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गज़ल: चले भीआओ मेरे यार दिल बुलाता है

1212, 1122, 1212,22/112

*****

चले भी आओ मेरे यार दिल बुलाता है
यूँ रूठकर भी भला अपना कोई जाता है//1

सज़ा भी दे दो मुझे अब मेरे गुनाहों की
उदास चेहरा तुम्हारा नहीं सुहाता है//२

उदास तुम जो हुए ज़िंदगी उदास हुई
कोई भी जश्न मुझे अब नहीं हंसाता है//३

तुम्हारे दम से ही हर सुब्ह मेरी ज़िंदा थी
हर एक शाम का मंज़र मुझे रुलाता है//४

नज़र फिराई जो तुमने वो एक लम्हे में
हर एक लम्हा ही ठोकर लगा के जाता है//५

ग़मों की भीड़ में जब भी भटक मैं जाता हूँ
तेरा वजूद ही रस्ता मुझे दिखाता है//६

क़मर उदास न हो ग़म के दिन ये थोड़े हैं
हृदय में रहता है जो लौट के वो आता है//७

-- क़मर जौनपुरी

मौलिक अप्रकाशित

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Comment by नाथ सोनांचली on January 7, 2019 at 9:02am

आद0 क़मर जौनपुरी जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल पर शैर दर शैर बधाई देता हूँ। सादर

Comment by राज़ नवादवी on January 6, 2019 at 1:32pm

जनाब क़मर जौनपुरी जी आदाब,सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ. सादर. 

Comment by Samar kabeer on January 3, 2019 at 9:57pm

जनाब क़मर जौनपुरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

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