For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसने पायी मुक्ति है, कौन हुआ आजाद।
प्रश्न खड़ा हर द्वार  पर,  आजादी के बाद।।
*
कहने को तो भर  गये, अन्नों  से गोदाम।
फिर भी भूखे पेट हैं, इतने क्योंकर राम।।


गर्म आज भी खूब है, क्यों काला बाजार।
हर चौराहे लुट  रही, बहुत आज भी नार।।


अन्तिम जन है आज भी, पहले जैसा दीन।
चोर उचक्के  हो  गये, खुशियों  में तल्लीन।।
*
हाथ लिए जो लाठियाँ, अब भी पाता दाद।
किसने पायी मुक्ति है, कौन हुआ आजाद।।
*
देशभक्ति  अब  गौंण  है, गद्दारी  भरमार।
अर्थव्यवस्था इसलिए, रहती नित बीमार।।


निर्धन मरता जा रहा, सर पर लिए उधार।
मँहगाई की बात  पर, चुप रहती सरकार।।


पहले सी जनता बहुत, पीड़ित रहती खूब।
शासन दुख  देखे  नहीं, अपने  मद में डूब।।
*
सत्ता भोगी सिर्फ हैं, सकल देश दिलशाद।
किसने पायी मुक्ति है, कौन हुआ आजाद।।
*
सेवक बस निज स्वार्थ पर, देते  हैं नित जोर।
कब जनहित के काम को, संसद मचता शोर।।


ध्वनिमत से चुपचाप जो, बढ़ा रहे तनख्वाह।
कुर्सी  खातिर  रच  रहे,  भूल  दुश्मनी ब्याह।।


लोक लुभावन  घोषणा, करके  पाते वोट।
नाली में सब फेंक फिर, स्वयं छापते नोट।।
*
भ्रष्ट  आचरण  की  बहुत, पैदा करते गाद।
किसने पायी मुक्ति है, कौन हुआ आजाद।।

*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 65

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 24, 2024 at 9:47pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गीत पर आपकी उपस्थिति और स्नेह पा लेखन सफल हुआ। हार्दिक आभार..

Comment by Samar kabeer on August 24, 2024 at 2:40pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच्छा दोहा गीत हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 22, 2024 at 10:47pm

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गीत पर आपके अनुमोदन से मन आस्वस्त हुआ। स्नेह के लिए आभार।

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 22, 2024 at 7:04pm

ध्वनिमत से चुपचाप जो, बढ़ा रहे तनख्वाह।
कुर्सी  खातिर  रच  रहे,  भूल  दुश्मनी ब्याह।।...........बढ़िया मुहावरा रचा है. 

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, देश के सामान्य नागरिक की पीड़ा को मुखर करता सुन्दर दोहागीत रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 17, 2024 at 9:03am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 17, 2024 at 9:03am

आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by Sushil Sarna on August 16, 2024 at 8:39pm

बेहतरीन 👌 प्रस्तुति आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।हार्दिक बधाई 

Comment by Aazi Tamaam on August 15, 2024 at 7:32pm

वाह वाह बेहतरीन गीत हुआ दोहा के रूप में आ धामी सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"चूंकि मुहतरम समर कबीर साहिब और अन्य सम्मानित गुणीजनों ने ग़ज़ल में शिल्पबद्ध त्रुटियों की ओर मेरा…"
Monday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)

1222 - 1222 - 1222 - 1222ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ कि वो इस्लाह कर जातेवगर्ना आजकल रुकते नहीं हैं बस…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Monday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदरणीय समर कबीर जी को जन्म दिवस की हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाऐं "
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब को ज़िन्दगी का एक और नया साल बहुत मुबारक हो, इस मौक़े पर अपनी एक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आ. भाई समर जी को जन्म दिन की असीम हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाई।"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"ओ बी ओ पर तरही मुशायरा के संचालक एवं उस्ताद शायर आदरणीय समर कबीर साहब को जीवन के अड़सठ वें वर्ष में…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा त्रयी .....वेदना
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Friday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा त्रयी .....वेदना
"आ. भाई सुशील जी, सादर आभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service