For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उदास लडकियां
नहीं कहतीं किसी से-
 अपनी उदासी का सबब
करतीं इसरार नहीं
अम्मा से, भैय्या से
होती न बतकही
छुटकी गौरैय्या से
तितलिओं के पीछे भी
 भागतीं नहीं जब तब
निर्दय, नृशंस
समय की दस्तक!
उदास लडकियां
नहीं कहतीं किसी से-
 अपनी उदासी का सबब
टोली बच्चों की
 जो गलियों में
करती है शोर;
कडक्को, पकडम पकडाई
खो- खो,
पतंगों की
कटती हुई डोर;
पी लेतीं आँखें
मासूम बदहवासी को
उदास लडकियाँ
जताती नहीं
अपनी उदासी को
बदल देती है
सब कुछ -
भरती हुई देह
बढ़ती पाबंदियां
ढलता हुआ नेह
चुभतीं लम्पट नजरें
मुंह चिढाते आईने 
बदल जाते हैं
स्नेहिल स्पर्शों
के मायने
कुंहासी संझा की
परछाईयों में
उलझ- उलझ
उदास लडकियां
नहीं कहतीं किसी से-
 अपनी उदासी का सबब
क्योंकि वे बच्चियां नहीं
कुछ और हैं अब!








Views: 821

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on January 29, 2013 at 12:48pm

कोटिशः धन्यवाद आदरणीय विजय जी.

Comment by vijay nikore on January 25, 2013 at 1:29pm

विनिता जी:

उदास लडकियां
नहीं कहतीं किसी से-
अपनी उदासी का सबब ....बहुत ही सुन्दर भाव है!

इस संवेदनशील रचना के लिए बधाई।

विजय निकोर

Comment by Vinita Shukla on January 24, 2013 at 10:29pm

आदरणीय कुशवाहा जी, सराहना एवं समर्थन के लिए हार्दिक आभार.

Comment by Vinita Shukla on January 24, 2013 at 10:28pm

रामशिरोमणि जी, अनेकानेक धन्यवाद.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 24, 2013 at 5:16pm

बदल देती है 
सब कुछ -
भरती हुई देह 
बढ़ती पाबंदियां 
ढलता हुआ नेह 
चुभतीं लम्पट नजरें 
मुंह चिढाते आईने 
बदल जाते हैं 
स्नेहिल स्पर्शों 
के मायने 
कुंहासी संझा की 
परछाईयों में 
उलझ- उलझ 
उदास लडकियां 
नहीं कहतीं किसी से-
 अपनी उदासी का सबब 
क्योंकि वे बच्चियां नहीं 
कुछ और हैं अब!

आदरणीया विनीता जी सादर 

बहुत खूब. 

बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on January 24, 2013 at 4:39pm

बहुत खूब ! सुन्दर शब्द ! 

Comment by Vinita Shukla on January 24, 2013 at 4:24pm

रचना को समय देने एवं सराहना हेतु कोटिशः धन्यवाद शुभ्रा जी.

Comment by Vinita Shukla on January 24, 2013 at 4:22pm

सुन्दर शब्दों में सराहना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद राजेश जी.

Comment by Vinita Shukla on January 24, 2013 at 4:22pm

सराहना एवं समर्थन के लिए कोटिशः आभार योगी जी.

Comment by shubhra sharma on January 24, 2013 at 3:16pm

छुटकी गौरैय्या से 
तितलिओं के पीछे भी 
 भागतीं नहीं जब तब 
निर्दय, नृशंस 
समय की दस्तक

बहुत बहुत अच्छी  रचना की पंक्ति ,बधाई स्वीकार करे विनीता शुक्ला जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार। त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।। बरस रहे अंगार, धरा…"
13 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' joined Admin's group
Thumbnail

धार्मिक साहित्य

इस ग्रुप मे धार्मिक साहित्य और धर्म से सम्बंधित बाते लिखी जा सकती है,See More
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service