For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जन सेवा

देख गरीबी भारत की,
फफक फफक मैं रो पड़ा,
क्यों अभिमान करूँ अपने पर,
अपने से ही , पूंछ पड़ा ।

शर्म नहीं आती क्यों उसको,
बड़ा आदमी कहता जो खुद को,
कोई बड़ा नहीं इस जग में,
परहित नहीं हैं,यदि कर्म में ।

लग जाओ, देश सेवा में,

उठो अभी,मत करो देरी,
खिल जाएगा जीवन नभ पर,
पूज्यनीय बन जाओगे ।

कष्टों को अंगीकार करो,
अपने को तुम मजबूत करो,
केवल एक प्रभू की सत्ता,
ऐसा समझ,तुम काम करो ।

जन सेवा ही प्रभु सेवा है,
रहे ध्यान इसका सदा,
जुट जाओ,डट जाओ इसमें,
अमरत्व की प्राप्ति करो ।

अपने सपने को भी तुम,
मेहनत कर साकार करो,
कुछ कर लेने के बाद ही,
जनसेवा पर काम करो ।

कोई नहीं पूंछता उसको,
है पद ज्ञान से हीन जो,
पहले बनो खुद मजबूत,
फिर सबकी सेवा करो ।

रखो नियंत्रण लालच पर,
जरूरत का ही ध्यान करो,
करके मन और तन प्रसन्न,
जग का तुम कल्याण करो ।

हैं अमर पूर्वज तुम्हारे,
रहे ध्यान इस बात का,
जन सेवा के द्वारा तुम भी,
अमरत्व को प्राप्ति करो ।

Views: 410

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by akhilesh mishra on April 4, 2013 at 4:44pm

आशीर्वचन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सौरभ पांडेय साहब ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2013 at 10:41pm

आपके प्रयास के लिए बधाई, भाई अखिलेशजी

Comment by akhilesh mishra on April 3, 2013 at 12:29pm

बहुत-बहुत धन्यवाद केवल प्रसाद जी,हौशला बढ़ाने के लिए !

Comment by akhilesh mishra on April 3, 2013 at 12:28pm

धन्यवाद मुकेरजी मैडम । 

Comment by akhilesh mishra on April 3, 2013 at 12:27pm

धन्यवाद मैडम ! आपका उत्साहवर्धन हम जैसे नौसिखियों के लिए बहुत भाग्य की बात होती है ।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2013 at 9:06am

अखिलेश मिश्र जी बहुत उच्च भाव से परिपूर्ण कविता हेतु बहुत- बहुत बधाई काश सभी इन बातो को समझे 

Comment by coontee mukerji on April 2, 2013 at 7:11pm

मिश्रा जी अच्छे भाव है ,सबका का मन ऐसा ही हो..

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 2, 2013 at 6:00pm

आदरणीय, अखिलेश मिश्रा जी, आपकी रचना में सुंदर भाव हैं- ‘अपने सपने को भी तुम,
मेहनत कर साकार करो,
कुछ कर लेने के बाद ही,
जनसेवा पर काम करो ।‘

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
4 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service