For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रौशनी तो उतनी ही देती है
कि सारा जहाँ जगमगा दे
निरंतर जल हर चेहरे पर
खुशियों की नदियाँ बहा दे
फिर भी नकारी जाती है क्यों??
वो अधजली लौ

मूक बन हर विपत्ति सह
पराश्रयी बन जलती जाती
परिंदों को आकर्षित कर
जलाने का पाप भी सह जाती
फिर भी दुत्कारी जाती है क्यों??
वो अधजली लौ

जीवन पथ पर तिल तिल जलती
आघृणि नहीं बन कर शशि
हर घर को तेज से अपने
रौशन करते हुए है चलती
फिर भी धिक्कारी जाती है क्यों??
वो अधजली लौ

अपना अस्तित्व कब खोज पायेगी
दूसरों के लिये नहीं अपने लिये
ये भी मुस्कुराकर जी जायेगी
बनावटी नहीं खालिस बन
कब पहचानी जायेगी??
वो अधजली लौ

Views: 436

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by deepti sharma on October 15, 2012 at 5:20pm

आदरणीय लक्ष्मण जी ...आदरणीया राजेश कुमारी जी .. आदरणीय राजेश जी .. बहुत बहुत आभार आप सभी का ..

Comment by राजेश 'मृदु' on October 5, 2012 at 3:40pm

बहुत सुंदर लिखा है आपने, इस अधजली लौ के गूढ़ार्थ अनेक हैं । साधुवाद उत्‍तम रचना के लिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 5, 2012 at 12:43pm

मूक बन हर विपत्ति सह
पराश्रयी बन जलती जाती
परिंदों को आकर्षित कर
जलाने का पाप भी सह जाती
फिर भी दुत्कारी जाती है क्यों??
वो अधजली लौ-----बढ़िया बिम्ब बहुत अच्छी  प्रस्तुति 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 5, 2012 at 10:52am

फिर भी वो नक्कारी जाती, दुत्कारी जाती, धिक्कारी जाती अधजली लौ सुन्दर अभिव्यक्ति 

बधाई दीप्ति शर्मा जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service