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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 32 के काफि़येवार शेर

हम आभारी है आदरणीय श्री तिलक राज जी के जिनके भगीरथ प्रयास से काफ़िया के अनुसार अश’आर संकलित हो पाये है....

अंजाम

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
जो किसी सूरत कभी झुकते नही
टूट जाते हैं यही अंजाम है

Mohd Nayab
वो समझते हैं धमाका मौत का
ज़ालिमों का आखरी अंजाम है

Rajesh kumari
मान जायेगा सुना था प्यार से
छूट देने का यही अंजाम है

SANDEEP KUMAR PATEL
इश्क़ का करते नहीं आगाज़ वो
सोचते हैं होना क्या अंजाम है

Mohan Begowal
बिक रहा हर कोई जब बाज़ार में ,
शहर गाँव अब, भुगत रहें अंजाम है

AVINASH S BAGDE
भीड़ में हर शय नहायी है यहाँ ,
बढती आबादी का ये अंजाम है .

Arun Srivastava
आबला -पा , दर्दे दिल , तिश्ना-लबी
ये मुहब्बत का हसीं अंजाम है

Dr.Prachi Singh
साए में आतंक के आवाम है
ये सियासी चाल का अंजाम है

आशीष नैथानी 'सलिल'
तुम न आये, मैं रहा चौराह पर
इश्क का कैसा हुआ अंजाम है

mrs manjari pandey
युग मशीनों का इंसा बेकाम है
नित नए खोजों का ये अंजाम है

Tilak Raj Kapoor
प्या र का ही दोस्तोंम अंजाम है
नाम हो पाया नहीं, बदनाम है

वीनस केसरी
खुल के हंसने का यही अंजाम है
हर खुशी के साथ इक कुहराम है

sanjiv verma 'salil'
शुभ किया आगाज़ शुभ अंजाम है.
काम उत्तम वही जो निष्काम है..

Shashi Mehra
चैन की है चाह, और बेचैन है |
ज़िन्दगी का, भूल के, अंज़ाम है

आम

Harjeet Singh Khalsa
रातभर करते सितारे गुफ्तगू,
ये नजारा अब यहाँ पर आम है

Abhinav Arun
हाथ कंगन के लिए भी आरसी ,
न्याय का अब ये तरीका आम है

Abhinav Arun
रौब रुतबा राजपथ पर चल रहा ,
आप कहते थे ये रस्ता आम है

SANDEEP KUMAR PATEL
शहर की क्या शब सहर क्या शाम है
रेप चोरी लूट हत्या आम है

विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय
तय करे जो देश की तकदीर को।
बन गया देखो विधाता आम है

Arvind Kumar
देख लो, ये ज़िन्दगी-ए-आम है,
भूख खौली, बासी ठंडी शाम है

Arun kumar nigam
बहुरिया के हाथ कच्चा आम है
सास खुश है, अनकहा पैगाम है

Mohan Begowal
'खाश' बन कर चल रहा था जो कभी,
आज बन कर चल रहा वो आम है

आराम

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
आप की नज़र-ए-इनायत के सबब
अब यहाँ आराम ही आराम है

Mohd Nayab
इश्क में जीना है क्या, मरना है क्या
अब यहाँ आराम ही आराम है

Tilak Raj Kapoor
ग़म बढ़ा तो याद की महफि़ल सजी
अब यहॉं आराम ही आराम है

Rajesh kumari
नालियों में लेट कर वो सोचता
अब यहाँ आराम ही आराम है

Rajesh kumari
गोद में उसकी हमेशा सोचती
अब यहाँ आराम ही आराम है

Harjeet Singh Khalsa
यूँ अकेले जी रहे है ज़िन्दगी,
अब यहाँ आराम ही आराम है

Harjeet Singh Khalsa
आरजू हसरत सभी चुप हो गये,
अब यहाँ आराम ही आराम है

Abhinav Arun
गीत ग़ज़लों का तरन्नुम है यहाँ ,
अब यहाँ आराम ही आराम है

कुमार गौरव अजीतेन्दु
बोल दें कैसे बता "गौरव" हमें,
अब यहाँ आराम ही आराम है

SANDEEP KUMAR PATEL
हमको लो रोटी मकां कपड़ा मिला
अब यहाँ आराम ही आराम है

SANDEEP KUMAR PATEL
माँ की गोदी में रखा अपना जो सर
अब यहाँ आराम ही आराम है

Er. Ganesh Jee "Bagi"
किचकिचाती थी गई वो मायके,
अब यहाँ आराम ही आराम है

विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय
मुफलिसी से तंग आकर मर गया।
अब यहां आराम ही आराम है

