For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी यूं ही सिखाती रहती है

जिंदगी के सफर में हजारों- लाखों मुसाफिर मिलते है. इन मुसाफिरों में ही आपके दोस्त छिपे होते है. इनमें से जिनकी बातें आपको प्रभावित करती है या आपकी बातें जिनको प्रभावित करती है, वह आपके दोस्त बन जाते है. बाकी फिर वैसे ही छूट जाते है अजनबियों की तरह. यहां पर गौर करने की बात है कि आपके दोस्त भले ही अजनबियों की तरह हजारों-लाखों की भीड़ में छिपे होते है, पर आपका दुश्मन आपके दोस्तों में ही छिपा हुआ होता है. बस जरूरत होती है उसको पहचानने की. अनजाने लोग आपके दोस्त तो हो सकते है, पर आपके दुश्मन नहीं. क्योंकि जिसका खुद से कोई मतलब नहीं या जिससे कोई मतलब नहीं, वह दुश्मनी निभाकर क्या करेगा. लेकिन यह सच है कि दोस्त हमेशा पराया और दुश्मन हमेशा अपना ही निकलता है. उसकी दुश्मनी की वजह भी साफ होती है. कभी एक ही रास्ते के हम राही जब एक-दूसरों की जरूरत या उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते, तो वह आपस में दुश्मनी की शक्ल में अख्तियार कर लेते है. चाहे बात रामायाण की हो या महाभारत की. इनमें भी दुश्मनी की शुरूआत अपनों से हुई है और उसका अंत युद्घ के रूप में हुआ है. किसी वजह से अनजान दुश्मन आ जाए तो उससे निपटा जा सकता है. लेकिन यदि अपने भी दुश्मन के साथ जाकर मिल जाए, तो अपनी हार निश्चित ही समझिए. यूं ही थोड़े कहा जाता है कि घर का भेदी लंका ढहाए. महापंडित रावण को तो भगवान श्रीराम भी मारने में असक्षम थे, तब ऐसे में रावण के भाई विभीषण ने ही उनकी मदद की थी. भले ही वह असत्य की बजाय सत्य के साथ था. इस प्रकरण से एक संदेश तो साफ मिलता है कि अगर किसी भी वजह से दुश्मनी निभाने का मौका आ ही जाए तो सबसे पहले अपने विभीषण जैसे दोस्तों और अपनों को दूर किया जाए. इसलिए सफलता हासिल करनी है तो कभी भी ऐसा कुछ मत कीजिए कि अपने आपके दुश्मन हो जाए. दुश्मनों से कभी भी दोस्त जैसा व्यवहार न करिए और न ही कभी दोस्तों से दुश्मनों जैसा. दोस्त को दोस्त ही रहने दिया जाए और दुश्मन को दुश्मन. इस बात को साबित करने के लिए सरबजीत का मामला ही काफी है. भारत पाक की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाता रहा है और पाकिस्तान ने दोस्ती कैसे निभाई आज हर कोई जानता है. यूं तो सीखने के लिए एक उम्र कम पड़ती है, लेकिन सीखने वालों के एक क्षण ही काफी होता है. बस शर्त एक ही है कि सीखने की लालसा होनी चाहिए. जिंदगी यूं ही सिखाती रहती है और हम सीखते रहते है.

Views: 621

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 6, 2013 at 8:02pm

सही लिखा है आपने, बधाई -सही तो यही है कि निन्दक नियरे राखिये आगन कुटी छुआय 2 ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर 

3 कोऊ नृप होय हमें का हानि ४ प्रभु सबका भला करे, आदि आदि | 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 6, 2013 at 7:50pm

आदरणीय हरीश जी सादर, आपकी इस बात से पूर्ण सहमत हूँ की दोस्तों के बीच दुश्मन भी छिपे होते हैं पहचानने की आवश्यकता है. किन्तु पाकिस्तान को दोस्त की तरह बताना उचित नहीं लगा पाकिस्तान से हम मित्रता का प्रयास ही कर रहे हैं किन्तु हम सदा से शत्रु ही रहे हैं.सादर.

