For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लोकतंत्र - डॉo विजय शंकर

( 1 )
लोकतंत्र ?
जो लोक ले
उसी का तंत्र।

( 2 )
लोक तंत्र ,
इहलोक तक
परलोक का
विचार नहीं।

( 3 )
लोकतंत्र ,
लोक का तंत्र
या लोक से
ऊपर तंत्र।

( 4 )
शेर अकेला हो तो उसकी
दहाड़ के सामने भी आवाज़
उठा देते हैं लोग।
झुण्ड में भेड़-बकरिया हों तो
उनकीं हाँ में हाँ मिलाते हैं वही लोग।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 11, 2017 at 9:18am
आभार एवं धन्यवाद , आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 10, 2017 at 8:56pm

विजय सर , बेहतरीन कटाक्ष

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 10, 2017 at 10:04am
आभार एवं धन्यवाद आदरणीय सलीम रज़ा रेवा जी , सादर।
Comment by SALIM RAZA REWA on November 9, 2017 at 12:08pm
आदरणीय सुंदर रचना के लिए बधाई,
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 9, 2017 at 9:40am
आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार , जी बिलकुल यही वजह है भ्रमित होने की। बड़े बड़ी बातों की छोटी छोटी बारीकियों को न समझने के कारण। यहां तक कि जो इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं वे भी इसका सही अर्थ समझने की कोशिश नहीं करते हैं। आपकी उपस्थिति एवं प्रशिस्त के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Samar kabeer on November 8, 2017 at 9:01pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,लोक तंत्र के मुंह पर तमांचा मारती बहुत उम्दा क्षणिकाएँ लिखी हैं आपने,ये शब्द सिर्फ़ कहने सुनने में ही अच्छा लगता है,वास्तव में कहीं इसका अता पता नहीं मिलता,मिसाल के तौर पर अगर आज कोई बच्चा हमसे ये सवाल पूछ ले तो हम इस लायक़ भी नहीं हैं कि उसे इसकी सही परिभाषा बता सकें,इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 8, 2017 at 6:39am
आदरणीय मोहित मिश्र जी , नमस्कार , रचना को मान देने के लिए आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 8, 2017 at 6:37am
आदरणीय काली प्रसाद मंडल जी , आपकी सादर उपस्थिति एवं सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद, सादर।

J
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 8, 2017 at 6:37am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , नमस्कार , आपकी मनीषा अभिव्यक्ति के लिये बहुत बहुत धन्यवाद। इतिहास की विश्लेषणात्मक दृष्टि से देखें तो अभी हमारे यहां पूर्ण रूप से विकसित हुआ ही नहीं है। बिना समिष्टि के विकास के लोकतंत्र पूर्ण कैसे होगा। आभार , सादर।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 7, 2017 at 2:50pm

बहुत सुन्दर अंतिम परिभाषा , बधाई आपको आ विजय शंकर जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service