Majaz Sultanpuri
मेरे मदफन ने कहा मुझसे 'मजाज़'
अब यहाँ आराम ही आराम है

वीनस केसरी
पहुंचे जन्नत और वाइज़ कह पड़े,
अब यहाँ आराम ही आराम है

Ashok Kumar Raktale
चल दिए हैं बिन कहे ही काम पर,
अब यहाँ आराम ही आराम है

Arvind Kumar
तर्क-ए-उल्फत सोच कर रोये मगर,
अब यहाँ आराम ही आराम है

Saurabh Pandey
इश्क़ में खुद को फ़ना कर बोल तू
अब यहाँ आराम ही आराम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
जुल्फ में तेरी कटी हर शाम है
अब सिवा तेरे कहां आराम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
जख्म जो तूने छुआ मेरा, लगा
अब यहां आराम ही आराम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
तूफां गुजर जाए तो ही कहना
अब यहां आराम ही आराम है

AVINASH S BAGDE
बाद बरसों के मिला अनुदान जो,
अब यहाँ आराम ही आराम है ...

Arun Srivastava
थक - थकाकर आ गए है कब्र तक
अब यहाँ आराम ही आराम है

Dr.Prachi Singh
हो कली में कैद भौंरे ने कहा
अब यहाँ आराम ही आराम है

Shashi Mehra
हूँ मुकद्दस धाम पे, और शाम है |
अब यहाँ, आराम ही आराम है

आशीष नैथानी 'सलिल'
गेसुओं की छांह में आकर लगा
अब यहाँ आराम ही आराम है

Satish mapatpuri
चढ़ गये कुर्सी तो फिर क्या सोचना .
अब यहाँ आराम ही आराम है .

sanjiv verma 'salil'
रूह सच की जिबह कर तन कह रहा
अब यहाँ आराम ही आराम है..

mrs manjari pandey
कर गए जो काम करना था किया
अब यहाँ आराम ही आराम है

Arun kumar nigam
छोड़ आए हम जमाने की फिकर
अब यहाँ आराम ही आराम है

sanjiv verma 'salil'
अब यहाँ आराम ही आराम है.
गर हुए बदनाम तो भी नाम है..

आवाम

Dr.Prachi Singh
साए में आतंक के आवाम है
ये सियासी चाल का अंजाम है

आसाम

वीनस केसरी
सारे मुद्दों को हटा कर देखिये,
खूबसूरत आज भी आसाम है

इंतजाम

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
रौशनी की तलाश में पहुंचे यहां
बताइए यहां क्या इंतजाम है

इनआम

Mohd Nayab
ग़म के आंसू जो मेरी आँखों में हैं
क्या मोहब्बत का यही इनआम है

SANDEEP KUMAR PATEL
खुद ब खुद सत्ता थमा दी चोर को
मुफलिसी उसका बड़ा इनआम है

वीनस केसरी
उस हज़ल पर तब्सिरा करते हैं लोग,
पढ़ की जिसको गम मिले इनआम है

Saurabh Pandey
थी मुलायम जिस वज़ह उसकी ज़ुबां
वो उसे अब दे रही इनआम है

Mohd Nayab
आज कल उनपर बड़ा इनआम है
जो ज़माने में बहुत बदनाम है

Abhinav Arun
क्या लिखा कितना लिखा मत पूछिये ,
चापलूसी का मिला इन्आम है

इलजाम

कुमार गौरव अजीतेन्दु
चोट जो खाई हमारे गर्व ने,
दीखती हमपर बड़ा इलजाम है

इलज़ाम

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
वक़्त पीरी काम है न धाम है
बस ज़माने का यही इलज़ाम है

Mohan Begowal
बोलती अब है क्यूँ बस्ती मेरी ?
लगता उसपे बस यही इलज़ाम है

Arvind Kumar
इक शज़र पे मैंने लायी है खिज़ां,
सर पे मेरे ये नया इलज़ाम है

Dr.Prachi Singh
सीखचों की कैद में जकड़ा गया
इश्क का जिसके भी सर इलज़ाम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
राहों के निशां का ये काम है
मुझ पर घिसटने का इल्जाम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
तेरी बातों का बुरा नहीं मानते अब
पहले से ही हम पर ये इल्जाम है

Arun Srivastava
रख दिया क़दमों तले दस्तार तक
बाप है बेटी का ये इल्जाम है

आशीष नैथानी 'सलिल'
अब न दो तालीम इज्जत की 'सलिल'
यूँ भी तुमपर प्रीत का इल्जाम है

विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय
जिसके सिर जितना बड़ा इल्जाम है
वो यहां उतना ही आला नाम है

Saurabh Pandey
झील है तू, रोज़ मत नज़दीक आ
एक पत्थर हूँ मुझे इल्ज़ाम है

इस्लाम

Majaz Sultanpuri
मज्हबो मैं इब्ने आदम बट गया
कोई ईसाई कोई इस्लाम है

ईनाम

Rajesh kumari
भाग आई छोड़ कर माँ बाप को
बद गुमानी का यही ईनाम है

Rajesh kumari
जिंदगी की दौड़ जब मैं जीतती
आज भी देती मुझे ईनाम है

Harjeet Singh Khalsa
कशमकश ही ज़िन्दगी बनती गई,
ये वफ़ा का मिल रहा ईनाम है

mrs manjari pandey
सिल के मुह बैठे रहो तो ठीक है
खुल गया जो मौत ही ईनाम है

कत्लेआम

Satish mapatpuri
दम तो भरता है पड़ोसी दोस्ती का .
पर सिला में मिलता कत्लेआम है .

