For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"हिन्दी-दिवस" -अर्पणा शर्मा भोपाल

राजभाषा हिन्दी के दिवस का
अवसर है पधारा,
14 सितम्बर 1949 के दिन
देवनागरी हिन्दी को
हमने अपनी
राजभाषा स्वीकारा,
यही ऐतिहासिक दिन
हिन्दी दिवस नाम से
जाता है पुकारा,
भारत की अनेकों भाषाओं के बीच
हिन्दी का आकर्षण
सबसे न्यारा,
ज्यों विशाल समुद्र में
मिल जातीं
सहस्त्रों जलधारा,
त्यों हिन्दी ने
सब भाषाओं को स्वीकार कर
अपना अस्तित्व सँवारा,
उर्दू, अरबी, संस्कृत,
फारसी, पाली, प्राकृत,
सबसे इसका नाता न्यारा,
विभिन्न भाषा-भाषी
राज्यों को पिरो के एक सूत्र में
संपूर्ण हिन्द में,
जगाती यह भाईचारा,
अनेकता में एकता का
देती यह नारा,
विश्व में हिन्द की अलख जगाये,
प्रसारे हिन्द की गौरव-गाथा,
आओ बढायें हिन्दी का मान,
चहुँ ओर इसका फहरायेँ परचम,
घर, बाहर इसी में सब काम,
हिन्दी में ही वार्तालाप आनंद,
शिक्षा में दिलायें इसे प्रमुख स्थान,
हिन्दी में ही हो तकनीकी ज्ञान,
रोजगार उन्मुख हो
हिन्दी अध्ययन- पाठन,
नई पीढी ले इसका
गंभीर संज्ञान,
हिन्दी का है साहित्य
अनूठा-अपार,
रचयिता इसके
साहित्यकार महान,
इसने हिन्द का इतिहास सँवारा,
संपूर्ण विश्व करता
इसका सम्मान,
अक्षुण्ण रहे इसकी मैलिकता,
सुदृढ हो इसकी वैश्विकता,
रहे सदैव यही प्रयास हमारा,
हिन्दुस्तानियों का ये अभिमान,
हिन्दी से ही हिन्द की शान,
गुँजाये समवेत सब मिल
यह गर्वीला नारा,
"हिन्दी हैं हम वतन हैं,
प्यारा हिन्दुस्तान हमारा "
.
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 442

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on September 17, 2017 at 11:51pm
आदरणीया अर्पणा शर्मा जी आदाब, हिंदी की गरिमा-गौरव और प्रासंगिकता को रेखांकित करती बेहतरीन रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on September 17, 2017 at 11:10pm
मोहतरमा अर्पणा शर्मा जी आदाब,हिन्दी दिवस पर अच्छी कविता लिखी,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 10:03pm

अच्छा प्रयास हुआ है आपका आदरणीया अर्पणा जी | हार्दिक बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 16, 2017 at 5:53pm

हिन्दी दिवस के औचित्य और  इतिहास को कविता का रूप देने की अच्छी कोशिश हुई है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
9 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service