अंजाम ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) जो किसी सूरत कभी झुकते नही टूट जाते हैं यही अंजाम है
Mohd Nayab वो समझते हैं धमाका मौत का ज़ालिमों का आखरी अंजाम है
Rajesh kumari मान जायेगा सुना था प्यार से छूट देने का यही अंजाम है
SANDEEP KUMAR PATEL इश्क़ का करते नहीं आगाज़ वो सोचते हैं होना क्या अंजाम है
Mohan Begowal बिक रहा हर कोई जब बाज़ार में , शहर गाँव अब, भुगत रहें अंजाम है
AVINASH S BAGDE भीड़ में हर शय नहायी है यहाँ , बढती आबादी का ये अंजाम है .
Arun Srivastava आबला -पा , दर्दे दिल , तिश्ना-लबी ये मुहब्बत का हसीं अंजाम है
Dr.Prachi Singh साए में आतंक के आवाम है ये सियासी चाल का अंजाम है
आशीष नैथानी 'सलिल' तुम न आये, मैं रहा चौराह पर इश्क का कैसा हुआ अंजाम है
mrs manjari pandey युग मशीनों का इंसा बेकाम है नित नए खोजों का ये अंजाम है
Tilak Raj Kapoor प्या र का ही दोस्तोंम अंजाम है नाम हो पाया नहीं, बदनाम है
वीनस केसरी खुल के हंसने का यही अंजाम है हर खुशी के साथ इक कुहराम है
sanjiv verma 'salil' शुभ किया आगाज़ शुभ अंजाम है. काम उत्तम वही जो निष्काम है..
Shashi Mehra चैन की है चाह, और बेचैन है | ज़िन्दगी का, भूल के, अंज़ाम है
आम
Harjeet Singh Khalsa रातभर करते सितारे गुफ्तगू, ये नजारा अब यहाँ पर आम है
Abhinav Arun हाथ कंगन के लिए भी आरसी , न्याय का अब ये तरीका आम है
Abhinav Arun रौब रुतबा राजपथ पर चल रहा , आप कहते थे ये रस्ता आम है
SANDEEP KUMAR PATEL शहर की क्या शब सहर क्या शाम है रेप चोरी लूट हत्या आम है
विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय तय करे जो देश की तकदीर को। बन गया देखो विधाता आम है
Arvind Kumar देख लो, ये ज़िन्दगी-ए-आम है, भूख खौली, बासी ठंडी शाम है
Arun kumar nigam बहुरिया के हाथ कच्चा आम है सास खुश है, अनकहा पैगाम है
Mohan Begowal 'खाश' बन कर चल रहा था जो कभी, आज बन कर चल रहा वो आम है
आराम
ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) आप की नज़र-ए-इनायत के सबब अब यहाँ आराम ही आराम है
Mohd Nayab इश्क में जीना है क्या, मरना है क्या अब यहाँ आराम ही आराम है
Tilak Raj Kapoor ग़म बढ़ा तो याद की महफि़ल सजी अब यहॉं आराम ही आराम है
Rajesh kumari नालियों में लेट कर वो सोचता अब यहाँ आराम ही आराम है
Rajesh kumari गोद में उसकी हमेशा सोचती अब यहाँ आराम ही आराम है
Harjeet Singh Khalsa यूँ अकेले जी रहे है ज़िन्दगी, अब यहाँ आराम ही आराम है
Harjeet Singh Khalsa आरजू हसरत सभी चुप हो गये, अब यहाँ आराम ही आराम है
Abhinav Arun गीत ग़ज़लों का तरन्नुम है यहाँ , अब यहाँ आराम ही आराम है
कुमार गौरव अजीतेन्दु बोल दें कैसे बता "गौरव" हमें, अब यहाँ आराम ही आराम है
SANDEEP KUMAR PATEL हमको लो रोटी मकां कपड़ा मिला अब यहाँ आराम ही आराम है
SANDEEP KUMAR PATEL माँ की गोदी में रखा अपना जो सर अब यहाँ आराम ही आराम है
Er. Ganesh Jee "Bagi" किचकिचाती थी गई वो मायके, अब यहाँ आराम ही आराम है
विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय मुफलिसी से तंग आकर मर गया। अब यहां आराम ही आराम है
Majaz Sultanpuri मेरे मदफन ने कहा मुझसे 'मजाज़' अब यहाँ आराम ही आराम है
वीनस केसरी पहुंचे जन्नत और वाइज़ कह पड़े, अब यहाँ आराम ही आराम है
Ashok Kumar Raktale चल दिए हैं बिन कहे ही काम पर, अब यहाँ आराम ही आराम है
Arvind Kumar तर्क-ए-उल्फत सोच कर रोये मगर, अब यहाँ आराम ही आराम है
Saurabh Pandey इश्क़ में खुद को फ़ना कर बोल तू अब यहाँ आराम ही आराम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) जुल्फ में तेरी कटी हर शाम है अब सिवा तेरे कहां आराम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) जख्म जो तूने छुआ मेरा, लगा अब यहां आराम ही आराम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) तूफां गुजर जाए तो ही कहना अब यहां आराम ही आराम है
AVINASH S BAGDE बाद बरसों के मिला अनुदान जो, अब यहाँ आराम ही आराम है ...
Arun Srivastava थक - थकाकर आ गए है कब्र तक अब यहाँ आराम ही आराम है
Dr.Prachi Singh हो कली में कैद भौंरे ने कहा अब यहाँ आराम ही आराम है
Shashi Mehra हूँ मुकद्दस धाम पे, और शाम है | अब यहाँ, आराम ही आराम है
आशीष नैथानी 'सलिल' गेसुओं की छांह में आकर लगा अब यहाँ आराम ही आराम है
Satish mapatpuri चढ़ गये कुर्सी तो फिर क्या सोचना . अब यहाँ आराम ही आराम है .
sanjiv verma 'salil' रूह सच की जिबह कर तन कह रहा अब यहाँ आराम ही आराम है..
mrs manjari pandey कर गए जो काम करना था किया अब यहाँ आराम ही आराम है
Arun kumar nigam छोड़ आए हम जमाने की फिकर अब यहाँ आराम ही आराम है
sanjiv verma 'salil' अब यहाँ आराम ही आराम है. गर हुए बदनाम तो भी नाम है..
आवाम
Dr.Prachi Singh साए में आतंक के आवाम है ये सियासी चाल का अंजाम है
आसाम
वीनस केसरी सारे मुद्दों को हटा कर देखिये, खूबसूरत आज भी आसाम है
इंतजाम
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) रौशनी की तलाश में पहुंचे यहां बताइए यहां क्या इंतजाम है
इनआम
Mohd Nayab ग़म के आंसू जो मेरी आँखों में हैं क्या मोहब्बत का यही इनआम है
SANDEEP KUMAR PATEL खुद ब खुद सत्ता थमा दी चोर को मुफलिसी उसका बड़ा इनआम है
वीनस केसरी उस हज़ल पर तब्सिरा करते हैं लोग, पढ़ की जिसको गम मिले इनआम है
Saurabh Pandey थी मुलायम जिस वज़ह उसकी ज़ुबां वो उसे अब दे रही इनआम है
Mohd Nayab आज कल उनपर बड़ा इनआम है जो ज़माने में बहुत बदनाम है
Abhinav Arun क्या लिखा कितना लिखा मत पूछिये , चापलूसी का मिला इन्आम है
इलजाम
कुमार गौरव अजीतेन्दु चोट जो खाई हमारे गर्व ने, दीखती हमपर बड़ा इलजाम है
इलज़ाम
ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) वक़्त पीरी काम है न धाम है बस ज़माने का यही इलज़ाम है
Mohan Begowal बोलती अब है क्यूँ बस्ती मेरी ? लगता उसपे बस यही इलज़ाम है
Arvind Kumar इक शज़र पे मैंने लायी है खिज़ां, सर पे मेरे ये नया इलज़ाम है
Dr.Prachi Singh सीखचों की कैद में जकड़ा गया इश्क का जिसके भी सर इलज़ाम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) राहों के निशां का ये काम है मुझ पर घिसटने का इल्जाम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) तेरी बातों का बुरा नहीं मानते अब पहले से ही हम पर ये इल्जाम है