काम

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
फल की इच्छा कौन करता है यहाँ
नेकियाँ करना हमारा काम है

Tilak Raj Kapoor
जेब में गर आपके भी दाम है
आइये बतलाइये क्या काम है

Rajesh kumari
दीप रोशन कर मुझे ख़ुद बुझ गया
रोशनी अब बाँटना निज़ काम है

SANDEEP KUMAR PATEL
उम्र भर “मैं” को रखा गुमनाम है
कर लिया हमने कठिन ये काम है

Er. Ganesh Jee "Bagi"
दाम ईंधन का बढ़े मेरी बला,
लिफ्ट ले चलना हमारा काम है

विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय
कर सको तो जुल्म मेरे तय करो।
लूट हत्या जालसाजी काम है

Ashok Kumar Raktale
तन गई उनकी भवें लो जब कहा,
बस करो जी और कितने काम हैं

Arvind Kumar
बुतकदों में ढूंढता हूँ फिर तुझे,
फिर मुझे तुझसे पड़ा कुछ काम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
अपनी सूरत आईने में देख लो
इस वक्त संवरना ही काम है

Shashi Mehra
लब पे रहता राम, दिल में शाम है |
नाम लेना रह गया, अब काम है

Shashi Mehra
दिल के हाथों हर कोई, मजबूर है |
ज़हन से लेता नहीं, वो काम है

sanjiv verma 'salil'
जग गया मजदूर सूरज भोर में
बिन दिहाड़ी कर रहा चुप काम है..

Arun kumar nigam
झुनझुने के शोर से चुप हो गया
आम इंसां का यही तो काम है

Abhinav Arun
जबकि सबकुछ उस खुदा का काम है ,
आदमी बेकार ही बदनाम है

Ashok Kumar Raktale
खुल गई है नींद अब क्या काम है
फिर न कहदे आखरी ये जाम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
राहों के निशां का ये काम है

मुझ पर घिसटने का इल्जाम है

कुहराम

कुमार गौरव अजीतेन्दु
हाल भारी है बुरा इस देश का,
मच रहा चहुँओर ही कुहराम है

वीनस केसरी
खुल के हंसने का यही अंजाम है |
हर खुशी के साथ इक कुहराम है

Saurabh Pandey
आज होगा दफ़्न कल की कब्र में
है पता फिर भी मचा कुहराम है

Mohd Nayab
इक धमाका शहर में शायद हुआ
हर तरफ ये आज जो कोहराम है

AVINASH S BAGDE
झूठ की बस्ती में सच गुमनाम है,
हर तरफ कोहराम ही कोहराम है.

गाम

Shashi Mehra
बस ‘शशि’ का सब को, यह पैगाम है |
मौत तक ही, ज़िन्दगी का गाम है

गुमनाम

Mohd Nayab
जो ग़ज़ल 'नायाब' लिखते हैं यहाँ
नाम उनका ही यहाँ गुमनाम है

Abhinav Arun
नोयडाओं की भरी झोली मगर ,
मोतिहारी आज भी गुमनाम है

विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय
जानते हो देश की पहचान क्या?
भेड़ राजा शेर अब गुमनाम है

Saurabh Pandey
न्याय करता है ग़ज़ब का वक़्त भी
था कभी इक शोर, अब गुमनाम है

कुमार गौरव अजीतेन्दु
वीरता अब हो रही गुमनाम है।
कायरों की रोज रंगीं शाम है

SANDEEP KUMAR PATEL
उम्र भर “मैं” को रखा गुमनाम है
कर लिया हमने कठिन ये काम है

AVINASH S BAGDE
झूठ की बस्ती में सच गुमनाम है,
हर तरफ कोहराम ही कोहराम है.

