For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भावनाओं का दमन,  

संवेदनाओं का संकुचन देख रहे हैं 

आदान-प्रदान सब गौण  हुए  

अब ऐसा चलन देख रहे हैं |

स्वार्थ के बढ़ते  दाएरे, 

जन- जन  को छलते देख रहे हैं 

हिंद  का वैभव स्विस बेंकों में 

 हक को जलते देख रहे हैं |

भ्रष्टाचारी को जीवंत, 

संत ज्ञानी को मरते देख रहे हैं 

अगन उगलते सूरज में, 

नम धरा झुलसते देख रहे हैं | 

दूध की नदियाँ उनके प्रांगण, 

ये सूखी प्याली देख रहे हैं 

कनक की रोटी उनके घर में 

ये खाली थाली देख रहे हैं |

देख के विघटित स्वर्ण चिरैया, 

शत्रु जाल फेंकते देख रहे हैं 

भावी देश की सूरत को हम 

नभ दर्पण में  देख रहे हैं |

        *****     


Views: 444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 29, 2012 at 7:57am

Ashok kumar ji haardik dhanyavaad.

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 28, 2012 at 11:47pm

यथार्थ पर सुन्दर रचना. बधाई.
 सबसे बड़े गणतंत्र में भ्रष्टतंत्र अब देख रहे हैं,
 देश की बदहाली का हाल खड़े हम देख रहे हैं.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 27, 2012 at 10:01pm

bahut bahut hardik aabhar Ganesh ji.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 27, 2012 at 8:53pm

क्या कहने ,आदरणीया राजेश कुमारी जी, गागर में सागर भरने का प्रयास आपने किया है, बहुत ही सुन्दर ख्याल, बधाई आपको |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 27, 2012 at 4:43pm

shukria chaatak  ji.

Comment by Chaatak on March 27, 2012 at 4:11pm

खूबसूरत उदगार! हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 27, 2012 at 8:24am

bahut bahut aabhar Neeraj ji.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 26, 2012 at 9:37pm

Ravindra Nath ji is sundar vishleshan ke liye hardik aabhar. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 26, 2012 at 9:36pm

Pradeep Kumar ji bahut aabhari hoon.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 26, 2012 at 9:06pm

aadarniya mahodaya ji, sadar abhivadan , vastvikta darshati rachna . badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service