For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

===========ग़ज़ल===========

खामोश लब पलकें झुकीं हालात देखिये
इस मौन में सिमटे हुए जज्बात देखिये

हमको मिली जो इश्क की सौगात देखिए
हर सुब्ह रोशन चाँदनी है रात देखिये

इंसानियत से बढ़ के क्या मजहब हुआ कोई
फिर भी वो हमसे पूछते हैं जात देखिये

पंजा कमल हाथी हथोडा सारे हो जमा
समझा रहे हैं आपकी औकात देखिये

पल पल मे बदले रंग वो माहौल देख के
गिरगिट के जैसे हो गयी हर बात देखिए

सब “दीप” मांगे बिन मिला हमको जुगाड़ से
मांगे नहीं मिलती जहां खैरात देखिये

संदीप पटेल “दीप”

Views: 438

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 4, 2013 at 12:38pm

आदरणीय पवन जी , आदरणीय मोहन जी , आदरणीय राजेश कुमारी जी , परम आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी आपके सभी को सादर प्रणाम सहित कोटि कोटि आभार प्रेषित कर रहा हूँ ........स्नेह अनुज पर यूँ ही बनाए रखिए 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 3, 2013 at 11:37pm

हर शेर पर मेहनत दिख रही है.

मतला तो बस पूछिये मत. सानी को रस ले ले कर पढ़ा संदीपभाई. इश्क़ की सौगात के क्रम में तथ्यों को सानी में कमाल ढंग से पिरोया है. मजा आ गया. पंजा कमलहाथी वाला शेर भी रंग में है लेकिन सबसे जियादाह रंग में है मक्ता.. . इस मक्ते पर विशेष बधाई.. .

मुबारकबाद .. . ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2013 at 10:15pm

इंसानियत से बढ़ के क्या मजहब हुआ कोई
फिर भी वो हमसे पूछते हैं जात देखिये----वाह जबरदस्त शेर ,बहुत अच्छी ग़ज़ल लगी दाद कबूल कीजिये 

Comment by मोहन बेगोवाल on March 3, 2013 at 7:04pm

खामोश लब पलकें झुकीं हालात देखिये
इस मौन में सिमटे हुए जज्बात देखिये- बहुत अच्छा शेर है -दोस्त 

Comment by pawan amba on March 3, 2013 at 12:56pm

फिर भी वो हमसे पूछते हैं जात देखिये...waahhh

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 3, 2013 at 9:52am

आदरणीय राम जी , आदरणीय अजय सर जी , आदरणीय सलीम जी .......इस जर्रानवाजी और हौसलाफजाई के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ ...........स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार

Comment by SALIM RAZA REWA on March 2, 2013 at 7:46pm

इंसानियत से बढ़ के क्या मजहब हुआ कोई !
फिर भी वो हमसे पूछते हैं जात देखिये !! ....khubsurat sher hai sandeep

Comment by Dr.Ajay Khare on March 2, 2013 at 4:22pm

पंजा कमल हाथी हथोडा सारे हो जमा
समझा रहे हैं आपकी औकात देखिये VYANG GAHRA HAI. KINTU NETA BAHRA HAI DO KODI KI OUKAAT HAI JINKI VHI AAJ PANE SEHRA HAI .SANDEEP JI AAPKI GAJAL SARAHNEEY HAI BADHAI

Comment by ram shiromani pathak on March 2, 2013 at 4:03pm

पल पल मे बदले रंग वो माहौल देख के
गिरगिट सी हो रही है उनकी बात देखिए

सब “दीप” मांगे बिन मिला हमको जुगाड़ से
मांगे नहीं मिलती जहां खैरात देखिये!!

आदरणीय पटेल जी  बहोत ही बढ़िया...........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। गौरैया के झुंड का, सुंदर सा संसार…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
12 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service