Arun Srivastava रख दिया क़दमों तले दस्तार तक बाप है बेटी का ये इल्जाम है
आशीष नैथानी 'सलिल' अब न दो तालीम इज्जत की 'सलिल' यूँ भी तुमपर प्रीत का इल्जाम है
विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय जिसके सिर जितना बड़ा इल्जाम है वो यहां उतना ही आला नाम है
Saurabh Pandey झील है तू, रोज़ मत नज़दीक आ एक पत्थर हूँ मुझे इल्ज़ाम है
इस्लाम
Majaz Sultanpuri मज्हबो मैं इब्ने आदम बट गया कोई ईसाई कोई इस्लाम है
ईनाम
Rajesh kumari भाग आई छोड़ कर माँ बाप को बद गुमानी का यही ईनाम है
Rajesh kumari जिंदगी की दौड़ जब मैं जीतती आज भी देती मुझे ईनाम है
Harjeet Singh Khalsa कशमकश ही ज़िन्दगी बनती गई, ये वफ़ा का मिल रहा ईनाम है
mrs manjari pandey सिल के मुह बैठे रहो तो ठीक है खुल गया जो मौत ही ईनाम है
कत्लेआम
Satish mapatpuri दम तो भरता है पड़ोसी दोस्ती का . पर सिला में मिलता कत्लेआम है .
काम
ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) फल की इच्छा कौन करता है यहाँ नेकियाँ करना हमारा काम है
Tilak Raj Kapoor जेब में गर आपके भी दाम है आइये बतलाइये क्या काम है
Rajesh kumari दीप रोशन कर मुझे ख़ुद बुझ गया रोशनी अब बाँटना निज़ काम है
SANDEEP KUMAR PATEL उम्र भर “मैं” को रखा गुमनाम है कर लिया हमने कठिन ये काम है
Er. Ganesh Jee "Bagi" दाम ईंधन का बढ़े मेरी बला, लिफ्ट ले चलना हमारा काम है
विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय कर सको तो जुल्म मेरे तय करो। लूट हत्या जालसाजी काम है
Ashok Kumar Raktale तन गई उनकी भवें लो जब कहा, बस करो जी और कितने काम हैं
Arvind Kumar बुतकदों में ढूंढता हूँ फिर तुझे, फिर मुझे तुझसे पड़ा कुछ काम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) अपनी सूरत आईने में देख लो इस वक्त संवरना ही काम है
Shashi Mehra लब पे रहता राम, दिल में शाम है | नाम लेना रह गया, अब काम है
Shashi Mehra दिल के हाथों हर कोई, मजबूर है | ज़हन से लेता नहीं, वो काम है
sanjiv verma 'salil' जग गया मजदूर सूरज भोर में बिन दिहाड़ी कर रहा चुप काम है..
Arun kumar nigam झुनझुने के शोर से चुप हो गया आम इंसां का यही तो काम है
Abhinav Arun जबकि सबकुछ उस खुदा का काम है , आदमी बेकार ही बदनाम है
Ashok Kumar Raktale खुल गई है नींद अब क्या काम है फिर न कहदे आखरी ये जाम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) राहों के निशां का ये काम है
मुझ पर घिसटने का इल्जाम है
कुहराम
कुमार गौरव अजीतेन्दु हाल भारी है बुरा इस देश का, मच रहा चहुँओर ही कुहराम है
वीनस केसरी खुल के हंसने का यही अंजाम है | हर खुशी के साथ इक कुहराम है
Saurabh Pandey आज होगा दफ़्न कल की कब्र में है पता फिर भी मचा कुहराम है
Mohd Nayab इक धमाका शहर में शायद हुआ हर तरफ ये आज जो कोहराम है
AVINASH S BAGDE झूठ की बस्ती में सच गुमनाम है, हर तरफ कोहराम ही कोहराम है.
