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इन चमकती आँखों का फ़साना क्या है

इन चमकती आँखों का फ़साना क्या है
दबे होठो से ये मुस्कुराना क्या है
बता भी दो अब कि क्यों
कटती है रात ख्वाबो में किसी के
बिना नींद के सो जाने का ये बहाना क्या है ...
पहले तो नही रहते थे आप
यूँ खामोश महफ़िल में
तन्हाई में बैठकर ये बडबडाना क्या है ...
अच्छा तो नही लगता था
तुमको किताबो में उलझना
फिर ये अंदाज-ए-शायराना क्या है
कहते हैं कि इश्क जिसे हो जाये
वो पागल हो जाता है
जानकार सब ये भूल जाना क्या है ...
बड़ी रुसवाईयां मिलती हैं इस राह में
समझाकर खुद को ये न समझना क्या है



मौलिक व  अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Savitri Rathore on June 22, 2013 at 7:34pm

सोनम जी, सुन्दर रचना ......बधाई हो।

Comment by aman kumar on June 21, 2013 at 1:33pm

कहते हैं कि इश्क जिसे हो जाये
वो पागल हो जाता है 
जानकार सब ये भूल जाना क्या है ...

सोनम जी , लगता है आपने कुछ रचनाये बड़ी सिद्दत से रची है उनमे से एक जो मैंने पड़ी .

आपको बधाई !

Comment by vijay nikore on June 20, 2013 at 11:54am

रचना अच्छी लगी। बधाई।

विजय निकोर

Comment by बृजेश नीरज on June 20, 2013 at 8:49am

इस सुंदर प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई! शिल्प को कुछ समय और दिया जाता तो रचना और निखर आती।
सादर!

Comment by MAHIMA SHREE on June 19, 2013 at 11:06pm

अच्छा तो नही लगता था
तुमको किताबो में उलझना
फिर ये अंदाज-ए-शायराना क्या है....क्या बात है सोनम जी .. बधाई आपको

 

Comment by ram shiromani pathak on June 19, 2013 at 9:49pm

आ0 सोनम जी,सुन्दर रचना  //हार्दिक  बधाई 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 19, 2013 at 8:43pm

आ0 सोनम जी,   बहुत सुन्दर ।  बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by coontee mukerji on June 19, 2013 at 4:46pm

चमकती आँखों का फ़साना ऐसा ही होता है........................कटती है रात ख्वाबो में किसी के
बिना नींद के सो जाने का ये बहाना क्या है .

सादर

कुंती

Comment by बसंत नेमा on June 19, 2013 at 4:00pm

बहुत सुन्दर...बधाई…………

Comment by Shyam Narain Verma on June 19, 2013 at 2:35pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

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