"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 27 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.
प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से साभार लिया गया है.
आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी.. और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण ! और हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों में लिखी गयी काव्य-रचनाओं पर आधारित होगा. इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों के साथ कृपया सम्बंधित छंद का नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त विवरण अवश्य लिखें. ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय सौरभ जी अति सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई और हार्दिक आभार कि आपने एक नए छंद से सउदाहरण परिचय कराया।
भाई बृजेशजी, हार्दिक धन्यवाद कि आपको यह छंद-रचा पसंद आयी.
वस्तुतः पत्झटिका छंद पादाकुलक एवं चौपाई छंद परिवार का छंद है. कुल मात्राओं की संख्या से भी इसका अनुमान हो जाता है जो कि 16 है. इसमें कोई चौकल जगण का नहीं होता.
इसी से लगी एक बात साझा करता चलूँ कि यदि चरणों में प्रयुक्त चौकल में जगण अवश्य आवे तो वह छंद उपचित्रा छंद होगा !
एक पद में आठ मात्राओं के बाद गुरु का और फिर चार मात्राओं के एक गुरु का अनिवार्य रूप से आना इस छंद को चौपाई से अलग करता है (चौपाई में सम या विषम शब्दों का क्रम हो सकता है) और पादाकुलक छंद (यानि चार चौकल का समूह) की श्रेणी में डाल देता है.
आदरणीय एक बार फिर से आपका आभार कि आपने विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा दी। यह सामग्री मेरे लिए बहुत उपयोगी होगी।
जय हो
अति सुन्दर
अत्यंत सटीक
ज़बरदस्त रचना
खेल वही मन मुग्ध करे जो, तन-मन को परिशुद्ध करे जो
मन का रंजन तो होता है, आपसदारी भी बोता है
____बधाई दादा !
छंद-रचना के प्रयास पर उत्साहवर्द्धन हेतु हार्दिक आभार, आदरणीय अलबेला भाई जी.
सहयोग बना रहे.
सादर
jai ho
बहुत सुन्दर नए छंद की जानकारी वह भी पूर्ण प्रवाह के साथ गाकर मन मुग्ध होने जैसा, वाह ! हार्दिक बधाई आदरणीय
श्री सौरभ भाई जी | सीखने के प्रयास से इन पंक्तियों की जांच करे आदरणीय
तेंदुलकर से जो भी सीखे, अम्बार लगा सकता वह भी
तन मन धन से जो भी खेले, वह बॉलर भी बोल्ड करे है
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, आप द्वारा हौसलाअफ़ज़ाई के लिए सादर धन्यवाद.
आप पज्झटिका छंद के विधान को यदि कायदे से देखें तो प्रतीत होगा कि प्रति आठ मात्रा के बाद एक गुरु का आना अनिवार्य है, फिर आगे की चार मात्राओं के बाद पुनः एक गुरु का आना अनिवार्य है और किसी शाब्दिक चौकल में जगण का होना निषिद्ध होता है. इस हिसाब से अपनी पंक्तियों की जाँच करें, आदरणीय
तेंदुलकर से जो भी सीखे, अम्बार लगा देगा वह भी
तन मन धन से जो भी खेले, बॉलर वह भी बोल्ड करे है
इसमें चौकल से अभिप्राय आठ आठ = १६ मात्राओ के पद से है या और कुछ | या फिर इनमे जगण १२१ आ रहा
हो तो कृपया बतावे, आदरणीय | यद्यपि यह कठिन अवश्य है |
चौकल का मतलब ऐसा शब्द जिसकी कुल मात्रा चार हो. द्विकल शब्दों की कुल मात्रा दो होती है तो त्रिकल शब्दों की कुल मात्रा तीन हुआ करती है.
चौकल की जाँच -
तेंदुल कर से जो भी सीखे, अम्बा र लगा देगा वह भी
तन मन धन से जो भी खेले, बॉलर वह भी बोल्ड क रे है
उपरोक्त द्विपदी में कोई चौकल जगण नहीं है.
मात्रिकता की जाँच -
तेंदुलकर से जो (आठ मात्राओं के बाद गुरु) भी सीखे (चार मात्राओं के बाद गुरु), अम्बार लगा दे (सही है) गा वह भी
(सही है)
तन मन धन से जो (सहीहै) भी खे ले (सही है), बॉलर वह भी बो (सही है) ल्ड करे है (सही है)
तुकांतता की जाँच -
तेंदुलकर से जो भी सीखे, अम्बार लगा देगा वह भी [पहले चरण के सीखे के बाद दूसरे चरण में वह भी ?
तन मन धन से जो भी खेले, बॉलर वह भी बोल्ड करे है [ यही हाल यहाँ है, खेले के साथ करे है कैसे संभव है?
सादर
आपकी उपस्थिति इसीलिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि आप निराकरण की आशा को छिन्न भिन्न नहीं होने देते। मैं खास तौर पर आपकी राह इसीलिए निहारा करता हूं।
यह चर्चा हम जैसों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
आपका हार्दिक आभार!
बजेश भाईजी, मैंने जो समझा वो साझा किया.. आगे सुधीजन अपनी बातें करें
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