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सदियों से शोषित-दमित समाज में -
तुम्हारे पास स्पष्ट समझ है
एकदम साफ रास्ता है -
लूट के घिनौने यंत्र को बरकरार रखने में !
लूट के लिए खून बहा देने में !
लूट के खिलाफ उठी हर आवाज को कुचल डालने में !
हैरत तो यह है कि,
कितनी आसानी से सफल हो जाते हो तुम,
अपने नापाक इरादों में !

सच ! तुमको कितना मजा आता है -
अस्मत लुटी औरतों की दर्दनांक मौत में !
लोगों को आपस में ही लड़ा डालने में !
उनके बीच में ही संदेह का बीज पनपा डालने में !
तुम कितनी आसानी से सफल हो जाते हो,
लोगों को बरगला डालने में !

 
2
कुछ बेकार होता,
अगर न होती तुम्हारे पास मजबूत राजसत्ता,
निजी सम्पत्ति का पहरेदार.
लोगों के शरीर से आखरी बूंद तक
निचोड़ डालने के लिए.
परन्तु, तुम्हारा सब कुछ बेकार होता -
गर लोगों के विवेक-बुद्धि को तुमने
ढक न दिया होता
अज्ञानता-अन्धविश्वास-धर्म जैसी
धूल की मोटी परत से, और
हजारों साल से जमी धूल को
साफ करने खातिर उठी हर आवाज को
हर हाथ को,
कुचल न डालते तुम
अपने पाश्विक दमन से...
3
पर हमारी यह कुचली आवाज ही
खून से लथपथ हमारे टूटे हाथ ही
सक्षम है,
लोगों के विवेक-बुद्धि पर पड़ी
इस धूल को साफ कर
तुम्हारे विरूद्ध विद्रोह कर डालने में !!!

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 20, 2012 at 4:00pm

रोहितजी, आज आपकी दो रचनाओं को देख गया.  इस दूसरी रचना ’धूल’ का इंगित दमित और राजनैतिक रूप से कुटिल मनस के पीड़ित हैं. व्यथित स्वरों को आपने मुखर किया, साधुवाद.

ध्यातव्य :  धूल स्त्रीलिंग संज्ञा है.  प्रस्तुत रचना में सम्बद्ध क्रियाओं और कारकों को दुरुस्त कर दिया गया है.

Comment by MAHIMA SHREE on April 20, 2012 at 3:17pm
पर हमारी यह कुचली आवाज ही
खून से लथपथ हमारे टूटे हाथ ही
सक्षम है,
लोगों के विवेक-बुद्धि पर पड़े
इस धूल को साफ कर
तुम्हारे विरूद्ध विद्रोह कर डालने में !!!

वाह रोहित जी , नमस्कार ...इसे कहते है क्रांति का बिगुल ....
जोश और होश जगाती रचना के लिए बहुत बधाई आपको
Comment by Sarita Sinha on April 20, 2012 at 1:40pm

रोहित जी नमस्कार,

उत्कृष्ट व्यंग्य, निशाने  पर चोट करता हुआ.......बधाई...
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 19, 2012 at 6:28pm

पर हमारी यह कुचली आवाज ही
खून से लथपथ हमारे टूटे हाथ ही
सक्षम है,
लोगों के विवेक-बुद्धि पर पड़े
इस धूल को साफ कर
तुम्हारे विरूद्ध विद्रोह कर डालने में !!!

kya shandaar chunauti hai, badhai rohit ji, saadar

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