आपका हृदय से आभारी हूं सुरेन्द्र भाई.......मुझे भी अत्यंत प्रसन्नता हुई कि आप भी मेरे ही जनपद के हैं.......यह स्नेह दिनोंदिन प्रगाढ हो ऐसी कामना है !!!!
सुरेन्द्र भाई नमस्कार "हम दोनों सागर के तट पर ना जाने कितनी बार एक साथ बैठ के साझा सूरज डुबा दिया करते थे क्या उन्हें उसका एक भी लम्हा याद नहीं आता होगा ! उनके स्पर्स को मै दिल से महसूस किया करता था ! क्या उनका स्पर्स मात्र एक छलावा था ? जो भी कुछ हो मै आज भी उन्हें यही दुवा दूंगा की
ओ जहाँ रहे वहाँ दर्द न हो...खुशी हो...रौशनी हो...खुशबुएं हों मुरादे मन की पूरी हो,..........!!! मै एक संस्था की अस्थापना करूंगा जो जरुरत मंद के लिए हमेशा कम करती रहेगी >>!!!!!!!!!!!!
सुरेन्द्र भाई नमस्कार ....!!! दर्द में भी जीने का अपना एक मज़ा होता है ! उन्होंने जितने भी वादे किये थे उस वक्त बहुत सहज और सरल लगा था ! लेकिन आज ऐसा लगता है की उन्होंने एक बड़ा अजीब सा वादा किया था ! मुझे ख़ुशी इस बात की है की मैंने एक भी वादा तोड़ा नहीं ....किये भी वही...तोड़े भी वही......... !!!!
सादर अभिवादन ! मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "उगता सूरज -धुंध में" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) पुरस्कार के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको पुरस्कार राशि रु ५५१ और प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस नामित कृपया आप अपना नाम (चेक / ड्राफ्ट निर्गत हेतु) तथा पत्राचार का पता व् फ़ोन नंबर
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SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR's Comments
Comment Wall (28 comments)
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आपकी मित्रता का ह्रदय से स्वागत है आदरणीय सुरेन्द्र जी
सादर!
आपका बहुत बहुत दिली शुक्रिया, आदरणीय शुक्ल जी .. आपको मेरी कोशिश पसन्द आई, मेरी मेहनत कामयाब हुई..
मित्रता सौभाग्य लाती है। मैं पावन हुआ। आपका हार्दिक स्वागत है।
आपका हृदय से आभारी हूं सुरेन्द्र भाई.......मुझे भी अत्यंत प्रसन्नता हुई कि आप भी मेरे ही जनपद के हैं.......यह स्नेह दिनोंदिन प्रगाढ हो ऐसी कामना है !!!!
आदरणीय ज्येष्ठ भ्राता सुरेन्द्र जी........आपका बहुत-बहुत धन्यवाद..........जय श्री राधे............
सुरेन्द्र भाई नमस्कार
"हम दोनों सागर के तट पर ना जाने कितनी बार एक साथ बैठ के साझा सूरज डुबा दिया करते थे क्या उन्हें उसका एक भी लम्हा याद नहीं आता होगा ! उनके स्पर्स को मै दिल से महसूस किया करता था ! क्या उनका स्पर्स मात्र एक छलावा था ? जो भी कुछ हो मै आज भी उन्हें यही दुवा दूंगा की
ओ जहाँ रहे वहाँ दर्द न हो...खुशी हो...रौशनी हो...खुशबुएं हों मुरादे मन की पूरी हो,..........!!! मै एक संस्था की अस्थापना करूंगा जो जरुरत मंद के लिए हमेशा कम करती रहेगी >>!!!!!!!!!!!!
सुरेन्द्र भाई नमस्कार ....!!!
दर्द में भी जीने का अपना एक मज़ा होता है ! उन्होंने जितने भी वादे किये थे उस वक्त बहुत सहज और सरल लगा था ! लेकिन आज ऐसा लगता है की उन्होंने एक बड़ा अजीब सा वादा किया था ! मुझे ख़ुशी इस बात की है की मैंने एक भी वादा तोड़ा नहीं ....किये भी वही...तोड़े भी वही......... !!!!
सुरेन्द्र भाई नमस्कार ! ग़ज़ल पर आपकी सधी हुई प्रतिक्रिया और उत्साहबर्धन के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! ऐसे ही स्नेह और आशीर्वाद बनाए रखें ! साभार !
आदरणीय भ्रमर जी आपका हार्दिक हार्दिक हार्दिक धन्यवाद
देवकृपा से यात्रा सफल रही और यहाँ भी ओ बी ओ का प्यार मिला
मन से आभार .धन्यवाद !
सुरेन्द्र जी ,आप जैसे साहित्यकार से मित्रता मेरे लिए सौभाग्य की बात है ,आभार
महीने का सर्वश्रेष्ठ रचनाकार चुने जाने पर हार्दिक बढ़ाई स्वीकार करें अग्रज!! जय श्री राधे..
आदरणीय श्री सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर जी आपकी रचना "शीर्षक :- उगता सूरज -धुंध में" को महीने की श्रेष्ठ रचना चुने जाने पर हार्दिक बधाइयाँ !!
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
आदरणीय सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर जी ,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "उगता सूरज -धुंध में" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) पुरस्कार के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
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शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
भ्रमर जी ,मित्रता का अभिवादन है ,धन्यवाद
thanks
apka hardik swagat hai.............
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