For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा कहे मुहावरा: खोल देखकर आँख --संजीव 'सलिल'




दोहा कहे मुहावरा:
खोल देखकर आँख
संजीव 'सलिल'
*


रवि-किरणें टेरें तुझे, देख खोलकर आँख.
आलस तज उठ जा 'सलिल', लग न जाए फिर आँख..
*



आँख मिलाकर आँख से, डाल आँख में आँख.
खुली आँख सपने दिखे, खुली रह गयी आँख..
*


आँख बंदकर आँख को, राह दिखाये आँख.
हाथ थामकर आँख का, गले लगाये आँख..
*

बाधा से टकरा पुलक, घूर मिलाकर आँख.
संकट-कंटक दूर हो, आप झुकाकर आँख..
*


मिली आँख से आँख तो, खुली रह गयी आँख.
पलक न झपकीं डाल दी, जब आँखों में आँख..
*


बसा लिया है आँख में, 'सलिल' मूँदकर आँख.
अपलक देखे प्रभु-छवि, झपक न जाए आँख..
*


फूटी आँख न आँख को, तनिक सुहाये आँख.
आँख लाल कर आँख से, आँख फिराए आँख..
*


सपने सचकर मुस्कुरा, भर-भर आये आँख.
तारा बनकर आँख का, लाड़ लड़ाये आँख..
*


आँख न ऐसा काम कर, पड़े झुकाना आँख.
भूल-चूक हो जाए तो, विनत नवाना आँख..
*


आँख कह रही आँख से, मत नटेरना आँख.
आत मुझको भी मगर, क्यों तरेरना आँख..
*


गले लगा ले आँख को, डबडबाये जब आँख.
गिरे उठा आगे बढ़ा, खिलखिलाए फिर आँख..
*


अपनी नज़र उतार ले, राई-नौन ले आँख.
खुद को खुद पर वार दे, जग उजारकर आँख..
*


जान-बूझ टकरा रही, फूट गयी क्या आँख.
आँख चुराकर आँख को, लूट ले गयी आँख..
*


मिली झुकी उठ मिल खिली, जब टकरायी आँख.
चैन लूटकर आँख का, झट शरमायी आँख..
*


सपने पाले आँख में, बैठे ठाले आँख.
उठ कोशिश कर रुक नहीं, सपने पा ले आँख..
*








Views: 1199

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 8:12pm

आदरणीय  संजीव 'सलिल' जी,
आँखों पर आपकी  मनोरम चित्रावली से सजी-संवरी  अनुपम दोहावली बांच  कर  इस बालक की आँखें  फटी की फटी रह गयीं .

यों लगा  मानो  पूरी देह पर आँखें उग आई हैं  और हर आँख  पर आपकी आँख  टिकी हुई है.  वाह ! वाह !  क्या कहने....कितनीं आँखों से देखा है आपने आँखों को..........आपकी आँखें प्रणम्य है प्रभु !

जान-बूझ टकरा रही, फूट गयी क्या आँख.
आँख चुराकर आँख को, लूट ले गयी आँख..

_____बधाई बधाई बधाई ............

Comment by AVINASH S BAGDE on June 13, 2012 at 7:00pm

फूटी आँख न आँख को, तनिक सुहाये आँख.
आँख लाल कर आँख से, आँख फिराए आँख..wah!...umda!!

Comment by AVINASH S BAGDE on June 13, 2012 at 6:59pm

आँख मिलाकर आँख से, डाल आँख में आँख.

खुली आँख सपने दिखे, खुली रह गयी आँख..

 

मिली झुकी उठ मिल खिली, जब टकरायी आँख. 
चैन लूटकर आँख का, झट शरमायी आँख..

अपनी नज़र उतार ले, राई-नौन ले आँख.
खुद को खुद पर वार दे, जग उजारकर आँख..

 

aapki ye prastuti dekh आँख..fati ki fati rah gai..Aachary Salil ji.

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 13, 2012 at 3:41pm

bahut hi sundar dohe hein salil ji bahut bahut mubarakbad

Comment by Bishwajit yadav on June 13, 2012 at 2:21pm
आदरणीय सलिल जी
बहुत सुन्दर जय हो
Comment by Yogi Saraswat on June 13, 2012 at 12:07pm

आदरणीय सलिल जी , सादर 

सामयिक सुन्दर रचना. प्रशंशा हेतु शब्द नहीं हैं.

आखिर में आपने जो चित्र दिया है उसमें जो सन्देश है , बहुत प्रेरणादायक है ! बधाई एक अच्छा सन्देश देने के लिए

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 13, 2012 at 10:39am

आदरणीय सलिल जी , सादर 

सामयिक सुन्दर रचना. प्रशंशा हेतु शब्द नहीं हैं.

तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service