गाम
Shashi Mehra बस ‘शशि’ का सब को, यह पैगाम है | मौत तक ही, ज़िन्दगी का गाम है
गुमनाम
Mohd Nayab जो ग़ज़ल 'नायाब' लिखते हैं यहाँ नाम उनका ही यहाँ गुमनाम है
Abhinav Arun नोयडाओं की भरी झोली मगर , मोतिहारी आज भी गुमनाम है
विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय जानते हो देश की पहचान क्या? भेड़ राजा शेर अब गुमनाम है
Saurabh Pandey न्याय करता है ग़ज़ब का वक़्त भी था कभी इक शोर, अब गुमनाम है
कुमार गौरव अजीतेन्दु वीरता अब हो रही गुमनाम है। कायरों की रोज रंगीं शाम है
SANDEEP KUMAR PATEL उम्र भर “मैं” को रखा गुमनाम है कर लिया हमने कठिन ये काम है
AVINASH S BAGDE झूठ की बस्ती में सच गुमनाम है, हर तरफ कोहराम ही कोहराम है.
गुलफाम
sanjiv verma 'salil' तोड़ गुल गुलशन को वीरां का रहा. जो उसी का नाम क्यों गुलफाम है+C219
Majaz Sultanpuri रुबरु मेरे जो इक गुलफाम है गुफ्तगू उससे ग़ज़ल का नाम है
गोदाम
कुमार गौरव अजीतेन्दु घूमते हैं सेठ बनके लोग वो,
भीख से जिनका भरा गोदाम है
Saurabh Pandey भूख की सारी लड़ाई जिस लिए पट गया चूहों.. . वही गोदाम है
घनशयाम
Mohd Nayab मुरली वाले का बड़ा ही नाम है गोपियों का जो हुआ घनशयाम है
घनशाम
Arvind Kumar किसकी खातिर मैं यहाँ रातें जगूँ, दूर जा बैठा मेरा घनशाम है
घाम
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) धुआं धुआं सा छाया है हर तरफ लोग कहते हैं यहां बहुत घाम है
चाम
Abhinav Arun आज भी हम सब गुलामी जी रहे , आज भी शासक उधाड़े चाम है
जाम
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) पत्ते बज रहे हैं साज की तरह न साकी, न मयकदा, न जाम है
ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) रोयेंगे अब अहले मयखाना मुझ़े हाँथ में ये आखरी अब जाम है
Mohd Nayab मेहर हो मुझपर भी मेरे साकिया देख ले हाथों में खाली जाम है
Tilak Raj Kapoor अब किसे फ़ुर्सत तुम्हादरी याद की दर्द है, तन्हा्ई है, औ जाम है
Harjeet Singh Khalsa चार सूं इक ही तलब का नाम है, है कहाँ साक़ी कहाँ पर जाम है
Mohan Begowal गिलास करता है बस यही एक सफर, टूट जाता है यां बदले जाम है
Ashok Kumar Raktale खुल गई है नींद अब क्या काम है/ फिर न कहदे आखरी ये जाम है
Harjeet Singh Khalsa साक़िया कैसा पिलाया जाम है, होश में आने से दिल नाकाम है
mrs manjari pandey होठ पे मय के छलकते जाम है नाम उनके ही गुज़रती शाम है
Er. Ganesh Jee "Bagi" राज़ है क्या लाल चश्मे का सुनो, जल पियो तो यूँ लगे ज्यों ज़ाम है
Rajesh kumari बेवड़े के हाथ में अब ज़ाम है झिलमिलाई नालियों की शाम है
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दाम Harjeet Singh Khalsa लुट गए यूँ इश्क के बाज़ार में, बे पता है, बेखबर, बे दाम है
Abhinav Arun है मुझे कुछ कुछ लकीरों पर यकीं , बोलिए ताबीज़ का क्या दाम है
विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय है वही ज्ञानी गुणी धीवान भी। पास जिसके बाहुबल छल दाम है