गुलफाम

sanjiv verma 'salil'
तोड़ गुल गुलशन को वीरां का रहा.
जो उसी का नाम क्यों गुलफाम है+C219

Majaz Sultanpuri
रुबरु मेरे जो इक गुलफाम है
गुफ्तगू उससे ग़ज़ल का नाम है

गोदाम

कुमार गौरव अजीतेन्दु
घूमते हैं सेठ बनके लोग वो,

भीख से जिनका भरा गोदाम है

Saurabh Pandey
भूख की सारी लड़ाई जिस लिए
पट गया चूहों.. . वही गोदाम है

घनशयाम

Mohd Nayab
मुरली वाले का बड़ा ही नाम है
गोपियों का जो हुआ घनशयाम है

घनशाम

Arvind Kumar
किसकी खातिर मैं यहाँ रातें जगूँ,
दूर जा बैठा मेरा घनशाम है

घाम

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
धुआं धुआं सा छाया है हर तरफ
लोग कहते हैं यहां बहुत घाम है

चाम

Abhinav Arun
आज भी हम सब गुलामी जी रहे ,
आज भी शासक उधाड़े चाम है

जाम

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
पत्ते बज रहे हैं साज की तरह
न साकी, न मयकदा, न जाम है

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
रोयेंगे अब अहले मयखाना मुझ़े
हाँथ में ये आखरी अब जाम है

Mohd Nayab
मेहर हो मुझपर भी मेरे साकिया
देख ले हाथों में खाली जाम है

Tilak Raj Kapoor
अब किसे फ़ुर्सत तुम्हादरी याद की
दर्द है, तन्हा्ई है, औ जाम है

Harjeet Singh Khalsa
चार सूं इक ही तलब का नाम है,
है कहाँ साक़ी कहाँ पर जाम है

Mohan Begowal
गिलास करता है बस यही एक सफर,
टूट जाता है यां बदले जाम है

Ashok Kumar Raktale
खुल गई है नींद अब क्या काम है/
फिर न कहदे आखरी ये जाम है

Harjeet Singh Khalsa
साक़िया कैसा पिलाया जाम है,
होश में आने से दिल नाकाम है

mrs manjari pandey
होठ पे मय के छलकते जाम है
नाम उनके ही गुज़रती शाम है

Er. Ganesh Jee "Bagi"
राज़ है क्या लाल चश्मे का सुनो,
जल पियो तो यूँ लगे ज्यों ज़ाम है

Rajesh kumari
बेवड़े के हाथ में अब ज़ाम है
झिलमिलाई नालियों की शाम है

दाम

Harjeet Singh Khalsa
लुट गए यूँ इश्क के बाज़ार में,
बे पता है, बेखबर, बे दाम है

Abhinav Arun
है मुझे कुछ कुछ लकीरों पर यकीं ,
बोलिए ताबीज़ का क्या दाम है

विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय
है वही ज्ञानी गुणी धीवान भी।
पास जिसके बाहुबल छल दाम है

Saurabh Pandey
सोचता है बाप इस बाज़ार में
बच्चियों को क्या खबर क्या दाम है

Arun Srivastava
क्या जरूरी है कि खुशबूदार हो
फूल वो जिसका जियादः दाम है

mrs manjari pandey
हाथ के छालों को देखा "मन्जरी "
फूट कर भी मिल न पाया दाम है

Tilak Raj Kapoor
जेब में गर आपके भी दाम है
आइये बतलाइये क्या काम है

धाम

Mohd Nayab
प्यार से कहते हैं मोहन भी उसे
शहर मथुरा जिसका गोकुल धाम है

Rajesh kumari
माँ नही तो 'राज'अब ये सोचती
बिन तिरे मेरा कहाँ अब धाम है

SANDEEP KUMAR PATEL
बीच में ही शहर के इक बाग था
प्रेमियों का आज तीरथ धाम है

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
वक़्त पीरी काम है न धाम है
बस ज़माने का यही इलज़ाम है

नाकाम

Rajesh kumari
होश में तो रास्ता मैं रोकती
सामने अब हर जतन नाकाम है

Rajesh kumari
माँ बिना तो नज़्म भी पूरी नही
हर ग़ज़ल की तर्ज़ भी नाकाम है

Harjeet Singh Khalsa
इस जहाँ को जीतकर क्या पा लिया,
हो चुके जब इश्क में नाकाम है

Harjeet Singh Khalsa
साक़िया कैसा पिलाया जाम है,
होश में आने से दिल नाकाम है

वीनस केसरी
खुदकुशी से मस्अले हल हो गए,
लिख गया वो, ज़िंदगी नाकाम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
पांव कुछ इस तरह उखड़ने लगे

सम्हलने की हर कोशिश नाकाम है

Arun Srivastava
थक चुके पंखों में भी परवाज देख
कौन कहता है कि वो नाकाम है

Shashi Mehra
पाप का रस्ता चुना, जब सुन लिया |
कोशिश कभी, जाती नहीं, नाकाम है

Satish mapatpuri
वक्त कैसा आ गया मापतपुरी.
रब का बन्दा ही यहाँ नाकाम है .

sanjiv verma 'salil'
भूख की सिसकी न कोई सुन रहा
प्यार की हिचकी 'सलिल' नाकाम है..

