For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितने ही प्रतिष्ठित समाजसेवी संगठनों में उच्च पद-धारिका तथा सुविख्यात समाज सेविका निवेदिता आज भी बाल श्रम पर कई जगह ज़ोरदार भाषण देकर घर लौटीं. कई-कई कार्यक्रमों में भाग लेने के उपरान्त वह काफी थक चुकी थी. पर्स और फाइल को बेतरतीब मेज पर फेंकते हुए निढाल सोफे पर पसर गई.  झबरे बालों वाला प्यारा सा पप्पी तपाक से गोद में कूद आता है.

"रमिया ! पहले एक ग्लास पानी ला ... फिर एक गर्म गर्म चाय.........." 

दस-बारह बरस की रमिया भागती हुई पानी लिये सामने चुपचाप खड़ी हो जाती है.

"ये बता री, आज पप्पी को टहलाया था?"

"माफ़ कर दो मेम साब, सारा दिन बर्तन मांजने, घर की सफाई और कपडे धोने में निकल गया इस लिए आज पप्पी को टहला नहीं पाई...."

Views: 1168

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रवीण कुमार श्रीवास्तव on June 30, 2012 at 5:10pm
बहुत सुन्दर लघुकथा. यही तो अपने समाज की विडम्बना है।
Comment by राज़ नवादवी on June 29, 2012 at 7:22pm

चरित्र और चरित का विरोधाभास! सुन्दर प्रस्तुति! 

Comment by savi on June 28, 2012 at 6:50pm

aadarniy kushwaha ji, isi ko kahte hai kathni kuch aur karni kuch aur | isi trah in mukhota lagaye logo se savdhan karte rahiyega |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on June 24, 2012 at 3:04pm

यही हो रहा है. मंच के भाषण और अपने जीवन-यापन में परिभाषायें भिन्न भिन्न हो गई हैं. भाषणबाजों तक यह लघु कथा पहुँचे.कुछ तो सुधार हो.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 22, 2012 at 4:36pm

धन्यवाद आदरणीय उमा शंकर जी, समर्थन हेतु. सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 22, 2012 at 4:35pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ जी, 

सादर 

आपकी आज्ञा शिरोधार्य , आभार हर एक चीज हेतु. शिष्य हूँ. इतना ही कहने की स्थिति में हूँ. 

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 16, 2012 at 10:53pm

बिलकुल सही कथा

आज समाज में ऐसे ही बहुरूपिये लोग बहुत मिलेंगे

जिनकी कथनी और करनी अलग अलग होती है

बहुत बढिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 16, 2012 at 6:03pm

समाज में व्याप्त दोहरे मानदण्ड को आपने बखूबी उभारा है.  इस सशक्त लघुकथा के लिये आदरणीय प्रदीप जी आपको सादर बधाइयाँ. 

शिल्प की कसौटी पर सधी हुई इस लघुकथा के लिये विशेष साधुवाद.  अलबत्ता रमिया द्वारा कहलाये गये वाक्य को थोड़ा और क्रिस्प बनाया जा सकता था.  दस-बारह बरस की घबराई हुई बच्ची के लिये अपनी मालकिन के सामने इतना कुछ एक वाक्य में कहना सहज न रहा होगा.

सादर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 16, 2012 at 5:03pm

आदरणीय नीलांश  जी, सादर 

सराहना हेतु आभार 

Comment by Nilansh on June 16, 2012 at 10:14am

aadarniya pradeep ji ,ek acchi laghu katha

saadar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
21 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
21 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
21 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
21 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
21 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
22 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
22 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
22 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, अभिवादन एवं हार्दिक धन्यवाद।"
22 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service