सूरज
जब छाए मन में निराशा,
तब सोचो उस सूरज को,
जो रोज डूबता है पर,
उगता फिर नई सुबह है ।
नई ऊर्जा ,नए उत्साह से,
बाँटता है खुशी अपनी,
मिट जाए दुनिया का अंधकार,
प्रकाश इसीलिये फैलाता है ।
तेज आभा ,प्रसन्न मुख ,
मजबूती की शिक्षा देते हैं,
खड़े हो जाओ,डटकर के,
कर्म का पाठ पढ़ाता है ।
न हारो और न रुको…
ContinueAdded by akhilesh mishra on February 10, 2014 at 1:00pm — 7 Comments
क़ृष्ण तुम बंसी बजाना
उन्मुक्त हो मुक्त गगन में,
छेड़ू मैं कोई तान प्यारी,
मधुर रस भरी प्रेम की,
क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।
गाएँगे सब पशु-पक्षी ,
आ जायेंगे तुम्हारे साथी भी,
बहेगी निःस्वार्थ प्रेम की गंगा,
क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।
भक्ति रस घुलेगा हवाओं में,
पहुँचेगा वृंदावन की गलियाँ,
नाचेगी सब गोपियाँ वहाँ…
ContinueAdded by akhilesh mishra on May 10, 2013 at 6:00pm — 18 Comments
सरकारी नौकरी
काश दो दिन दफ़्तर लगता ,
होती छुट्टी पाँच दिन,
खाते खेलते,सोते घर में
मौज मनाते पाँच दिन ।
बच्चे रोते भाग्य पर,
पर पत्नी खुश हो जाती,
हाथ बटाएगा काम में,
यह सोच मंद मुस्कुराती।
आ जाती तनख्वाह एक…
ContinueAdded by akhilesh mishra on April 26, 2013 at 12:45pm — 10 Comments
भूत को क्यों याद करूँ
क्यों याद करूँ भूत को,
क्या दिया,
क्या सोचा था मेरे बारे में,
क्या रखा था भविष्य के लिए,
क्या अच्छा किया की,भूत को,
मैं याद करूँ ।
देखूंगा अपने भविष्य को,
सोचूंगा अपने भविष्य को,
कर्म करूँगा भविष्य के लिए,
संघर्ष करूँगा जीवन में,
सफल बनूँगा भविष्य में,भूत को क्यों,
मैं याद…
ContinueAdded by akhilesh mishra on April 18, 2013 at 10:30am — 6 Comments
क्या न लिखूँ
दोपहर घर में बैठा मैं, कुछ,
सोच रहा,मस्तिस्क में आ रहे,
विषय कई,पर उलझन है की,
क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।
शब्दों और वाणी में, आज,
अनुशासन है नहीं, फिर भी,
समय देशकाल को विचारकर,
क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।
लिखने से तूफ़ान आ जाता,
लिखने से संबंध बिगड़ते,और,
सत्ता गिर जाती है ,इसीलिये,
क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।
लिखने से मन के भाव आते,
कटु सत्य निकल जाता है,
आ…
Added by akhilesh mishra on April 10, 2013 at 11:00am — 5 Comments
जन सेवा
देख गरीबी भारत की,
फफक फफक मैं रो पड़ा,
क्यों अभिमान करूँ अपने पर,
अपने से ही , पूंछ पड़ा ।
शर्म नहीं आती क्यों उसको,
बड़ा आदमी कहता जो खुद…
Added by akhilesh mishra on April 2, 2013 at 11:30am — 8 Comments
क्रोध
अशांत करता है,परेशान करता है,
पटरी पर चल रही जिंदगी को,
पटरी से उतार देता है, क्रोध ।
बुद्धि नष्ट करता है,ज्ञानहीन बनाता है,
संयम को नष्ट करके,
गरिमा को खत्म करता है, क्रोध ।
बना काम बिगाड़ता है,संबंध खराब करता है,
वर्षों की मेहनत को क्षण में बरबाद करता है,
प्रेम में जहर भर देता है, क्रोध ।
हृदय जलाता है,रोग पैदा…
ContinueAdded by akhilesh mishra on December 19, 2012 at 5:30pm — 2 Comments
तबादला
तबादला कोई खौफ नहीं,
नियमित घटना है,
रहो सदा तैयार इसके लिए,
यह नौकरी का हिस्सा है ।
कभी पसंद का,तो कभी मुश्किल का होता है,
कभी सुख तो कभी दुख देता है,
परिवर्तन संसार का नियम है यारो,
तबादले को खुशी से अपनालों यारो ।
बेमौसम तबादले तकलीफ़ देते हैं,
पत्नी…
ContinueAdded by akhilesh mishra on November 26, 2012 at 3:00pm — 3 Comments
चुगली
कमजोरी की निशानी है,
कामचोरी की पहचान है,
कटुता,द्वेष छिपे हैं इसमें,
स्वार्थ की बहन है चुगली ।
अपने दोषों को छिपाकर,
बनावटीपन व्यवहार लाकर,
दूसरों को नीचा दिखाने का,
एक तरीका है, चुगली ।
बिना मेहनत फल की इच्छा का,
दूसरों की मेहनत का फल खाने का,
कायरता के साथ वीरता दिखाने का,
एक डरपोक का साहसी गुण है चुगली ।
विश्वासघात का प्रतीक है चुगली,
अतिमहत्वाकांक्षा का रूप है चुगली,
झूठा वफ़ादार बनने के…
Added by akhilesh mishra on November 24, 2012 at 6:00am — 4 Comments
कसाब की फाँसी
पूरा देश खुशी मनाया,
कसाब की फाँसी पर,
ऐसा लगा मानो कोई बड़ा काम हुआ,
अधर्म पर धर्म की जीत हुयी,
किसी कमजोर ने बहादुरी का काम किया,
कंजूस ने महँगा आयोजन किया ।
खुशी की यह बात नहीं,शहीदों को याद करो,
यह बहुत पहले होना था,
खुशी तो तब मनाना,
जब अफ़ज़ल ,सईद फाँसी पर लटके,
हिंदुस्तान ताकत…
ContinueAdded by akhilesh mishra on November 23, 2012 at 3:00pm — 8 Comments
त्योहार के हादसे
छठ पूजा के दिन आज,
हुई बड़ी दुर्घटना, कई,
आदमी मरे पटना में,
त्योहार को हुई,फिर ये घटना ।
भारत की यह नियमित घटना,
होती है हर साल, कभी यहाँ,
तो कभी वहाँ, कुचले जाते,
हैं लोग प्रार्थना करते-करते…
ContinueAdded by akhilesh mishra on November 20, 2012 at 10:57am — 6 Comments
जिंदगी इतनी खूबसूरत होगी,
जिंदगी में इतने रंग होंगे,
जिंदगी इतनी खुशहाल होगी,
जिंदगी में इतना प्यार होगा,
ऐसा कभी सोचा न था ।
जिंदगी निस्ठुर भी होगी,
जिंदगी थपेड़े भी मारेगी,
जिंदगी हम पर हँसेगी,
जिंदगी भँवर में फँसायेगी,
ऐसा कभी सोचा न था ।
जिंदगी कर्म का पाठ पढ़ाएगी,
जिंदगी कटु सत्य बताएगी,
जिंदगी सही रास्ता दिखायेगी,
जिंदगी विजय पथ भी बताएगी,
ऐसा कभी सोचा न था ।
जिंदगी में कोमलता होगी,
जिंदगी इतनी नाजुक…
Added by akhilesh mishra on November 6, 2012 at 4:30pm — 3 Comments
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