्रुटि के लिए खेद है। सादर।

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