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सही - गलत -- डॉo विजय शंकर

हम इसके गलत की बात करते हैं
उसके गलत की बात नहीं करते हैं ,
हम इसके उसके की बात करते हैं
सही गलत की बात नहीं करते हैं।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2017 at 11:31pm
आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी , आपकी उपस्थिति एवं बधाई हेतु आभार एवं धन्यवाद, उत्तर के लिए विलम्ब हेतु क्षमा करें ,सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2017 at 11:29pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ,आपकी प्रेरक उपस्थिति एवं बधाई हेतु आभार एवं धन्यवाद, उत्तर के लिए विलम्ब हेतु क्षमा करें ,सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2017 at 11:29pm
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी , आपकी उपस्थिति एवं बधाई हेतु आभार एवं धन्यवाद, उत्तर के लिए विलम्ब हेतु क्षमा करें ,सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2017 at 9:02am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार ,बहुत बहुत शुक्रिया , आजकल कोस्टा रीका में हूँ , नेट की समस्या रहती है , विलम्ब के लिए क्षमा करेगें। सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2017 at 9:01am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , बहुत बहुत धन्यवाद , आभार , सादर।
Comment by narendrasinh chauhan on May 10, 2017 at 6:10pm

बहोत खूब 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 9, 2017 at 9:24pm

आदरनीय  विजय भाई , खूब सूरत रचना के लिये हार्दिक बधाई ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 9, 2017 at 6:53pm
आदरणीय विजय सर वाकई इतने कम शब्दों में आपने बेहद ख़ास बात की है इस रचना के माध्यम से ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by Samar kabeer on May 9, 2017 at 6:39pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,गागर में सागर समाने का मुहावरा सुना था,लेकिन देखा पहली बार है, वाह वाह, शब्दों के उलट फेर से क्या बात पैदा कर दी आपने,मुग्ध हो गया इस मुख़्तसर रचना को पढ़ कर,और जो पैग़ाम छुपा है इसमें उसका तो जवाब ही नहीं है,इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on May 9, 2017 at 1:26pm
वाह! वाह!! बेहतरीन नन्ही किन्तु संदेशप्रद रचना । बधाई स्वीकार करें आदरणीय विजय शंकर जी ।

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