For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उधर जब तपन है..( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

 

122 122

उधर जब तपन है
इधर भी अगन है

अदू साथ तेरे
मुझे क्यों जलन है

ये क्यों मीठी मीठी
सी दिल में चुभन है

वही दुश्मन-ए-जाँ
वही जान-ए-मन है

सुखी वो नहीं पर
दुखी आज मन है

जहाँ फूल थे कल
वहाँ आज गन है

यहाँ झूठ सच है
यही तो चलन है

कहो कुछ भी'सालिक'
तुम्हारा दहन है

*मौलिक एवं अप्रकाशित.

Views: 564

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सालिक गणवीर on October 15, 2020 at 10:06am

आदरणीय समर कबीर साहिब
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.आपकी इस्लाह से ग़ज़ल की ख़ूबसूरती बढ़ गई है मुुुहतरम.शुक्रिय: सलामत रहेंं.

Comment by सालिक गणवीर on October 15, 2020 at 10:02am

आदरणीया रचना जी

अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.

Comment by Rachna Bhatia on October 14, 2020 at 10:45am

आदरणीय सलिक गणवीर जी, नमस्कार। बेहतरीन ग़ज़ल हुई।सर् की इस्लाह के बाद ग़ज़ल निखर गई है।

Comment by Samar kabeer on October 13, 2020 at 9:03pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।

'सभी ग़ैर साथी
मुझे क्यों जलन है'

इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं हुआ,उचित लगे तो ऊला यूँ कह सकते हैं:-

'अदू साथ तेरे'

'न काँटा लगा है
मगर क्यों चुभन है'

इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं हुआ, उचित लगे तो यूँ कह सकते हैं:-

'ये क्यों मीठी मीठी

सी दिल में चुभन है'

'कहो यार 'सालिक''

इस मिसरे को उचित लगे तो यूँ कह सकते हैं:-

'कहो कुछ भी 'सालिक' '

Comment by सालिक गणवीर on October 11, 2020 at 10:28pm

भाई निवेश 'नूर' साहिब

सराहना के लिये आभारी हूँ मान्यवर.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 7, 2020 at 9:03am

आ. सालिक जी,
छोटी बहर में अच्छा प्रयास हुआ है.. थोडा और वक़्त देते तो कई शेर और निखर कर आते ..
प्रयास हेतु सराहना और बधाई स्वीकार करें,
सादर 

Comment by सालिक गणवीर on October 6, 2020 at 6:07pm

भाई लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.

Comment by सालिक गणवीर on October 6, 2020 at 6:06pm

आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर' साहिब
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 6, 2020 at 5:28pm

आदरणीय सालिक गणवीर जी जी आदाब, छोटी बह्र में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 6, 2020 at 1:57pm

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
42 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
55 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service