नाम

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
जो वतन के वास्ते देते हैं जान
अब किताबों में उन्ही का नाम है

Tilak Raj Kapoor
तिश्नकगी ही तिश्नहगी ही तिश्नहगी
जि़न्दीगी शायद इसी का नाम है

Rajesh kumari
गीत से जिसके बहलती शाम है
माँ उसी संगीत का ही नाम है

Er. Ganesh Jee "Bagi"
सात है उसकी बहन सुन खुश हुआ,
जो थी छुटकी वो ही मेरे नाम है

Er. Ganesh Jee "Bagi"
शेर सुन बीवी भड़क सकती मेरी,
मुन्नी उसकी इक बहन का नाम है

विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय
जिसके सिर जितना बड़ा इल्जाम है।
वो यहां उतना ही आला नाम है

Majaz Sultanpuri
रुबरु मेरे जो इक गुलफाम है
गुफ्तगू उससे ग़ज़ल का नाम है

वीनस केसरी
हक के खातिर बोलना आसां था पर,
बागियों में अब हमारा नाम है

Arvind Kumar
शौक से जलते नहीं चूल्हे कभी,
शायरी इक भूलता सा नाम है

Saurabh Pandey
साधना है, योग है, व्यायाम है
घर चलाना घोर तप का नाम है

आशीष नैथानी 'सलिल'
जगमगाते शह्र की इक शाम है
जिन्दगी फिरसे तुम्हारे नाम है

sanjiv verma 'salil'
अब यहाँ आराम ही आराम है.
गर हुए बदनाम तो भी नाम है..

sanjiv verma 'salil'
मस्त मैं खुद में कहे कुछ भी 'सलिल'
ऐ खुदाया! तू ही मेरा नाम है..

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
वो जो गुलशन में महकता नाम है
हर नज़र में आज भी इक राम है

Mohd Nayab
मुरली वाले का बड़ा ही नाम है
गोपियों का जो हुआ घनशयाम है

Harjeet Singh Khalsa
चार सूं इक ही तलब का नाम है,
है कहाँ साक़ी कहाँ पर जाम है

Mohan Begowal
युग बदल लेता जो अपना नाम है
साथ वो लाता नया पैगाम है

Satish mapatpuri
आज दुनिया में उन्हीं का नाम है .
सबसे ज्यादा जो यहाँ बदनाम है .

निष्काम

sanjiv verma 'salil'
मन थका, तन चाहता विश्राम है.
मुरझता गुल झर रहा निष्काम है.

sanjiv verma 'salil'
शुभ किया आगाज़ शुभ अंजाम है.
काम उत्तम वही जो निष्काम है..

नीलाम

Harjeet Singh Khalsa
पूछिए मत इश्क में है हाल क्या
दिल जिगर धड़कन सभी नीलाम है

कुमार गौरव अजीतेन्दु
बाँकुरों के हाथ बाँधे "वोट" ने,
मान अपना हो रहा नीलाम है

SANDEEP KUMAR PATEL
लुट रहे थे हम मगर चुप ही रहे
आज अस्मत हो रही नीलाम है

वीनस केसरी
हद तो ये है, कोई हैरां तक नहीं,
गम की बोली पर खुशी नीलाम है

परिणाम

Rajesh kumari
आज जिस आकाश पर मैं उड़ रही
ये उसी आशीष का परिणाम है

SANDEEP KUMAR PATEL
चंद सिक्कों की चमक में खो गए
आज चुप हो उसका ही परिणाम है

Er. Ganesh Jee "Bagi"
पत्नी बोली मिल गया "बागी" पिया,
सब बुरे कर्मो का ही परिणाम है

AVINASH S BAGDE
भ्रूण-हत्या पर बहस होने लगी,
देखिये कितना सुखद परिणाम है

Dr.Prachi Singh
आ भुला दें आज हर शिकवा गिला
टूटता घर इनका ही परिणाम है

sanjiv verma 'salil'
चन्द्रमा ने चन्द्रिका से हँस कहा
प्यार ही तो प्यार का परिणाम है..

पैगाम

कुमार गौरव अजीतेन्दु
पामरों का झुंड भारत बन गया,

जा रहा जग को यही पैगाम है

Mohan Begowal
युग बदल लेता जो अपना नाम है
साथ वो लाता नया पैगाम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
रात के सोए अभी जागे नहीं
वो जो लाए सुब्ह का पैगाम है

Dr.Prachi Singh
बादशा भी खाली हाथों जायगा
यह सिकंदर का दिया पैगाम है

आशीष नैथानी 'सलिल'
मेरे हाथों में है गुल की पंखुड़ी
और दिल में इश्क का पैगाम है

sanjiv verma 'salil'
चल 'सलिल' बन नीव का पत्थर कहीं
कलश बनना मौत का पैगाम है..

