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Saurabh Pandey's Comments

Comment Wall (132 comments)

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At 7:20pm on November 7, 2014, Rahul Dangi Panchal said…
आदरणीय addmin जी विन्रम निवेदन है!

मै पहले की तरह गजल की क्लाश के शुरुआती प्रष्ठ नहीं पढ़ पा रहा हुँ ! केवल comments ही पढ़ पा रहा हुँ!
आदरणीय मेरी समस्या का समाधान करें!
At 4:39pm on October 23, 2014, Sushil Sarna said…

आपको  सपरिवार ज्योति पर्व की हार्दिक एवं मंगलमय शुभकामनाएं...

At 11:49am on September 6, 2014, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आदरणीय सौरभजी

महनीया सीमा जी के हिन्दी नवगीत पर मेरी टिप्पणी के निहितार्थ भी होंगे  इस सम्भावना  पर मैंने शायद उस समय विचार नहीं किया I  जो बात मन में आयी  वैसे ही कह दी I इससे सीमा जी को भी आघात लगा होगा i मै आपसे और सीमा जी  दोनों से क्षमा प्रार्थी हूँ I  मेरा अनुरोध है कि -'' सार सार को गहि रहे थोथा देय उडाय i''

सादर i

At 9:41pm on August 7, 2014, पं. प्रेम नारायण दीक्षित "प्रेम" said…
प्रिय पाण्डेय जी मुक्तको के प्रति आपके समालोचनात्मक चिंतन के प्रति साधुबाद। फिर कई सूत्र नई धुन के रुई निकले है के प्रति मेरा यह कहना है की रुई सूत्रो का राशि पिंड है जिसमे रुई एकवचन है और सूत्र बहुवचनांत ;जैसे सूर्य किरणो का राशि पिंड है सूर्य एकवचन और किरणे बहुवचनान्त। सूर्य में अनेको किरणे समाहित है इसी प्रकार रुई में अनेको सूत्र समाहित है। स्त्री लिंग रुई के रेशे को कात कर जो सूत्र बनता है वह पुल्लिंग हो जाता है।
At 8:58pm on June 15, 2014, mrs manjari pandey said…
आदरणीय सौरभ जी हमेशा की तरह हौसला बढ़ाया है मेरा. बहुत बहुत धन्यवाद। मै इन दिनों आस्ट्रेलिया में हूँ नाती दिन भर तो कुछ करने ही नहीं दे सकता. अतः जैसे तैसे सहभागिता बस हुई है।
At 2:37pm on March 16, 2014, Sushil Sarna said…

मेरी ओर से होली के पावन पर्व पर सपरिवार आप को होली की शुभकामनाएं। उस परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि वो सदा आपके आँगन में खुशियों के रंग बिखेरता रहे।

सुशील सरना

At 1:21pm on February 7, 2014, Sushil Sarna said…

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , नमस्कार - मेरे द्वारा प्रेषित ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।  सर सच कहूँ तो मुझे रदीफ़, काफिया और बह्र तो समझ आते हैं लेकिन मात्राओं का ज्ञान ग़ज़ल में समझ में नहीं आया हालांकि हिंदी में मात्राओं को मैं समझता हूँ।  इसके दीर्घ और लघु स्वरों की गिनती हिंदी से कुछ अलग लगती है।  अपने भावों को रदीफ़ और काफिये के नियम के साथ मेल करके ग़ज़ल लिखने की कोशिश की है।  मुझे ज्ञान तभी मिलेगा जब मैं जो जानता हूँ उसे उसी रूप में मंच पर प्रस्तुत करूं ताकि आप जैसे गुणी जनों की जब नज़र-ए-करम हो तो भावों को वो ज़मीन मिल सके जिसपर मैं भावों की महक के पुष्प खिला सकूं।  इतनी बात मैं अपने ब्लॉग में नहीं लिख सकता था इसलिए क्षमा सहित आपके पृष्ठ पर लिख रहा हूँ। पुनः आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

At 8:09am on February 5, 2014, ARVIND BHATNAGAR said…

आदरणीय सौरभ भाई जी
हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया । अपनी कवितायेँ पोस्ट करने के बाद दम साधे आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार करता हूँ , जिस से अपने को जानने का मौका मिलता है ।

At 12:58am on January 25, 2014, RAMESH YADAV said…

क्या बात है कितनी प्यारी रचनाएं है

At 7:35pm on January 8, 2014, Dr Dilip Mittal said…

" क्षणिकाये पसंद आने के लिये  धन्यवाद  "

At 2:57pm on December 15, 2013, Sushil Sarna said…

Resp.Sir, kripya maargdarshan krain ki main apnee prvishti motsav ke liye khaan aur kaise post kroon, kripya maargadarshan krain...filhaal main aapko apnee prvishti preshit kr rhaa hoon...kripya use ytha sthan pr shaamil kr anugrahit krain, dhnyvaad..

sushil sarna

prvishti hai :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 38
विषय - पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा !

विधा - रोला छंद

तज प्राणों का मोह ,वतन पे जान लुटाना
करे देश अभिमान , तिरंगा तन पे लगाना

कर दुश्मन का नाश ,लौट कर घर को आना
कायर माथे कलंक ,कभी न खुद को लगाना

हो भारत को नाज़ ,सपूत सच्चा बन जाना
बचा देश की लाज़ ,इक इतिहास बन जाना

मिट जाना मिट्टी पर ,मिट के अमर हो जाना
गूंजे जग में नाम,कोख की शान बढ़ाना

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

At 11:39am on December 6, 2013, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आदरणीय सौरभ जी

      आपका  मार्ग  दर्शन समय  समय  पर  मिलता  रहे i  इस कामना के साथ निवेदन ही कि युयुत्सु से मेरा तात्पर्य केवल युद्ध के लिए उद्दत से ही है  पर आपने मेरी  जानकारी  और् बढ़ा दी i

सादर आभार i 

At 8:59pm on December 5, 2013, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आदरणीय

मै तो इसे आप जैसे अनुभावों की कृपा मात्र समझता हूँ i

मै तो महज एक स्टूडेंट हूँ  i

आपके मार्ग दर्शन पर चलू तो यही मेरी सफलता है i

सादर i

At 10:51pm on December 3, 2013, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आदरणीय

सौरभ  जी दूं  आपको , भावों  का उपहार i

जीवन में आये सदा , यह दिन बारम्बार  ii

At 11:58am on December 3, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
said…

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय सौरभ जी.

At 8:50am on December 3, 2013, बृजेश नीरज said…

आदरणीया सौरभ जी,

जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें! ओबीओ सदस्यों को आपका मार्गदर्शन सदा मिलता रहे, ये साहित्य की धारा अनवरत बहती रहे, यही ईश्वर से प्रार्थना है!

At 7:15am on December 3, 2013, Ashok Kumar Raktale said…

आदरणीय सौरभ जी सादर,

                                   जन्मदिन की हार्दिक बधाई स्वीकारें. आपका सहयोग मुझे और अन्य नव रचनाकारों को सदैव मिलता रहे.इश्वर आपके जीवन को सदैव उल्लासमय रखे और हमें बार बार आपको शुभकामना देने का अवसर प्रदान करे.सादर.

At 6:42am on December 3, 2013, CHANDRA SHEKHAR PANDEY said…
जन्मदिवस की हार्दिक बधाईयाँ सर।

सादर नमन
At 1:07am on December 3, 2013, जितेन्द्र पस्टारिया said…

" जन्मदिन की  आपको हृदय से शुभकामनाये आदरणीय सौरभ जी"

At 5:19am on December 1, 2013, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आदरणीय  सौरभ जी

      आपकी विचक्षण योग्यता से अभिज्ञ हूँ i नत  मस्तक भी हूँ i  दोहे की रचना के सम्बन्ध में आपसे क्या कह सकता हूँ i मेरे मतानुसार  दोहे के जितने भेद व् उपभेद वर्तमान  काव्य शास्त्रियों ने खोज लिए है शायद पहले न रहे हो i इस समाय शायद २२ या 23 भेद सामने आ चुके है i माँ सरस्वती के स्मरण में दोहे  की रचना के समय  मेरे  सामने दो लक्ष्य थे i प्रथम जो संकेत  आपने छंदोत्सव के रचना काल में श्री अखिलेश जी को दिये थे  i उसमे आपने दोहे के आदि चरण के संयोजन के दो विकल्प दिए थे ३,३,2,३,2 या फिर ४,४,३,2 इसी प्रकार सम चरण के लिए आपने दो विकल्प दिए थे ४,४,३ और ३,३,३,2, मैंने इनमे ४,४,३,2 और ४.४.३ का चुनाव्  किया

           दूसरा आश्रय मैने कबीर जी के निम्नांकित  दोहे का लिया

 

माली आवत देख कर, कलियन करी पुकार i

 ४       ४    ३    2      ४        ४    ३

फूली  फूली  चुनि  लई, काल्हि  हमारी बार ii

 ४       ४        ३   2         ४    ४   ३

 

           आदरणीय बस मैंने इतना ही निर्वाह किया है i इसमें जो भी त्रुटि  हो कृपया  मार्ग दर्शन करने की कृपा करे i मै गुनीजनो से यावज्जीवन  सीखने के लिए प्रतिबद्ध हूँ i मुझसे उक्त कथन में  यदि कोई चूक हुयी ही तो कृपया आदरणीय छमा करेंगे i आपका शत शत आभार जो आपने इतना अनुग्रह किया और रचना में रूचि ली i  सादर i

कृपया ध्यान दे...

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