For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवयुग की नारी (गीत)- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

यह नवयुग की नारी है, सुमन रूप चिंगारी है।।

अबला औ' नादान नहीं अब।
दबी हुई पहचान नहीं अब।।
खुली डायरी का पन्ना है,
बन्द पड़ा दीवान नहीं अब।।
अंतस स्वाभिमान भरा है, लिए नहीं लाचारी है।।
यह नवयुग की नारी है.....

संघर्षों में तप कर निखरी।
पैमानों पर चोखी उतरी।।*
जितना इसको गया दबाया,
उतना बढ़चढ़ यह तो उभरी।।*
हल्के में मत इस को लो, छिपी हुई दोधारी है।।
यह नवयुग की नारी है.....

इसका साहस जब नभ गाता।
करता सुनकर गर्व विधाता।।
घर, बाहर कर्तव्य निभाती,
कहना नहीं, नहीं है आता।।
रौंदे जो उत्तुंग शिखर भी, करती लहर सवारी है।।
यह नवयुग की नारी है.....

मोम भले ही कहलाती है।।
हर साँचे में ढल जाती है।।
दीप शिखा जैसा ले जीवन,
जो हर घर तमस मिटाती है।।
स्वयं सिद्ध हुई गुणों से, हर पद की अधिकारी है।।
यह नवयुग की नारी है.....

जहाँ तहाँ आधार बनी है।।
इस कारण ही पंक सनी है।।
नहीं बूझता पौरुषवादी,
इसकी पीड़ा बहुत घनी है।।
सुख का हर भण्डार लिए, भले बहुत दुखियारी है।।
यह नवयुग की नारी है.....

नारी ने कमजोर किया कब।।
पीड़ित हूँ ये शोर किया कब।।
कर्तव्यों को हर दुख झेला,
हर्षों को निज ओर किया कब।।
हर जीवित रिश्ते पर वो, पहले सी बलिहारी है।।
यह नवयुग की नारी है.....

नहीं पराजित करना चाहे।।
बस परिवर्तन भरना चाहे।।
पौरुष से कब रही लड़ाई,
सहचर बनी उभरना चाहे।।
सोच बदलकर समझो ये, कहाँ नहीं आभारी है।।
यह नवयुग की नारी है.....

शत्रु निरूपित करो नहीं तुम।।
और वैमनस्य भरो नहीं तुम।।
द्वार नर्क का बोल इसी को,
पगपग पर यूँ वरो नहीं तुम।।
बालापन में पूजा कर, कहते जब अवतारी है।।
यह नवयुग की नारी है.....

**

मौलिक . अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 476

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 19, 2022 at 8:11am

आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। उपस्थिति , स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। 

आपका मार्गदर्शन इस विधा को साधने में सहायक होगा। सादर..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 18, 2022 at 9:22pm

आपका प्रयास श्लाघनीय है, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. 

यह अवश्य है कि यह प्रस्तुति गेय, तुकान्त कविता है. साहित्यिक गीत यदि किसी प्रबंध अथवा खण्ड काव्य का हिस्सा न हों तो कुल तीन से चार अंतरों में ही अपने विषयवस्तु के साथ मान्य होते हैं. 

आप अभ्यासरत रहें ्.

शुभातिशुभ

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 13, 2022 at 6:39pm

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति, प्रशंसा व सुझाव के लिए आभार। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 13, 2022 at 4:21pm

आ. वीना जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व सराहना के लिए आभार ।

Comment by Chetan Prakash on March 11, 2022 at 1:28pm

सुंदर  गीत  की सर्जना  हुई  है, भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  बधाई स्वीकार करें ! किचिंत सुधार  की भी अपेक्षा रहेगी,  ( 1) " नहीं  बुझता पुरुषवादी , बुझता के स्थान  पर "पूछता" कदाचित  बेहतर  विकल्प  होता  !

(2)  "और" को "मन" से बदल कर देखें, सार्थकता  बढ़ जाती  है !

(3) "पग पग पर वरो नहीं तुम " 'वरो' क्रिया का प्रयोग  यहाँ तात्पर्य- विरुद्ध है, अत: 'तजो' सही संदर्भ गत क्रिया  होगी  ।

सादर 

Comment by Veena Gupta on March 10, 2022 at 1:30am

सुंदर ,भावपूर्ण ,यथार्थ दर्शाती रचना 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2022 at 6:51am

आ. भाई विजय जी सादर अभिवादन। गीत पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से मन प्रफुल्लित है। आपके अनुमोदन से लेखन सफल हुआ । हार्दिक आभार।

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 8, 2022 at 11:21pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, बहुत ही सुंदर , सार्थक , सामयिक एवं विस्तृत प्रस्तुति.
मोम भले ही कहलाती है।।
हर साँचे में ढल जाती है।।
दीप शिखा जैसा ले जीवन,
जो हर घर तमस मिटाती है।।
स्वयं सिद्ध हुई गुणों से, हर पद की अधिकारी है।।
यह नवयुग की नारी है.....
सराहनीय. नारी दिवस पर एक सम्मानजनक रचना प्रस्तुत हुई , आपको बहुत बहुत हार्दिक बधाई, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
16 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
21 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
23 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
26 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
26 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
51 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service