Arun kumar nigam
बहुरिया के हाथ कच्चा आम है
सास खुश है, अनकहा पैगाम है

Shashi Mehra
बस ‘शशि’ का सब को, यह पैगाम है |
मौत तक ही, ज़िन्दगी का गाम है

Majaz Sultanpuri
अम्न से बढकर कोई शेवा नहीं
सारी दुनिया को मेरा पैग़ाम है

प्राणायाम

Arun kumar nigam
काम धंधे से मिली फुरसत हमें
साँझ पूजा , सुबह प्राणायाम है

बदनाम

Mohd Nayab
आज कल उनपर बड़ा इनआम है
जो ज़माने में बहुत बदनाम है

Tilak Raj Kapoor
प्या र का ही दोस्तोंम अंजाम है
नाम हो पाया नहीं, बदनाम है

Rajesh kumari
प्यार का है ये नशा कह्ता मुझे
ये सुरा तो बेवज़ह बदनाम है

Harjeet Singh Khalsa
लाख समझाया मगर सुनता न था,
खामखा ये दिल हुआ बदनाम है

Abhinav Arun
जबकि सबकुछ उस खुदा का काम है ,
आदमी बेकार ही बदनाम है

SANDEEP KUMAR PATEL
दीप बुझते शहर भर में तेल बिन
खामखा चलती हवा बदनाम है

SANDEEP KUMAR PATEL
बढ़ रहा आतंक शासक सो रहे
खामखा इक कौम क्यूँ बदनाम है

Ashok Kumar Raktale
कब सुनी बातें कही मैंने मगर,
नाम होता पर मेरा बदनाम है

Arvind Kumar
मुड़ न पाओगे, जो उस जानिब गए,
बच के चलना, राह-ए- सच बदनाम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
जाम तो खाली सभी मैंने किये
तिश्नगी नाहक हुई बदनाम है

Shashi Mehra
खुद घिरा है मुश्किलों में, आदमी |
कर रहा भगवान् को बदनाम है

Satish mapatpuri
आज दुनिया में उन्हीं का नाम है .
सबसे ज्यादा जो यहाँ बदनाम है .

Er. Ganesh Jee "Bagi"
आंटियों ने कर दिया बदनाम है,
बीवी हेडक मुन्नी झंडू बाम है

बादाम

sanjiv verma 'salil'
नहीं दाना मयस्सर नेता कहे
कर लिया आयात अब बादाम है..

बाम

SANDEEP KUMAR PATEL
दर्द उस आशिक़ को कैसे हो पता
जिसकी महबूबा ही झंडू बाम है

Er. Ganesh Jee "Bagi"
आंटियों ने कर दिया बदनाम है,
बीवी हेडक मुन्नी झंडू बाम है

Arun kumar nigam
वो समझता ही नहीं संकेत को
क्या कहूँ वो पूरा झण्डू बाम है

बेकाम

कुमार गौरव अजीतेन्दु
भौंकता "नापाक" सीमा लाँघ के,

दंड अपना क्यों पड़ा बेकाम है

Arun Srivastava
शब को बच्चे भूख से रोते रहे
अब अना उसके लिए बेकाम है

sanjiv verma 'salil'
काम में डूबा न खुद को भूलकर.
जो बशर उसका जतन बेकाम है..

mrs manjari pandey
युग मशीनों का इंसा बेकाम है
नित नए खोजों का ये अंजाम है

बेदाम

Rajesh kumari
याद में उसकी भरी संदूकची
ये धरोहर प्यार की बेदाम है

sanjiv verma 'salil'
नग्नता निज लाज का शव धो रही.
मन सिसकता तन बिका बेदाम है..

sanjiv verma 'salil'
आँक अपना मोल जग कुछ भी कहे
सत्य-शिव-सुन्दर सदा बेदाम है..

sanjiv verma 'salil'
स्नेह के हाथों बिका बेदाम है.
जो उसी को मिला अल्लाह-राम है.

बेनाम

Abhinav Arun
जो किसी मठ में नहीं अफसर नहीं ,
हाँ वही शाइर यहाँ बेनाम है

वीनस केसरी
प्यास का दरिया से इक रिश्ता है जो,
खूबसूरत है मगर बेनाम है

माम

Tilak Raj Kapoor
हैं नई तहज़ीब की मजबूरियॉं
हैं पिताजी डैड, अम्मा माम है

मोकाम

Ashok Kumar Raktale
रब न जाने क्या रहा अब देखना,
कौन जाने कौनसा मोकाम है

रतलाम

Abhinav Arun
हम सभी का नाम है हिन्दोस्तां ,
बाद में मैसूर या रतलाम है

राम

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
वो जो गुलशन में महकता नाम है
हर नज़र में आज भी इक राम है

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
आबरू है अपने हिन्दुस्तान की
जो है लक्षमन जिसका भाई राम है

SANDEEP KUMAR PATEL
हर बुराई आदमी ही कर रहा
झूठ है हम सब में काबिज राम है

SANDEEP KUMAR PATEL
पत्थरों को ढूंढता हूँ “दीप” मैं
सुन रखा है अब उन्ही में राम है

Majaz Sultanpuri
सिर्फ भाषा भेद है वर्ना मियां
जो यहाँ रहमान है वो राम है

AVINASH S BAGDE
ये चलन है आजकल की सोच का!
बगल में छूरी ओ मुँह में राम है .

