जा रे-जा रे कारे कागा मेरे छत पर आना ना
आना है तो आजा पर छत पर शोर मचाना ना
तू आएगा छत पर मेरे कांव-कांव चिल्लाएगा
ना जाने किस अतिथि को मेरे घर बुलाएगा
उल्टी पड़ी पतीली मेरी और चूल्हे में आंच नहीं
थाल सजाऊँ कैसे मैं घर में कोई अनाज नहीं
जा रे-जा रे कारी चींटी मेरे घर तू आना ना
टूटी मेरी कुटिया में तू अपना घर बसाना ना
तू आएगी साथ में अपने बैरी बादल लाएगी
छत से पानी टपकेगा फिर तू चैन से सो ना पाएगी
कच्ची मेरी कुटिया की फिर गीत जहाँ मे गायेगी
जो ना जाने हाल को मेरे उसको भी सुनायेगी
जा रे-जा रे चाँद निगोरे मेरी अटरिया आना ना
अपनी सुरत में मुझको परदेशी की याद दिलाना ना
तू आएगा साथ में अपने भूख भी मेरी ले आएगा
सुनी अँधियारी रातों में रोटी की याद दिलाएगा
बच्चे मेरे सोये भुखे पेट को गमछे से बांधे
द्वार निहारे नयन से अपने, बापु का रस्ता साधे
जा रे-जा रे शैतान चकोरे पीहू-पीहू बुलाना ना
साँझ ढले जब चैन ना आए मन मेरा भटकाना ना
तू बैठेगा डाल पर मेरे अपने साथी को जोहेगा
लेकिन मेरा पागल मन फिर प्रिय की यादों में खो जाएगा
वो जो हमको भूल है बैठा, रोटी की परवाह में
उसको भी ना चैन मिलेगा, हम लोगों की याद में
"मौलिक व अप्रकाशित"
अमन सिन्हा
Comment
अच्छी रचना है भाई अमन...बधाई
आ. भाई अमन जी, अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा है। पर अभी यह कुछ और समय चाहता है। इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
बहुत सुंदर मनुहार भरा गीत
लय कहीं कहीं अटक रही है , वहां साधने की कोशिश हो तो आसानी से गीत सध जाएगा
बधाई इस अभिव्यक्ति के लिए
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online