जि़हाफ़ का शाब्दिक अर्थ है न्यूनता या कमी। बह्र के संदर्भ में इसका अर्थ हो जाता है अरकान में मात्राओं की कमी। ग़ज़ल का आधार संगीत होने के कारण यह जरूरी हो गया कि मात्रिक विविधता पैदा की जाये जिससे बह्र विविधता प्राप्त हो सके। इसका हल तलाशा गया मूल अरकान में संगीतसम्मत मात्रायें कम कर उनके नये रूप बनाकर। मात्रायें कम करना कोई तदर्थ प्रक्रिया नहीं है, इसके निर्धारित नियम हैं।
मुख्य जि़हाफ़:
फा/फे |
2 |
मफा |
12 |
फैलुन् |
22 |
फयलुन् |
112 |
फऊलु |
121 |
मफ्ऊलु |
221 |
मफ्ऊलुन् |
222 |
फियलातु |
1121 |
मफाईलु |
1221 |
मुफायलुन् |
1212 |
फियलातुन् |
1122 |
फायलातु |
2121 |
मुफ्तयलुन् |
2112 |
मुस्तफ्फैलुन् |
2222 |
मुस्तफ्यलु |
2211 |
अन्य जि़हाफ़़:
मुस्तफयलुन् |
21112 |
मुफतयलुन् |
11112 |
मुफ्तयलातुन |
21122 |
मुतफायलतुन् |
112112 |
मुफायलातुन् |
12122 |
|
|
महजूफ, मख्बून, मक्फूफ, मुतव्वी, मारफो, मक्तुअ, मशकूल, मक्बूज, अस्लम, अखरब, मन्हूर, अस्तर, अखरम, अबतर इस प्रकार कुल 14 जि़हाफ़़ हैं जिन्हें बनाने के नियम निम्नानुसार हैं:
जिहाफ़ |
नियम |
उदाहरण |
महजूफ |
जिन अर्कान में अन्त में दो या अधिक दीर्घ एक साथ आते हैं उनमें से अंतिम एक दीर्घ हटाने पर महजूफ जिहाफ बनता है। |
122-12 |
मख्बून |
मफ्ऊलात जैसे दीर्घ से शुरू होने वाले अर्कान के आरंभ के दीर्घ 2 को लघु 1 बनाने से मख्बून जिहाफ बनता है। |
212-112 |
मक्फूफ |
मफ्ऊलात् जैसे तीन दीर्घ और एक लघु मात्रा के अरकान के अन्तिम दीर्घ को लघु में परिवर्तित करने से मक्फूफ जिहाफ बनता है। |
1222-1221 |
मुतव्वी |
जिन अर्कान के प्रारंभ में दो या अधिक दीर्घ एक साथ आते हैं उनमें से दूसरे दीर्घ को लघु बनाने पर मुतव्वी जिहाफ बनता है। |
2212-2112 |
मारफो |
मफ्ऊलात 2221 का लघु हटाकर दूसरे दीर्घ को लघु बनाने से मारफो जिहाफ बनता है। |
2221-212 |
मक्तुअ |
फाइलातुन् 2122 के महजूफ जिहाफ 212 से लघु हटाने पर बनने वाले जिहाफ को मक्तुअ कहते हैं। |
2122-212-22 |
मशकूल |
फाइलातुन् 2122 के आरंभ व अन्तिम दीर्घ को लघु बनाने से मशकूल जिहाफ बनता है। |
2122-1121 |
मक्बूज |
फऊलुन् 122 के अन्तिम और मफाईलुन् 1222 के अन्तिम से पहले वाले दीर्घ को लघु बनाने से मक्बूज जिहाफ बनता है। |
122-121 |
अस्लम |
फऊलुन् 122 के लघु को हटाने से अस्लम जिहाफ बनता है। |
122-22 |
अखरब |
मफाईलुन् 1222 का लघु हटाकर अन्तिम दीर्घ को लघु बनाने से अखरब जिहाफ बनता है। |
1222-221 |
मन्हूर |
मफ्ऊलात 2221 का लघु व दो दीर्घ हटाने से मन्हूर जिहाफ बनता है। |
2221-2 |
अस्तर |
मफाईलुन् 1222 का लघु हटाकर बीच के दीर्घ को लघु बनाने से अस्तर जिहाफ बनता है। |
1222-212 |
अखरम |
मफाईलुन् 1222 का लघु हटाने से अखरम जिहाफ बनता है। |
1222-222 |
अबतर |
मफाईलुन् 1222 का 122 और फऊलुन् 122 का 12 हटाने से बाकी रहा अबतर जिहाफ बनता है। |
1222-2 |
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तिलक जी बहुत बहुत धन्यवाद.
रमल मुसम्मन् मक्तुअ |
2122 2122 2122 22 |
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फायलातुन् |
फायलातुन् |
फायलातुन् |
फैलुन् |
2122 |
2122 |
2122 |
22 |
2212 2212 2212 22 रज़ज़ का ही कोई रूप किसी ने ईज़ाद किया होगा, मान्य रूप में ऐसी कोई बह्र मेरी जानकारी में नहीं है।
यही स्थिति 122 22 122 22 122 की है जिसमें 5 रुक्न शंकास्पद हैं। बह्र में 1, 2, 3, 4, 6 या 8 रुक्न एक पंक्ति में होते हैं, 5 रुक्न मैं तो पहली बार देख रहा हूँ इसलिये किसीका प्रयोग भर लगता है ये। अगर इसे 1222 2122 2212 2 भी करें तो कोई मान्य बह्र नहीं दिख रही। आप मूल शेर भेजें तो कुछ बात बने। संभावना यही है कि इसमें कुछ मात्रायें गिराने की स्थिति बन रही होगी और आपने यथावत् रख दी हैं।
आप की इस तालिका के माध्यम से कुछ सिख रह हूँ / १२२२२ १२२२२ १२२ को इस तरह से देखा जाए तो कैसा होगा ?
१२२२ २१२ २२२ १२२ बहर हजज अस्तर अखरम महजुफ
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