Saurabh Pandey सोचता है बाप इस बाज़ार में बच्चियों को क्या खबर क्या दाम है
Arun Srivastava क्या जरूरी है कि खुशबूदार हो फूल वो जिसका जियादः दाम है
mrs manjari pandey हाथ के छालों को देखा "मन्जरी " फूट कर भी मिल न पाया दाम है
Tilak Raj Kapoor जेब में गर आपके भी दाम है आइये बतलाइये क्या काम है
धाम
Mohd Nayab प्यार से कहते हैं मोहन भी उसे शहर मथुरा जिसका गोकुल धाम है
Rajesh kumari माँ नही तो 'राज'अब ये सोचती बिन तिरे मेरा कहाँ अब धाम है
SANDEEP KUMAR PATEL बीच में ही शहर के इक बाग था प्रेमियों का आज तीरथ धाम है
ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) वक़्त पीरी काम है न धाम है बस ज़माने का यही इलज़ाम है
नाकाम
Rajesh kumari होश में तो रास्ता मैं रोकती सामने अब हर जतन नाकाम है
Rajesh kumari माँ बिना तो नज़्म भी पूरी नही हर ग़ज़ल की तर्ज़ भी नाकाम है
Harjeet Singh Khalsa इस जहाँ को जीतकर क्या पा लिया, हो चुके जब इश्क में नाकाम है
Harjeet Singh Khalsa साक़िया कैसा पिलाया जाम है, होश में आने से दिल नाकाम है
वीनस केसरी खुदकुशी से मस्अले हल हो गए, लिख गया वो, ज़िंदगी नाकाम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) पांव कुछ इस तरह उखड़ने लगे
सम्हलने की हर कोशिश नाकाम है
Arun Srivastava थक चुके पंखों में भी परवाज देख कौन कहता है कि वो नाकाम है
Shashi Mehra पाप का रस्ता चुना, जब सुन लिया | कोशिश कभी, जाती नहीं, नाकाम है
Satish mapatpuri वक्त कैसा आ गया मापतपुरी. रब का बन्दा ही यहाँ नाकाम है .
sanjiv verma 'salil' भूख की सिसकी न कोई सुन रहा प्यार की हिचकी 'सलिल' नाकाम है..
नाम
ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) जो वतन के वास्ते देते हैं जान अब किताबों में उन्ही का नाम है
Tilak Raj Kapoor तिश्नकगी ही तिश्नहगी ही तिश्नहगी जि़न्दीगी शायद इसी का नाम है
Rajesh kumari गीत से जिसके बहलती शाम है माँ उसी संगीत का ही नाम है
Er. Ganesh Jee "Bagi" सात है उसकी बहन सुन खुश हुआ, जो थी छुटकी वो ही मेरे नाम है
Er. Ganesh Jee "Bagi" शेर सुन बीवी भड़क सकती मेरी, मुन्नी उसकी इक बहन का नाम है
विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय जिसके सिर जितना बड़ा इल्जाम है। वो यहां उतना ही आला नाम है
Majaz Sultanpuri रुबरु मेरे जो इक गुलफाम है गुफ्तगू उससे ग़ज़ल का नाम है
वीनस केसरी हक के खातिर बोलना आसां था पर, बागियों में अब हमारा नाम है
Arvind Kumar शौक से जलते नहीं चूल्हे कभी, शायरी इक भूलता सा नाम है
Saurabh Pandey साधना है, योग है, व्यायाम है घर चलाना घोर तप का नाम है
आशीष नैथानी 'सलिल' जगमगाते शह्र की इक शाम है जिन्दगी फिरसे तुम्हारे नाम है
sanjiv verma 'salil' अब यहाँ आराम ही आराम है. गर हुए बदनाम तो भी नाम है..
sanjiv verma 'salil' मस्त मैं खुद में कहे कुछ भी 'सलिल' ऐ खुदाया! तू ही मेरा नाम है..
ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) वो जो गुलशन में महकता नाम है हर नज़र में आज भी इक राम है
Mohd Nayab मुरली वाले का बड़ा ही नाम है गोपियों का जो हुआ घनशयाम है
Harjeet Singh Khalsa चार सूं इक ही तलब का नाम है, है कहाँ साक़ी कहाँ पर जाम है
Mohan Begowal युग बदल लेता जो अपना नाम है साथ वो लाता नया पैगाम है
Satish mapatpuri आज दुनिया में उन्हीं का नाम है . सबसे ज्यादा जो यहाँ बदनाम है .
निष्काम
sanjiv verma 'salil' मन थका, तन चाहता विश्राम है. मुरझता गुल झर रहा निष्काम है.
sanjiv verma 'salil' शुभ किया आगाज़ शुभ अंजाम है. काम उत्तम वही जो निष्काम है..
नीलाम
Harjeet Singh Khalsa पूछिए मत इश्क में है हाल क्या दिल जिगर धड़कन सभी नीलाम है
कुमार गौरव अजीतेन्दु बाँकुरों के हाथ बाँधे "वोट" ने, मान अपना हो रहा नीलाम है
SANDEEP KUMAR PATEL लुट रहे थे हम मगर चुप ही रहे आज अस्मत हो रही नीलाम है
वीनस केसरी हद तो ये है, कोई हैरां तक नहीं, गम की बोली पर खुशी नीलाम है
परिणाम
Rajesh kumari आज जिस आकाश पर मैं उड़ रही ये उसी आशीष का परिणाम है
SANDEEP KUMAR PATEL चंद सिक्कों की चमक में खो गए आज चुप हो उसका ही परिणाम है
Er. Ganesh Jee "Bagi" पत्नी बोली मिल गया "बागी" पिया, सब बुरे कर्मो का ही परिणाम है
AVINASH S BAGDE भ्रूण-हत्या पर बहस होने लगी, देखिये कितना सुखद परिणाम है
Dr.Prachi Singh आ भुला दें आज हर शिकवा गिला टूटता घर इनका ही परिणाम है
sanjiv verma 'salil' चन्द्रमा ने चन्द्रिका से हँस कहा प्यार ही तो प्यार का परिणाम है..
पैगाम
कुमार गौरव अजीतेन्दु पामरों का झुंड भारत बन गया,
जा रहा जग को यही पैगाम है
Mohan Begowal युग बदल लेता जो अपना नाम है साथ वो लाता नया पैगाम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) रात के सोए अभी जागे नहीं वो जो लाए सुब्ह का पैगाम है
Dr.Prachi Singh बादशा भी खाली हाथों जायगा यह सिकंदर का दिया पैगाम है
आशीष नैथानी 'सलिल' मेरे हाथों में है गुल की पंखुड़ी और दिल में इश्क का पैगाम है
sanjiv verma 'salil' चल 'सलिल' बन नीव का पत्थर कहीं कलश बनना मौत का पैगाम है..
Arun kumar nigam बहुरिया के हाथ कच्चा आम है सास खुश है, अनकहा पैगाम है
Shashi Mehra बस ‘शशि’ का सब को, यह पैगाम है | मौत तक ही, ज़िन्दगी का गाम है
Majaz Sultanpuri अम्न से बढकर कोई शेवा नहीं सारी दुनिया को मेरा पैग़ाम है
प्राणायाम
Arun kumar nigam काम धंधे से मिली फुरसत हमें साँझ पूजा , सुबह प्राणायाम है
बदनाम
Mohd Nayab आज कल उनपर बड़ा इनआम है जो ज़माने में बहुत बदनाम है
Tilak Raj Kapoor प्या र का ही दोस्तोंम अंजाम है नाम हो पाया नहीं, बदनाम है
Rajesh kumari प्यार का है ये नशा कह्ता मुझे ये सुरा तो बेवज़ह बदनाम है
Harjeet Singh Khalsa लाख समझाया मगर सुनता न था, खामखा ये दिल हुआ बदनाम है
Abhinav Arun जबकि सबकुछ उस खुदा का काम है , आदमी बेकार ही बदनाम है
SANDEEP KUMAR PATEL दीप बुझते शहर भर में तेल बिन खामखा चलती हवा बदनाम है
SANDEEP KUMAR PATEL बढ़ रहा आतंक शासक सो रहे खामखा इक कौम क्यूँ बदनाम है
Ashok Kumar Raktale कब सुनी बातें कही मैंने मगर, नाम होता पर मेरा बदनाम है
Arvind Kumar मुड़ न पाओगे, जो उस जानिब गए, बच के चलना, राह-ए- सच बदनाम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) जाम तो खाली सभी मैंने किये तिश्नगी नाहक हुई बदनाम है
Shashi Mehra खुद घिरा है मुश्किलों में, आदमी | कर रहा भगवान् को बदनाम है
Satish mapatpuri आज दुनिया में उन्हीं का नाम है . सबसे ज्यादा जो यहाँ बदनाम है .
