For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बात गज़ब की करते हो -- डॉo विजय शंकर

हालात बदलने की बात करते हो
आदमी बदल देते हो
हालात बदल नहीं पाते ,
या बदलना नहीं चाहते हो।
खुद को तरक्की पसंद कहते हो
तरक्की की बात करते हो
काम करने के पुराने तरीके
नहीं बदलते हो ,
आदमी बदल देते हो ।
उसने बहुत सहा , अब तुम सहो ,
इसी को सामाजिक न्याय कहते हो ,
गज़ब करते हो बिना हींग फिटकरी के
रंग चोखा करते हो ॥
तरक्की की बात करते हो
खुद को तरक्की पसंद कहते हो ॥
अच्छा करते हो कि बुरा, पता नहीं
पर बात गज़ब की करते हो ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 13, 2018 at 12:07am

बेहतरीन मार्गदर्शन/हिदायतें... कटाक्ष। हार्दिक बधाइयां आदरणीय डॉ. विजय शंकर साहिब।

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 12, 2015 at 1:45am
आभार एवं धन्यवाद , आदरणीय नीरज कुमार जी , सादर।
Comment by Neeraj Neer on April 11, 2015 at 10:43am

बहुत ही सुंदर विचारपूर्ण रचना ॥ 

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 10, 2015 at 8:46pm
प्रिय जीतेन्द्र जी , सुन्दर प्रशस्ति के लिए आपका बहुत बहुत आभार एवं बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 10, 2015 at 8:45pm
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी , आपका बहुत बहुत आभार एवं बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 10, 2015 at 8:09pm

जितनी छोटी ,उतनी ही प्रभावी रचना.  यह भी तो सच है सर,  कि हालात बदलने वाले को ही बदल दिया जाता है. प्रस्तुति पर बधाई

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 10, 2015 at 4:01pm

आदरणीय विजय सर ..इस सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई सादर

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 9, 2015 at 7:58pm
आदरणीय शिज्जु शकूर जी, रचना की प्रशस्ति के लिए आभार एवं बधाई हेतु बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 9, 2015 at 7:48pm

सुंदर रचना आदरणीय डॉ विजय शंकर सर आपको बहुत बहुत बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 9, 2015 at 6:11pm
आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी, रचना की प्रशस्ति के लिए आभार एवं बधाई हेतु धन्यवाद, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service