For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : ज़रा  सोचिए दिल लगाने से पहले : SALIM RAZA REWA

122 122 122 122
....

महब्बत  की राहों  में जाने से पहले.

ज़रा  सोचिए  दिल  लगाने से पहले.
.
बहारों का इक शामियाना  बना  दो.
ख़िज़ाओं को गुलशन में आने से पहले.
.
गिरेबान में  झांक  कर अपने देखो.
किसी पर भी उंगली उठाने से पहले.
.
ग़रीबों की आहों से बचना है मुश्क़िल.
ये तुम सोच लो दिल दुखाने से पहले.
.
कभी चल के शोलों पे देखो रज़ा तुम.
महब्बत  की  बस्ती  जलाने से पहले.
..

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 867

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on October 15, 2017 at 9:20am

आदरणीय सलीम साहब,

अच्छी ग़ज़ल हुई है. शुभकामनाएं .

सादर 

Comment by SALIM RAZA REWA on October 15, 2017 at 7:55am
जनाब आरिफ साहब,
आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया.
Comment by Mohammed Arif on October 15, 2017 at 7:41am
गिरेबान में झांक कर अपने देखो.
किसी पर भी उंगली उठाने से पहले बहुत ही सच्चा शे'र पेश किया है आपने ।
बढ़िया ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 14, 2017 at 8:57pm

आदरणीय काली प्रसाद जी ,
आपकी मुहब्बत सलामत रहे बहुत बहुत शुक्रिया ,

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 14, 2017 at 8:35pm

आ सलीम साहब  बहुत उम्दा ग़ज़ल , बधाई |

Comment by SALIM RAZA REWA on October 14, 2017 at 2:32pm
आ. नीलेश जी बहुत शुक्रिया.
Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 13, 2017 at 6:46pm

आ. सलीम साहब,

अच्छी ग़ज़ल हुई है ..
मतले में शमअ का वज़'न ग़लत ले लिया है आपने  शायद..
अन्य शेर में शामियाना कर लें 
सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service