Er. Ganesh Jee "Bagi" आंटियों ने कर दिया बदनाम है, बीवी हेडक मुन्नी झंडू बाम है
बादाम
sanjiv verma 'salil' नहीं दाना मयस्सर नेता कहे कर लिया आयात अब बादाम है..
बाम
SANDEEP KUMAR PATEL दर्द उस आशिक़ को कैसे हो पता जिसकी महबूबा ही झंडू बाम है
Er. Ganesh Jee "Bagi" आंटियों ने कर दिया बदनाम है, बीवी हेडक मुन्नी झंडू बाम है
Arun kumar nigam वो समझता ही नहीं संकेत को क्या कहूँ वो पूरा झण्डू बाम है
बेकाम
कुमार गौरव अजीतेन्दु भौंकता "नापाक" सीमा लाँघ के,
दंड अपना क्यों पड़ा बेकाम है
Arun Srivastava शब को बच्चे भूख से रोते रहे अब अना उसके लिए बेकाम है
sanjiv verma 'salil' काम में डूबा न खुद को भूलकर. जो बशर उसका जतन बेकाम है..
mrs manjari pandey युग मशीनों का इंसा बेकाम है नित नए खोजों का ये अंजाम है
बेदाम
Rajesh kumari याद में उसकी भरी संदूकची ये धरोहर प्यार की बेदाम है
sanjiv verma 'salil' नग्नता निज लाज का शव धो रही. मन सिसकता तन बिका बेदाम है..
sanjiv verma 'salil' आँक अपना मोल जग कुछ भी कहे सत्य-शिव-सुन्दर सदा बेदाम है..
sanjiv verma 'salil' स्नेह के हाथों बिका बेदाम है. जो उसी को मिला अल्लाह-राम है.
बेनाम
Abhinav Arun जो किसी मठ में नहीं अफसर नहीं , हाँ वही शाइर यहाँ बेनाम है
वीनस केसरी प्यास का दरिया से इक रिश्ता है जो, खूबसूरत है मगर बेनाम है
माम
Tilak Raj Kapoor हैं नई तहज़ीब की मजबूरियॉं हैं पिताजी डैड, अम्मा माम है
मोकाम
Ashok Kumar Raktale रब न जाने क्या रहा अब देखना, कौन जाने कौनसा मोकाम है
रतलाम
Abhinav Arun हम सभी का नाम है हिन्दोस्तां , बाद में मैसूर या रतलाम है
राम
ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) वो जो गुलशन में महकता नाम है हर नज़र में आज भी इक राम है
ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) आबरू है अपने हिन्दुस्तान की जो है लक्षमन जिसका भाई राम है
SANDEEP KUMAR PATEL हर बुराई आदमी ही कर रहा झूठ है हम सब में काबिज राम है
SANDEEP KUMAR PATEL पत्थरों को ढूंढता हूँ “दीप” मैं सुन रखा है अब उन्ही में राम है
Majaz Sultanpuri सिर्फ भाषा भेद है वर्ना मियां जो यहाँ रहमान है वो राम है
AVINASH S BAGDE ये चलन है आजकल की सोच का! बगल में छूरी ओ मुँह में राम है .