Arun Srivastava
सुब्ह को कुहराम सहमी शाम है
बात क्या?मस्जिद पे लिक्खा राम है

आशीष नैथानी 'सलिल'
है नशा कुछ और ही इस याद में
ये भजन, गीता, जुबाँ पर राम है

Satish mapatpuri
रह गया मन्दर और मस्जिद ही यहाँ .
अब वहाँ रहता खुदा - ना राम है .

sanjiv verma 'salil'
स्नेह के हाथों बिका बेदाम है.
जो उसी को मिला अल्लाह-राम है.

sanjiv verma 'salil'
चाहता है हर बशर सीता मिले.
बना खुद रावण, न बनता राम है..

विश्राम

sanjiv verma 'salil'
मन थका, तन चाहता विश्राम है.
मुरझता गुल झर रहा निष्काम है.

व्यायाम

Saurabh Pandey
साधना है, योग है, व्यायाम है
घर चलाना घोर तप का नाम है

शाम

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
महके महके फूल हैं 'गुलशन' यहाँ
महकी महकी आज की ये शाम है

Tilak Raj Kapoor
कीजिये कुछ अक्ल की बातें मियॉं
कट चुकी है दोपहर अब शाम है

Rajesh kumari
बेवड़े के हाथ में अब ज़ाम है
झिलमिलाई नालियों की शाम है

Harjeet Singh Khalsa
फिर उदासी छा रही है क्या करें,
आपके बिन ढल रही फिर शाम है

Harjeet Singh Khalsa
कर दिया जब से तुम्हारे नाम दिन,
फिर सुबह अपनी न अपनी शाम है

Abhinav Arun
ताजगी तेरी बनारस की सुबह ,
सादगी तेरी अवध की शाम है

कुमार गौरव अजीतेन्दु
वीरता अब हो रही गुमनाम है।
कायरों की रोज रंगीं शाम है

Arvind Kumar
देख लो, ये ज़िन्दगी-ए-आम है,
भूख खौली, बासी ठंडी शाम है

Saurabh Pandey
लोग जाने क्यों कहें खारा पहर
पास आ ’सौरभ’ सुहानी शाम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
रोशनी तो थी यहां होनी मगर
गुम अंधेरों में सिसकती शाम है

Arun Srivastava
बुतकदा-मस्जिद अलग क्यों?एक जब
चाँद सूरज और सुब्ह - ओ - शाम है

Shashi Mehra
पाँच के संजोग से है, जग रचा ||
रात-दिन, दोपहर, सुबह-शाम है

sanjiv verma 'salil'
'सलिल' ऐसी भोर देखी ही नहीं.
जिसकी किस्मत नहीं बनना शाम है..

mrs manjari pandey
होठ पे मय के छलकते जाम है
नाम उनके ही गुज़रती शाम है

Rajesh kumari
गीत से जिसके बहलती शाम है
माँ उसी संगीत का ही नाम है

SANDEEP KUMAR PATEL
शहर की क्या शब सहर क्या शाम है
रेप चोरी लूट हत्या आम है

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)
जुल्फ में तेरी कटी हर शाम है
अब सिवा तेरे कहां आराम है

Arun Srivastava
सुब्ह को कुहराम सहमी शाम है
बात क्या?मस्जिद पे लिक्खा राम है

Shashi Mehra
लब पे रहता राम, दिल में शाम है |
नाम लेना रह गया, अब काम है

Shashi Mehra
हूँ मुकद्दस धाम पे, और शाम है |
अब यहाँ, आराम ही आराम है

आशीष नैथानी 'सलिल'
जगमगाते शह्र की इक शाम है
जिन्दगी फिरसे तुम्हारे नाम है

संग्राम

Rajesh kumari
ज़िन्दगी अब 'राज' ये कैसे कटे
रोज़ पीने पर छिड़े संग्राम है

हज्ज़ाम

Rajesh kumari
बोलता था डॉक्टर हूँ मैं ब ड़ा
बाद में निकला अदद हज्ज़ाम है

center

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Replies to This Discussion

आदरणीय तिलकराजजी, आपकी अथक मेहनत हर उस शायर के लिए है, जो किसी काफ़िया को कई एक रंग में देखना चाहता है.