Comment by vijay nikore on May 6, 2013 at 12:39pm

 

अनुमोदन के लिए धन्यवाद, अखिलेश जी।

हम अपनी प्रार्थना में सभी के लिए भला माँगें,

और यह भला अभिज्ञता से माँगें,

दुश्मन के लिए भी।


सादर,

विजय निकोर

Comment by Akhilesh Dubey on May 6, 2013 at 11:18am

विजय निकोर साहब, बहुत सही बात कही, और सायद जीवन में यही सीख लिया  तो बुद्धतत्व की प्राप्ति कही  नही 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 6, 2013 at 11:06am

आदरणीय भट्ट जी 

सादर 

आज मैं भी यही सोच रहा था .जो जिस श्रेणी में है उसे वही माना जाये . 

आभार विचार रखने हेतु. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 6, 2013 at 10:18am

अच्छा प्रयास है.

विभीषण को सत्य की राह पर अडिग होने के बावज़ूद उसे कोंसना कहाँ तक की स्वस्थ तार्किकता है ?

हम जब इस तरह के आलेख प्रस्तुत करें तो पिटी-पिटाई बातों से हट कर कहें तो ही उचित. अन्यथा हम अनायास ही असत्य को पोषित करते हुए बड़ी-बड़ी बातें करते नज़र आयेंगे.

शभ-शुभ

Comment by coontee mukerji on May 6, 2013 at 10:00am

दुश्मनों से कभी भी दोस्त जैसा व्यवहार न करिए और न ही कभी दोस्तों से दुश्मनों जैसा. दोस्त को दोस्त ही रहने दिया जाए और दुश्मन को दुश्मन......../यह कहना बहुत मुश्किल है  कि कब दोस्त दुश्मन बन जाए और दुश्मन दोस्त ......कुछ सिरफिरे लोगों के कारण दोस्ती जैसे शब्द बदनान होते आये हैं........इंसान को हमेशा इसी प्रयास में रहना चाहिये कि दिलसे दुश्मनी निकाल कर हमेशा दोस्ती का बढ़ाने में तत्पर  रहना चाहिये .....लेकिन अपनी सुरक्षा में कोई भी आँच न आनी देनी  चाहिये ......आपने  एक थप्पड़ मारा मैंने दो .......ह्मारी  संतान ने  अनगिंत थप्पड़  एक दुसरे को मारते रहेंगे ........यह कारवाँ कहाँ जाकर  रूकेगी....भाई साहब  .....कहीं न कहीं पूर्ण  विराम तो  लगनी ही  चाहिये .

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 6, 2013 at 9:47am

आ0  हरीश भट्ट जी,  बहुत ही समसामयिक सोच।  जी! गीता में भी स्पष्ट किया गया है कि न कोई अपना है और न ही कोई पराया।  फिर, शोक- हर्ष क्यों?  बस केवल अपना लक्ष्य-’सदधर्म’ को साधो!!...सकारात्मक सुन्दर।  ढेरों शुभकामनाएं और बधाईयां।   सादर,

Comment by vijay nikore on May 6, 2013 at 8:50am

हरीश जी,

 

//यह सच है कि दोस्त हमेशा पराया और दुश्मन हमेशा अपना ही निकलता है.//

//इसलिए सफलता हासिल करनी है तो कभी भी ऐसा कुछ मत कीजिए कि अपने आपके दुश्मन हो जाए//


उपरोक्त से बिलकुल सहमत हूँ.. बहुत ही सच कहा है आपने।


//दुश्मनों से कभी भी दोस्त जैसा व्यवहार न करिए//


... मेरा मत है कि हमें दुश्मन के साथ दुश्मन-सा व्यवहार करने की ज़रूरत नहीं है। Just observe normal courtesies without coming too close to the enemy, but why create negative chemicals in us by acting as an enemy? It takes energy to be negative with any one. Also, sometimes our enemy may see the goodness in us, and change his/her stance.


आपने अच्छा लेख लिखा है।


सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
19 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
19 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service