Arun Srivastava सुब्ह को कुहराम सहमी शाम है बात क्या?मस्जिद पे लिक्खा राम है
आशीष नैथानी 'सलिल' है नशा कुछ और ही इस याद में ये भजन, गीता, जुबाँ पर राम है
Satish mapatpuri रह गया मन्दर और मस्जिद ही यहाँ . अब वहाँ रहता खुदा - ना राम है .
sanjiv verma 'salil' स्नेह के हाथों बिका बेदाम है. जो उसी को मिला अल्लाह-राम है.
sanjiv verma 'salil' चाहता है हर बशर सीता मिले. बना खुद रावण, न बनता राम है..
विश्राम
sanjiv verma 'salil' मन थका, तन चाहता विश्राम है. मुरझता गुल झर रहा निष्काम है.
व्यायाम
Saurabh Pandey साधना है, योग है, व्यायाम है घर चलाना घोर तप का नाम है
शाम
ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) महके महके फूल हैं 'गुलशन' यहाँ महकी महकी आज की ये शाम है
Tilak Raj Kapoor कीजिये कुछ अक्ल की बातें मियॉं कट चुकी है दोपहर अब शाम है
Rajesh kumari बेवड़े के हाथ में अब ज़ाम है झिलमिलाई नालियों की शाम है
Harjeet Singh Khalsa फिर उदासी छा रही है क्या करें, आपके बिन ढल रही फिर शाम है
Harjeet Singh Khalsa कर दिया जब से तुम्हारे नाम दिन, फिर सुबह अपनी न अपनी शाम है
Abhinav Arun ताजगी तेरी बनारस की सुबह , सादगी तेरी अवध की शाम है
कुमार गौरव अजीतेन्दु वीरता अब हो रही गुमनाम है। कायरों की रोज रंगीं शाम है
Arvind Kumar देख लो, ये ज़िन्दगी-ए-आम है, भूख खौली, बासी ठंडी शाम है
Saurabh Pandey लोग जाने क्यों कहें खारा पहर पास आ ’सौरभ’ सुहानी शाम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) रोशनी तो थी यहां होनी मगर गुम अंधेरों में सिसकती शाम है
Arun Srivastava बुतकदा-मस्जिद अलग क्यों?एक जब चाँद सूरज और सुब्ह - ओ - शाम है
Shashi Mehra पाँच के संजोग से है, जग रचा || रात-दिन, दोपहर, सुबह-शाम है
sanjiv verma 'salil' 'सलिल' ऐसी भोर देखी ही नहीं. जिसकी किस्मत नहीं बनना शाम है..
mrs manjari pandey होठ पे मय के छलकते जाम है नाम उनके ही गुज़रती शाम है
Rajesh kumari गीत से जिसके बहलती शाम है माँ उसी संगीत का ही नाम है
SANDEEP KUMAR PATEL शहर की क्या शब सहर क्या शाम है रेप चोरी लूट हत्या आम है
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) जुल्फ में तेरी कटी हर शाम है अब सिवा तेरे कहां आराम है
Arun Srivastava सुब्ह को कुहराम सहमी शाम है बात क्या?मस्जिद पे लिक्खा राम है
Shashi Mehra लब पे रहता राम, दिल में शाम है | नाम लेना रह गया, अब काम है
Shashi Mehra हूँ मुकद्दस धाम पे, और शाम है | अब यहाँ, आराम ही आराम है
आशीष नैथानी 'सलिल' जगमगाते शह्र की इक शाम है जिन्दगी फिरसे तुम्हारे नाम है
संग्राम
Rajesh kumari ज़िन्दगी अब 'राज' ये कैसे कटे रोज़ पीने पर छिड़े संग्राम है
हज्ज़ाम
Rajesh kumari बोलता था डॉक्टर हूँ मैं ब ड़ा बाद में निकला अदद हज्ज़ाम है
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