For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल "उड़ा न देना कहीं आँख से ये तू पानी"

====== ग़ज़ल========

वो दौर और था जिसमे था आबरू पानी
नहीं उबाल रहा अब के है लहू पानी

नदी में फेंक दिए हमने आज कुछ कंकर
दिखा रहा था मेरा अक्स हू-ब-हू पानी

नया है दौर हुई रस्में यहाँ भाप मगर
उड़ा न देना कहीं आँख से ये तू पानी

क्या बंजरों में कहीं ढूँढना है हरियाली
यहाँ तो जूस्तजू है आब आरजू पानी

क्या "दीप" जा रहे हो फिर नदी किनारे तुम
सँभल के बैठना करता है गुफ्तगू पानी


संदीप पटेल "दीप"

Views: 503

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 7:43am

विलम्ब से आपकी ग़ज़ल पर आ रहा हूँ. सो अधिक कुछ क्या कहना.  फिर भी यह अवश्य कहूँगा कि पानी में कंकर फेंकने वाला बिम्ब बहुत ही सुखकर लगा है.

यह अवश्य है कि हरियाली स्त्रीलिंग की तरह प्रयुक्त होती है.

शुभेच्छाएँ.

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 15, 2013 at 8:18am

नदी में फेंक दिए हमने आज कुछ कंकर 
दिखा रहा था मेरा अक्स हू-ब-हू पानी....

संदीप ये शेर दिल की गहराइयों तक पहुंचा....एक शेर पूरी ग़ज़ल पर भरी पद रहा है....मकता भी लाजवाब है....दाद कुबूल हो...

Comment by Dr.Ajay Khare on March 14, 2013 at 3:18pm

नदी में फेंक दिए हमने आज कुछ कंकर 
दिखा रहा था मेरा अक्स हू-ब-हू पानी pani mai aks dikh raha to raam teri ganga maili kese ho gai badhai sunder gajal ke liye

 

Comment by Yogi Saraswat on March 14, 2013 at 12:08pm

नया है दौर हुई रस्में यहाँ भाप मगर
उड़ा न देना कहीं आँख से ये तू पानी

क्या बंजरों में कहीं ढूँढना है हरियाली
यहाँ तो जूस्तजू है आब आरजू पानी

बहुत खूब संदीप जी

Comment by वीनस केसरी on March 14, 2013 at 12:08am

बहुत खूब भाई
यह दो अशआर खास तौर पर अच्छे लगे
ढेरों दाद ....

नदी में फेंक दिए हमने आज कुछ कंकर

दिखा रहा था मेरा अक्स हू-ब-हू पानी


क्या "दीप" जा रहे हो फिर नदी किनारे तुम

सँभल के बैठना करता है गुफ्तगू पानी

Comment by बृजेश नीरज on March 13, 2013 at 9:48pm

वाह क्या बात है! बहुत खूब!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 13, 2013 at 9:34pm

आदरणीय श्री संदीप कुमार पटेल जी, "यहाँ तो जूस्तजू है आब आरजू पानी" आपके गजल ने मुझे मंत्र मुग्ध कर दिया! बहुत बहुत बधाई!

 

Comment by ram shiromani pathak on March 13, 2013 at 9:26pm

क्या "दीप" जा रहे हो फिर नदी किनारे तुम 
सँभल के बैठना करता है गुफ्तगू पानी!!!!!!!!बहोत खूब आदरणीय !हार्दिक  बधाई 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"घास पूस की छत बना, मिट्टी की दीवारबसा रहे किसका कहो, नन्हा घर संसार। वाह वाह वाह  आदरणीय…"
10 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक रक्तले सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर खुश हूं। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार आपका। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
19 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकर मुग्ध हूं। हार्दिक आभार आपका। मैने लौटते हुए…"
45 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। चित्र के अनुरूप सुंदर दोहे हुए है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। चित्र को साकार करते अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।  भाई अशोक…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार। छठे दोहे में सुधार…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र आधारित दोहा छंद टूटी झुग्गी बन रही, सबका लेकर साथ ।ये नजारा भला लगा, बिना भेद सब हाथ…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्र को साकार करती उत्तम दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाई, आपकी प्रस्तुति ने आयोजन का समाँ एक प्रारम्भ से ही बाँध दिया है। अभिव्यक्ति में…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  दोहा छन्द * कोई  छत टिकती नहीं, बिना किसी आधार। इसीलिए मिलजुल सभी, छत को रहे…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र पर अच्छे दोहे रचे हैं आपने.किन्तु अधिकाँश दोहों…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service