हुस्न-ए-ग़ज़ल
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है ग़ज़लगोई यार की बातें
शे'र सुनना ख़ुमार की बातें
शे'र पढ़ना हसीं तरन्नुम में
जैसे हों लालाज़ार की बातें
इन जुदाई मिलन के क़िस्सों में
हैं ख़िज़ाँ और बहार की बातें
ज़िक्र नाज़-ओ-अदा का शे'रों में
मौसम-ए-ख़ुश-गवार की बातें
हैं छुपी मैकशी में साक़ी में
पाक परवरदिगार की बातें
हुस्न-ए-जानाँ झलकता लफ़्ज़ों में
जैसे अब्र-ए-बहार की बातें
शम्अ' परवाना फूल और भँवरा
हैं इशारों में प्यार की बातें
शाइ'री आईना-ए-हस्ती है
इस में हैं आर पार की बातें
शे'र कहने के फ़न में उस्तादी
हैं कठिन रहगुज़ार की बातें
इब्तिदा की जनाब-ए-’ख़ुसरो’ ने
कह के मिस्कीन-ए-ख़्वार की बातें
पहला दीवान था 'क़ुतुब शह' का
पी के मिन्नत-गुज़ार की बातें
फिर ‘वली दक्कनी’ के जलवे थे
आशिक़-ए-जाँ-निसार की बातें
‘मीर’ की सादगी में पुरकारी
फूल में पिन्हाँ ख़ार की बातें
‘ज़ौक़’ की पुख़्ता शे’र-साज़ी में
हैं किसी बद-क़िमार की बातें
और ‘ज़फर’ ने कही असीरी में
किसी उजड़े दयार की बातें
आपका रेख़्ता ‘असदुल्लाह’
हैं वली बादा-ख़्वार की बातें
‘मोमिन’-ए-मुब्तिला के शे'रों में
कोई खोये क़रार की बातें
‘दाग़’ की दिल-फ़रेब ग़ज़लें हैं
प्यार में जीत हार की बातें
जो ‘जिगर’ कह गया तरन्नुम में
इश्क़ के पासदार की बातें
ग़म में डूबी हैं ग़ज़लें ‘फ़ानी’ की
मौत के इंतिज़ार की बातें
तल्ख़-लहजा कलाम ‘साहिर’ का
जैसे दिल के ग़ुबार की बातें
‘फ़ैज़’ के इन्क़लाबी शे'रों में
हैं शहादत की दार की बातें
और 'समर' तेरे आ'ला शे'रों में
हैं किसी हक़-शिआर की बातें
मेरी ग़ज़लें बयाँ करें 'शाहिद'
इक हक़ीक़त निगार की बातें
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आपका हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' साहिब!
वाह वाह आदरणीय रवि जी...क्या ही शानदार माला पिरोई है...
आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' साहिब, आपकी सुख़न-नवाज़ी और मुबारकबाद के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय:!
मुहतरम रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब, इस बे-मिसाल और ख़ूबसूरत नज़्म की तख़्लीक़ पर तह-ए-दिल से दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फरमाइये।
आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब, प्रणाम। आपकी दाद और आशीर्वाद पा कर मैं धन्य हुआ, सब आपकी ही मिह्रबानी है, आपका बहुत बहुत शुक्रिय:! आशा करता हूँ कि आपका स्नेह और मार्गदर्शन आगे भी हमेशा मिलता रहेगा।
जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब, बहुत उम्द: नज़्म हुई है, 'अल्लाह करे ज़ोर-ए-क़लम और ज़ियादा'
इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय महेंद्र कुमार साहिब, सादर अभिवादन। सुख़न-नवाज़ी और बधाई के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिय:!
बहुत ही शानदार नज़्म हुई है आदरणीय रवि जी। दिल से ढेरों बधाई स्वीकार कीजिए।
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' भाई, आपकी हौसला-अफ़ज़ाई और बधाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:!
आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन । लाजवाब गजल हुई है । हार्दिक बधाई।
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