For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ढक दिया जाता है नकाब से चेहरा !

 Portrait of young beautiful happy indian bride with bright makeup and golden jewelry - stock photoClose-up portrait of the female face in blue sari. Vertical photo - stock photo

 

सजा औरत को देने में मज़ा  है  तेरा  ,
क़हर ढहाना, ज़फा करना जूनून है तेरा !

दर्द औरत का बयां हो न जाये चेहरे से ,
ढक दिया जाता है नकाब से  चेहरा  !

बहक न जाये औरत सुनकर बगावतों की खबर ,
उसे बचपन से बनाया जाता है बहरा !

करे न पार औरत हरगिज़ हया की चौखट ,
उम्रभर देता है मुस्तैद होकर मर्द पहरा !

मर्द की दुनिया में औरत होना है गुनाह ,
ज़ुल्म का सिलसिला आज तक नहीं ठहरा !

दर्द औरत के दिल का जान सकता है 'नूतन'
वही जो दिल में उतरकर देखे गहरा !!

      शिखा कौशिक 'नूतन '

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 667

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 2, 2013 at 7:18pm

आदरणीया, शिखा कौशिक‘नूतन‘ जी, अतिसुन्दर गजल ‘दर्द औरत के दिल का जान सकता है ‘नूतन‘
वही जो दिल में उतरकर देखे गहरा !! बधाई स्वीकारें।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 2, 2013 at 2:54pm


 जी आदरणीय सौरभ जी आपकी बात से सहमत हूँ |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 2, 2013 at 2:16pm

आदरणीया राजेशजी, आपने जिस संवेदना और संयत ढंग से अपनी बातें रखीं हैं वह वास्तव में आपके हृदय की गहराइयों को बयान करता है. यह सही है कि शिखाजी को एक अरसे पढ़ रहा हूँ. हर बार अभिभूत भी होता हूँ. लेकिन आप मंच के उदार वातावरण को मात्र सुनाने का माध्यम समझती हैं, यही सालता है. आप जितने दिनों से इस मंच पर हैं, अबतक ग़ज़ल की बारिकियों को आत्मसात कर अपनी कहन को तथ्यात्मक ऊँचाई दे चुकी होतीं. साहित्य के परिवेश ही नहीं सामान्य समाज को भी एक सही अगाहकर्ता सुलभ होता.
मेरे कहे को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 2, 2013 at 1:02pm
एक औरत के दर्दे बयानी का सलीका अच्छा  है और  इज़ाफा होता अगर ग़ज़ल का मुकम्मल जामा पहनाया होता आदरणीय सौरभ जी का आशय भी यही है प्रिय शिखा जी मैं अक्सर आपको पढ़ती रहती हूँ आपकी कलम में इक आग है जो सीधे दिल पर वार करती  है  ,हुनर है ग़ज़ल की दुनिया की सरताज बन सकती हो , शब्दों को उसके वजन ,नियमो में बाँध कर देखो क्या चमकती हैं आपकी रचनाएं ,बहरहाल इस प्रस्तुति पर दिल की गहराइयों से दाद देती हूँ ।
Comment by बृजेश नीरज on April 1, 2013 at 8:19pm

 इस सुन्दर रचना हेतु बधाई स्वीकारें!.

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 1, 2013 at 5:14pm

आदरेया शिखा जी मर्मस्पर्शी एवं ह्रदय स्पर्शी रचना है, महिलाओं के साथ घटित कटु सत्य को शब्दों के जरिये सुन्दरता से प्रस्तुत किया है आपने. जिस तरह से परिवर्तन हो रहा है अगर यूँ ही चलता रहा तो पतन अधिक दूर नहीं है. बहरहाल इस सुन्दर रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by ram shiromani pathak on April 1, 2013 at 4:34pm

आदरणीया शिखा जी बहोत ही सुन्दर ...हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 1, 2013 at 3:26pm

अभिव्यक्ति के  लिये बधाई.  आपकी भावनाओं का सम्मान करते हुए आपकी रचनाओं में काव्य तत्व का आग्रही हूँ. कथ्य सटीक है.

शुभेच्छाएँ.. .

Comment by विजय मिश्र on April 1, 2013 at 1:57pm

बहुत सख्त है और ढँकने की बात को बहुत बेपर्दगी से बयाँ करती है , पढ़ने के बाद सोचने लगा -- यह जमीन के किसी हिस्से का सच है क्या ? लज्जत भरी है आपकी बातों में . असआर बुलंद है . शुक्रिया नूतनजी . 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service