आपकी अथक संलग्नता और आपके गांभीर प्रयास को मेरा सादर नमन.. 

सौरभ जी,

इस प्रयास का उद्देश्‍य यही है कि एक ही काफि़या को लेकर कितनी संभावनायें सामने होती यह प्रस्‍तुत हो सकें जिससे जिनके शेर सम्मिलित हुए हैं वे भी अन्‍य विकल्‍पों से क्‍या अंतर हो सकता था यह समझ सकें।  कहन का दायरा असीमित होता है यह स्‍पष्‍ट हो जाना चाहिये। इसका लाभ यह होगा कि अगली बार शेर कहते समय शायर हर शेर कहने के लिये विकल्‍प तलाशेगा और उसकी कहन में गुणात्‍मक सुधार होगा। 

वाह आदरणीय श्री तिलक राज जी ! आपके इस परिश्रम से काफी कुछ सीखने को मिल रहा है । अक्सर हम {main}काफिये कमी से जूझने लगते हैं या कहा जाए तो नज़र आउट ऑफ़ बोक्स नहीं जा पाती । एक स्थान पर एक काफिये के शेरो को देखकर लगता है और पता चलता है की किस प्रकार के अलग अलग काफिये हो सकते हैं , हैं और उनका प्रयोग किस प्रकार हो सकता है । इससे ओ बी ओ सदस्यों और इस मंच की शब्द सम्पन्नता भी उजागर होती है साधुवाद शायरों को आपको और ओ बी ओ को !!

सही कहा आपने, भाईजी.  साझा करना रोचक होगा कि आदरणीय तिलकराजजी कई बार इस तईं बातें कर चुके थे. आपका मानना है कि नये शायरों को यह अवश्य देखना चाहिये कि विभिन्न शायर एक ही काफ़िया को कैसे और किस हिसाब से बरतते हैं.

इस बाबत आपने जो श्रम किया है वह चकित तो करता ही है, अन्य सदस्यों के लिए भी अनुकरणीय है कि वे भी मंच की गतिविधियों के प्रति सजग और संलग्न रहें. इसे स्वर्जित दायित्व के प्रति गंभीर होना तो कहते ही हैं, आदरणीय तिलकराजजी का श्रम यह भी दर्शाता है कि इस मंच पर आयोजित इण्टरऐक्टिव मुशायरे के प्रति आपकी कितनी आत्मीयता है.

 

आभारी हूँ अभिनव जी। 

समान काफिया के अशआर का संकलन... एक तोहफे जैसा है.

इसे पढ़ना जहां बहुत रोचक और तुलनात्मक है वहीं बहुत ज्ञानवर्धक भी है.

सोच के आसमान का विस्तार असीमित है...और इस आसमान को मापने का एक नया ही अनुभव है इस संकलन को पढ़ना और समान काफिया और विविध तासीर के भावों के साथ बह निकलना...

आदरणीय तिलक राज कपूर जी का हार्दिक आभार इस श्रम साधना के लिए 

सादर.

आभारी हूँ डॉ प्राची जी।

आदरणीय तिलक राज सर जी सादर प्रणाम स्वीकारें

काफ़िए वार सभी अश्आर प्रस्तुत करने हेतु साधुवाद सर जी, सीखने सिखाने के क्रम मे एक महत्वपूर्ण पहल हुई है
इससे पता पड़ेगा की एक ही काफ़िए के साथ आपकी कहन कहाँ तक जा सकती है और इक सुविधा भी के अलग अलग काफ़िए के साथ ग़ज़ल कहने पर उसे मिसरों मे किस तरह बाँधा जाए के जो शायर कहना चाह रहा है वो श्रोता और पाठक के दिल मे उतर जाए, एक बार पुनः इस अतियावश्यक कार्य हेतु साधुवाद सहित प्रणाम सर जी स्नेह यूँ ही बना रहे मंच पर आप गुरुजनों और अग्रजों का सादर

आभारी हूँ संदीप,

इसे एक गंभीर पाठ के रूप में लेंगे तो सोच कहन का दायरा अवश्‍य बढ़ेगा। 

आदरणीय तिलकराज जी काफिये के अनुसार अश'आर का संकलन बड़ा ही श्रमसाध्य कार्य  करके व्यंजनों से भरपूर थाली परोस दी है। हम सब जी भर के छक रहे हैं।बड़ा आनंद आ रहा है।

मंजरी जी 

आभारी हूँ। 

अब आपके सामने कोइ्र इन में से एक शब्‍द भी बोले तो आप उसे कई शेर सुना सकेंगी।

आदरणीय तिलकराजजी, आपकी की कोश्शि को सलाम , ऐसा कर आप जी ने हमारे जेसे नए गज़ल कहने वालों को  काफिया का बहुत बड़ा संसार दिखा दिया है

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