आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक सौ आठवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
18 अप्रैल 2020 दिन शनिवार से 19 अप्रैल 2020 दिन रविवार तक
इस बार के छंद हैं -
कुण्डलिया छंद और सार छंद
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो
18 अप्रैल 2020 दिन शनिवार से 19 अप्रैल 2020 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय केशव जी सादर, सुंदर कुण्डलिया छंद रचा है आपने. किन्तु चित्र को जैसे बस छूकर निकल गया है. चित्र और भी अधिक परिभाषित होना चाहिए था. छंद की द्वितीय पंक्ति में छंद शिल्प के लिए /अगुआ हैं डॉक्टर पुलिस/ कर लेना उचित होगा. इस सृजन पर बहुत बधाई स्वीकारें. सादर .
सुन्दर छंद सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीय केशव जी। चित्र से भी कुछ भाव ले लेना उत्तम रहता।
आदरणीय केशवजी
चित्र के अनुरूप सार्थकसुंदर रचना की हार्दिक बधाई
कुंडलिया छंद
वर्दी में कर्तव्य पर, तत्पर पुलिस जवान।
नेक कर्म संकल्प दृढ, मानस में निज ठान।
मानस में निज ठान, कर्म वह निभा रहा है।
वृद्धा को दे अन्न, क्षुधा पुनि मिटा रहा है।
असहायों का 'सत्य', आज बनकर हमदर्दी।
हुई जगत में धन्य, मान फिर पाकर वर्दी।।
~मौलिक व अप्रकाशित
चित्रानुकूल सुन्दर सृजन के लिए कोटिशः बधाई स्वीकारें सादर ।
आदरणीया सुनंदा झा जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के आपका हृदय से आभार
सतनारायण सिंह जी, लिखते छन्द सटीक
जो करता है चित्र का, कथन यहाँ पर ठीक
कथन यहाँ पर ठीक, शब्द बात सकल कहतें
वर्दी जब तैयार, रहें जन क्यों गम सहतें
कर्मवीर के कर्म, बोलते हैं रामायण
औ कुण्डलिया छंद, रचें हैं सतनारायण।
सादर
आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी प्रस्तुति पर आपकी काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ.
आ. भाई सत्यनारायण जी, चित्रानुरूप सुंदर छन्द हुए हैं । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।
पस्तुति को सराहने के लिये आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी
हुई जगत में धन्य, मान फिर पाकर वर्दी।।// वाह बहुत सुन्दर .. प्रदत्त चित्र पर सुन्दर कुण्डलिया सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी।
रचना को सराहने के लिए आपका हृदय से आभार आदरणीया प्रतिभा पांडे जी
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1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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