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आदरणीय राजेशकुमारी जी, आपकी टिप्पणी ने उत्साहित तो किया ही है एक तरह से दिशा भी तय करती दिख रही है. विश्वास रखिये, आप सबों की उपस्थिति में आने वाला समय उत्तरोत्तर उन्नति की ओर अग्रसरित होता दिखेगा.
मैं आपकी बातों पर आगम की पंक्तियाँ उद्धृत करना चाहूँगा -
संगच्छध्वं संवदध्वं
सं वो मनांसि जानताम् ।
देवा भागं यथापूर्वे संजानाना उपासते ।
समानोमन्त्रः समितिः समानी
समानंमनः सहचितमेषाम् ।
समानं मन्त्रमभिमन्त्रये वः
समानेन वो हविषा जुहोमि ।
समानी व आकूतिः
समाना हृदयानि वः ।
समानमस्तु वो मनो
यथा वः सुसहासति ।
हमसभी संग-संग चलें; समवेत बातें करें एवं समवेत सोचें. जिस तरह से हमारे अग्रजों ने अपने-अपने दायित्त्व निभाये, उसी तरह हम भी समवेत ही अपने दायित्व और कृत्य को साझा करें. हम समवेत सोचें और साथ मिलजुल कर इकट्ठे बने रहें. हमारे मस्तिष्क और उसके विचार एकसार हों. परमसत्ता हमें एकसार विचार दे तथा एकसार तथ्य दे. हम सभी साथ-साथ सद्-व्यवहार में आगे बढ़ें तथा हमसभी के हृदय एवं मनस एकसार हों, ताकि परस्पर समानता व्यवस्थित की जा सके.
सधन्यवाद
जी आप सही कह रहे हैं अनेकता में एकता हो तो त्वरित श्रम साध्य एवं सफल होता है उसमे सभी का उत्तरदायित्व होता है
कमाल के विचारक और संप्रेषक है आप सौरभ जी ...पूरे उत्सव की इतनी सारगर्भित रिपोर्ट पढ़ कर उत्सव जैसा ही मज़ा आ गया और पुनः उन क्षणों को नए धरातल पर जिया ..........विषयानुरूप समृद्ध प्रविष्टियों के साथ साथ आपकी और अम्बरीश जी की निरंतर उपस्थिति ने माहौल को बहुत संतुलित,मनोरजक और ज्ञानवर्धक बनाए रखा निश्चित रूप से आदरणीय योगराज जी की कमी महसूस हुयी पर उनके कुछ देर के आगमन ने ही संतोष प्रदान किया ........ कार्यक्रम के विवरण और समीक्षा के लिए आपको बहुत बहुत बधाई ....इतने व्यस्त होने के बावजूद जो जोश आप में है वो हम सब तक पहुंचता है .........
विदुषी सीमाजी, जो तथ्य आपके लिये उद्धृत होनी चाहिये, उसे आपने मुझसे जोड़ कर एकदम से मुझे जैसे मूक कर दिया है. आपके उत्साह और आपकी वैचारिकता का हमसभी हृदय से सम्मान करते हैं. यह सही है, सीमाजी, हमारी समवेत सक्रियता मंच की गरिमा तथा ओबीओ के आयोजनों को नित ऊँचाई प्रदान करेगी और जिस हेतु के लिये हम सभी निस्स्वार्थ इकट्ठे हुए हैं वह सतत सधता जायेगा.
सद्यः समाप्त आयोजन में आपकी उदार सहभागिता के हम सादर आभारी हैं.
आदरणीय सौरभ जी,
एक सफल आयोजन जिसके पहले दिन ने जितना चौकाया था वहीँ दूसरे और तीसरे दिन ने भी खूब चौंकाया
स्तरीय रचनाओं ने मुदित किया, पारिवारिक माहौल ने बने रहने को प्रेरित किया और अब आपने सब कुछ एक पोस्ट में समेट कर गागर में सागर भर दिया
सादर
जय होऽऽऽऽऽऽऽऽ
सस्नेही भाई एवं अनुशासित सदस्य वीनसजी, ओबीओ के मंच पर आपकी सकारात्मक उपस्थिति एक तरह से औषधीय काढ़ा है. आयोजन के पहले दिन जिस तरह से आप विचलित दिखे थे, वह आपकी इस मंच के साथ हार्दिक संलग्नता का द्योतक है. और आयोजन के अंतिम दिन आपका उत्साह देखते ही बनता था. भाई, अभिभूत हूँ. मैं आपकी उच्च भावनाओं का हृदय से आदर करता हूँ. आयोजन के रिपोर्ताज़ पर आपके सहर्ष अनुमोदन को मैं ’समवेत’ ऊर्जा-संवर्द्धन हेतु ठोस कारण की तरह ले रहा हूँ.
सधन्यवाद.
एक बात : मैं आपकी दृष्टि में वही हूँ जो आप मुझे कहते और हृदय से मानते हैं. साहित्य के प्रति आपका अभिन्न लगाव मुझे आवश्यक मान देता है, जो स्वतः संप्रेष्य है.
शुक्रिया
आदरणीय सौरभ जी, इस आयोजन के सफल सञ्चालन व इस सारगर्भित रिपोर्ट के प्रस्तुतीकरण के लिए हम सभी की ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें ! इस आयोजन को सफल बनाने हेतु सभी सहभागी सदस्यों सहित आदरणीय मुख्य प्रबंधक गणेशजी बागी व आदरणीय प्रधान संपादक योगराज प्रभाकर जी के प्रति भी हमारी ओर से हार्दिक बधाइयाँ !
आदरणीय अम्बरीश जी, रिपोर्ट पर आपका अनुमोदन सनद है. आपकी सहभागिता आयोजन के लिये विश्वस्त संबल है.
सादर
धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी ....
आपका सादर सहयोग अपेक्षित है, आदरणीय भाईजी. आपकी सहागिता के हम आभारी हैं. सादर
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